ऐसा बहुत बार होता है कि छोटी-छोटी बातों को हम दिल से लगाकर घंटों उसके बारे में सोचते रहते हैं। इससे न केवल हमारा समय बर्बाद होता है, बल्कि हम धीरे-धीरे तनावग्रस्त हो जाते हैं। देखते ही देखते व्यवहार में चिड़चिड़ापन, उदासी, एकल रहना और खुद को दूसरों से कम आंकने लगते हैं। क्या आप भी रोजमर्रा की जिंदगी में घटने वाली ऐसी बातों को व्यक्तिगत रूप से लेती है। अगर हां, तो आपको खुद पर काम करने की जरूरत है। लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, या लोग क्या कहेंगे जैसी बातों के बारे में सोचना आपकी इमोशनल वीकनेस (Emotional weakness) को दर्शाता है। यहां वे टिप्स दिए गए हैं, जो आपको अपनी इमोशनल हेल्थ (5 tips to be emotionally strong ) को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि “बार-बार यही सोचते रहना, कि लोग क्या सोचते हैं या सोचेंगे, आपकी मेंटल हेल्थ (Mental health) को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके कारण के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, “असल में इंसान एक सामाजिक प्राणी है। जो खुद को समाज में एक वैल्यूएबल पर्सन (Valuable person) के तौर पर दिखाना चाहता है। वो चाहता है कि उसका रूतबा हो और लोग उसे पसंद करें। ऐसे में कई बार इंसान को उसी माहौल में कई बार आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ता है। वो बातें हमें चुभ जाती हैं। जो हमारे मन मस्तिष्क पर गहरा आघात डालती है। हम उन बातों को पर्सनली ले लेते हैं। ऐसे में मन पर लगी ठेस से खुद को ऐसे बचाएं।”
डॉ युवराज पंत कहते हैं कि बहुत बार लोग हमारे बारे में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हैं। इससे हम परेशान हो जाते हैं। मगर हम ये भूल जाते हैं कि वो उनका नज़रिया है। ऐसे में ज़रूरी नहीं है कि हमारे अंदर वो कमी हो। अपने सोचने, समझने और दुनिया को देखने के नजरिए में लचीलापन लाए। आसपास घटने वाली किसी भी बात को लेकर अपने मन को सख्त बनाने से बचें।
ऐसी कोई भी बात, जो आपको किसी और के माध्यम से पता चली है, तो उसे संदेह का लाभ दें। डॉ युवराज के मुताबिक कही सुनी बात पर विश्वास न करें। इसके अलावा जिसने आपके लिए बात की है उससे सीधे मिलकर बात को स्पष्ट करने का प्रयास करें। अपने मन में बातों को रखकर पल पल परेशान होने से दिक्कतें बढ़ने लगती है, जो मानसिक तनाव का कारण साबित हो सकती हैं।
क्या कहेंगे लोग, ये एक ऐसा वाक्य है, जो हर वक्त, हर काम को करने से पहले हमारे दिमाग में घमने लगता है। दरअसल, बचपन से हम लोग इसी अवधारणा से साथ बड़े हुए हैं। सबसे पहले इस बात को सोचना छोड़ दें और आपका जो मन करता है आप वही करें। अपनी जीवन के फैसले लेने का अधिकर आपका खुद का है। दूसरों की बातों में आकर या उनके बारे में सोचकर खुद को परेशान न करें। अन्यथा कुछ वक्त बाद हो सकता है कि आपको इस बात का भी पछतावा हो।
हम लोग अक्सर औरों की फिक्र में दिन भर व्यस्त रहते हैं मगर अपने बारे में सोचना भूल जाते हैं। कौन क्या सोचेगा, कौन क्या कहेगा, किसी को बुरा तो नहीं लगेगा। यह सभी बातें हमें बहुत ज्यादा प्रभावित करती हैं । इसके चलते अगर कोई कुछ कहता है तोह हम उदास हो जाते है। इस समस्या से बाहर आने के लिए अपनी ख़ुशी पर ध्यान दें। उस चीज़ को पहचानें जिससे आप पसंद करते हैं। अपने मेकओवर की तरफ ध्यान दे, डाइट के प्रति सचेत रहे, फ्रेंड्स के साथ घूमने फिरने जाएँ। इससे आप खुद को हल्का महसूस करेंगी।
रिएक्शन आपकी कमजोरी को बयान करता है। हर किसी को जस्टिफिकेशन देने के लिए आप नहीं बने हैं। अगर आप सही है, तो आप उस पल को एन्जॉय करें। अगर आप किसी ऐसी सिचुएशन में हैं जहाँ सामने वाले की बातें आपको परेशां कर रही हैं। इस सिचुएशन को खुद पर हावी न होने दें और एक स्माइल देकर वहाँ से बिना किसी से कुछ कहे चले जाएँ।
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