यह समय सभी के लिए मुश्किल है, और सबकी तरह मुझे भी इस नए नॉर्मल में एडजस्ट करने में समस्या हो रही थी। घर पर दिनभर खाली बैठने से मेरी एंग्जायटी बढ़ रही थी, मूड सविंग्स हो रहे थे और मैं इस तनाव को मैनेज नहीं कर पा रही थी। मैंने अपनी ऊर्जा और ध्यान को चैनल करने के लिए बहुत कुछ ट्राय किया- कुकिंग, पेंटिंग, वर्कआउट लेकिन मुझे राहत मिली बागवानी से।
गार्डनिंग ने मुझे शांत किया और मुझे एक सन्तुष्टि महसूस हुई जिसकी मेरी जिंदगी में अब तक कमी थी।
मैंने दिल्ली-बेस्ड क्लीनिक साइकोलोजिस्ट डॉ भावना बर्मी से पूछा कि क्यों बागवानी का इतना सकारात्मक प्रभाव मेरे जीवन पर पड़ा, और वजह जानने के बाद मुझे लगा कि इसके बारे सभी को जानना चाहिए।
डॉ. बर्मी कहतीं हैं, “पेड़-पौधों और इंसान के मेंटल हेल्थ में एक रिलेशन पाया गया है, जिसके कारण मानसिक समस्याओं के इलाज में पौधों का सहारा लिया जाता है।”
यह हम नहीं कह रहे, साइंस कहता है। मेन्टल हेल्थ रिव्यू जर्नल के 2013 के एक शोध में पाया गया कि फूलों की खुशबू से कोर्टिसोल लेवल कम होता है। कोर्टिसोल ही हमारा स्ट्रेस हॉर्मोन होता है। इस तरह पौधों के बीच समय बिताने से आप तनाव से दूर रहते हैं।
इस वक्त हमारा दिन भर का रूटीन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारा गार्डन हमारे कंट्रोल में है। इस कंट्रोल से आपको ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस होता है, जिससे आपका मूड अच्छा रहता है। अपने गार्डन को रीअरेंट करने से भी आपको अच्छा महसूस होगा।
मिट्टी में सोना हो या न हो, डिप्रेशन दूर रखने की क्षमता ज़रूर है। मिट्टी में मौजूद पैथोजन मूड को अच्छा करते हैं। मायकोबैक्टेरियम नामक एक बैक्टेरिया मिट्टी में मौजूद होता है, जो हमारे शरीर में सेरोटोनिन हॉर्मोन (हैप्पी हॉर्मोन) को बढ़ाता है। डॉ. बर्मी कहतीं हैं, “बागवानी हमें प्रकृति से जोड़ती है।”
पौधों की देख-रेख करना, उन्हें बढ़ते हुए देखना बिल्कुल बच्चों की देख-रेख करने जैसा ही है। आपको एक ज़िम्मेदारी का एहसास होता है। साथ ही आपको महसूस होता है कि आपके जीवन का एक लक्ष्यप है। यह भावना आपको सन्तुष्ट बनाती है और आपको सेल्फ वर्थ यानी खुद की एहमियत का भी एहसास होता है।
गार्डनिंग में वेट लिफ्टिंग से लेकर स्ट्रेचिंग तक पूरी बॉडी का वर्कआउट है। गमले उठाने में, मिट्टी खोदने और पौधों को पानी देने के दौरान आप लगभग 300 कैलोरी बर्न करते हैं। और यह तो आप जानते ही हैं कि एक्सरसाइज के दौरान एंडोर्फिन हॉर्मोन्स निकलते हैं, जो हमें खुश रखते हैं।
डॉ बर्मी बताती हैं, “पौधों के आसपास रहने से ब्लड प्रेशर कम होता है, एंग्जायटी कम होती है और थकान मिटती है। साथ ही हरियाली हमारे मन को राहत पंहुचाती है और शांति देती है।
पौधे लगाने के लिए आपको बड़े गार्डन की ज़रूरत नहीं है। आप इंडोर गार्डन भी बना सकते हैं। साथ ही कमरे में पौधे रखने से कमरे की हवा साफ होती है और ऑक्सीजन बढ़ती है। आप छोटे पौधों से शुरू कर सकते हैं।
एलोवेरा, कैक्टस, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, फ़र्न इत्यादि पौधों को ज्यादा देखरेख की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। आप आसानी से इनसे शुरुआत कर सकते हैं।
आप किचन में भी पुदीना, धनिया और तुलसी जैसे पौधे लगा सकते हैं।
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