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हेयर फॉल से लेकर पेट की गड़बड़ी तक, इन 13 तरीकों से आपके शरीर में दिखता है हॉर्मोन्स में बदलाव

क्या आपको भी अब अचानक छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आने लगता है? या बहुत जल्दी, बहुत ज्यादा भूख लगने लगती है? तो ये हॉर्मोन में बदलाव के संकेत हो सकते हैं।
Written by: Dr. S.S. Moudgil
Updated On: 29 Oct 2023, 07:49 pm IST
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hormones apki poori sehat ko prabhavit karte hain
महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ परिवर्तन आने लगते है, जिससे होमोनल इंबैलेंस बढ़ने लगता है। चित्र: शटरस्टॉक

जीवन भर सभी को उम्र के अलग-अलग पड़ावों से गुजरना पड़ता है। इनमें प्यूबर्टी से लेकर मेनोपॉज तक आप शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलावों को महसूस करती हैं। इन बदलावों के मूल में है हाॅर्मोन्स में होने वाला परिवर्तन। हाॅर्मोन असल में रासायनिक संदेश वाहक होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओ के कार्य को रेगुलेट करते हैं। पर जब यही हॉर्मोन असंतुलित होने लगते हैं तो इसका असर आपके समग्र स्वास्थ्य पर दिखाई देता है। आइए जानते हैं आपके शरीर पर होने वाले हॉर्मोनल बदलावों का असर।

पहले समझिए क्या हैं हॉर्मोन

अगर आप उदास हैं , आप पर चिड़चिड़ापन हावी हो रहा है या बस कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं। तो इसके लिए आपके हॉर्मोन दोषी हो सकते हैं। हार्मोन रासायनिक संदेश वाहक होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओ के कार्य को रेगुलेट करते हैं।

हाॅर्मोन स्तरों में बदलाव पीरियड, गर्भावस्था, या रजोनिवृत्ति के दौरान होना सामान्य है। लेकिन कुछ दवाएं और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं हॉर्मोन के स्तर में बदलाव का कारण हो सकती हैं। जिससे मानसिक समस्याएं यथा उदासी, गुस्सा और चिड़चिड़ापन हो सकतीं हैं।

जानिए आपके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है हॉर्मोन्स में बदलाव 

1 मूड स्विंग्स और डिप्रेशन

शोधकर्ताओं का मानना है कि हार्मोन के स्तर में तेजी से बदलाव या गिरावट मूड स्विंग का कारण बन सकती है। फ़ीमेल हारमोन एस्ट्रोजन मस्तिष्क के प्रमुख रसायनों (Hormones) जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन को प्रभावित करता है। ये हार्मोन, जो न्यूरोट्रांसमीटर कहलाते हैं और ये अन्य कार्यों के अलावा हम कैसा महसूस करते हैं, मूड स्विंग्स में भी भूमिका निभाते हैं।

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हॉर्मोनल असंतुलन मूड स्विंग्स का कारण बन सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

2 याद्दाश्त में कमी

विशेषज्ञ यह निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि फीमेल हार्मोन मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं। लेकिन शोध कर्ताओं के मुताबिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में परिवर्तन मस्तिष्क में धुंधलापन पैदा कर सकते हैं। जिसे ब्रेन फॉग कहा जता है। ये किसी की मेमोरी को प्रभावित कर सकते हैं।  पेरिमेनोपॉज़ यानी मेनोपॉज से पहले और रजोनिवृत्ति के दौरान ध्यान और स्मृति समस्याएं विशेष रूप से देखने में आती हैं। लेकिन वे थायराइड रोग जैसी अन्य हार्मोन संबंधी स्थितियों का भी लक्षण हो सकते हैं।

3 थकान

थकान हार्मोन असंतुलन के सबसे आम लक्षणों में से एक है। प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बढ़ोतरी नींद में खलल डाल सकती है। अगर थायरॉयड ग्लैंड जरूरत से बहुत कम थायराइड हार्मोन बनाती है, तो यह शरीर में ऊर्जा की कमी पैदा कर सकता है ।

4 भूख और मोटापा

रजोनिवृत्ति जैसे हार्मोनल बदलाव से वजन बढ़ सकता है। लेकिन हार्मोन परिवर्तन सीधे आपके वजन को प्रभावित नहीं करते हैं। जब एस्ट्रोजन का स्तर गिरता है, तो यह शरीर के लेप्टिन के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है, जो एक भूख बढ़ाने वाला हार्मोन है और अधिक खाने से मोटापा तो होगा ही।

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5 अचानक वजन में गिरावट

थायरॉयड भोजन को ईंधन में बदलने के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। साथ-साथ यह हॉर्मोन हृदय गति और तापमान को भी नियंत्रित करता है। जब थायराइड अधिक हार्मोन बनाता है  या पर्याप्त नहीं बना पाता है, तो वजन कम या ज्यादा हो सकता है।

6 नींद की समस्या

नींद अच्छी नहीं आने का कारण प्रोजेस्टेरोन भी हो सकता है। मासिक धर्म चक्र पीरियड के दौरान एस्ट्रोजन का निम्न स्तर हॉट फ्लैशेज या रात में पसीने को ट्रिगर कर सकता है। ये दोनों बातें नींद को प्रभावित कर सकती हैं।

7 मुंहासे

पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान मुंहासे होना सामान्य है। लेकिन मुंहासे अगर ठीक नहीं होते तो यह हार्मोन की समस्या इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। एण्ड्रोजन (Male Hormone) जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में होता है, तेल ग्रंथियों के अधिक सक्रिय होने का कारण बन सकता है।

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हॉर्मोन पिंपल और मुंहासे का भी कारण बन सकते हैं। चित्र-शटरस्टॉक।

एण्ड्रोजन बालों के रोम और उनके आसपास की त्वचा की कोशिकाओं को भी प्रभावित करते हैं, जिससे रोमछिद्र बंद होकर मुंहासों का कारण बन सकते हैं।

8 सूखी त्वचा

हार्मोन बदलाव से त्वचा रूखी हो सकती है। यह रजोनिवृत्ति के दौरान आम बात है। इस समय त्वचा स्वाभाविक रूप से पतली होने लगती है और उतनी नमी नहीं रख पाती, जितनी पहले हुआ करती थी। इसका कारण थायरॉइड हॉर्मोन भी हो सकता है।

9 रात को पसीना आना 

रात को पसीना आने का कारण एस्ट्रोजन की कमी हो सकती है। रजोनिवृत्ति की शुरुआत में कई महिलाओं को रात में पसीना आता है। कई अन्य हार्मोन संबंधी समस्याएं भी पसीने के कारण हो सकती हैं।

10 सिर दर्द

सिर दर्द के अनेक कारण हो सकते हैं। सीनोसिटिस, उच्च रक्तचाप आदि इन्हें ट्रिगर कर सकते हैं। लेकिन कुछ महिलाओं के लिए, एस्ट्रोजन भी इसे ट्रिगर कर सकता है। इसलिए मासिक धर्म से ठीक पहले या उसके दौरान सिरदर्द होना आम बात है, क्योंकि तब एस्ट्रोजन कम हो रहा होता है। अक्सर हर महीने नियमित सिरदर्द इस बात का संकेत हो सकता है कि इस समय हार्मोन के स्तर में बदलाव हो रहा है।

11 बहुत ज्यादा प्यास लगना 

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों शरीर में पानी की मात्रा को प्रभावित कर सकते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव यथा पीरियड से पहले या शुरुआत में सामान्य से अधिक प्यास का सबब हो सकती है। अधिक प्यास लगने का कारण मधुमेह या डियाबेटिक इन्सिपिडस नामक स्थिति भी हो सकती है। जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में एंटी-मूत्रवर्धक हार्मोन (ADH) नहीं बन पाता।

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खुद को हाइड्रेट रखें। चित्र : शटरस्टॉक

12 बाल हल्के होना या बालों का झड़ना

एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट से, एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरोन के संतुलन पर प्रभाव पड़ने लगता है।जिसके कारण बाल हल्के हो सकते हैं या झड़ भी सकते हैं। ऐसा हम गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति के दौरान, या गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के दौरान भी नोटिस करते हैं।

13 पेट की समस्याएं

आंत में रिसेप्टर्स नामक छोटी कोशिकाओं की परत होती है, जो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर के बदलाव से प्रभावित हो जाती है। इसलिए डायरिया, पेट दर्द, सूजन और जी मिचलाना जैसी समस्याए मासिक धर्म से पहले और दौरान बढ़ सकती हैं या खराब हो सकती हैं।

यह भी पढ़ें- आखिर क्यों होता है पीरियड्स में इतना दर्द, एक्सपर्ट से जानिए अपने प्रजनन स्वास्थ्य और पीरियड साइकिल के बारे में

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लेखक के बारे में
Dr. S.S. Moudgil
Dr. S.S. Moudgil

Dr. S.S. Moudgil is senior physician M.B;B.S. FCGP. DTD. Former president Indian Medical Association Haryana State.

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