महामारी निश्चित रूप से सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए कठिन रही है। घातक कोरोनावायरस और लॉकडाउन का असर न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर, बल्कि हमारी मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है। हालांकि, हमने धीरे-धीरे और लगातार बाहर निकलना शुरू कर दिया है, फिर भी कहीं न कहीं एक झिझक बरकरार है। असल में डर भी एक मनोविकृति है, जो हमें लापरवाह रवैये के साथ काम करने से रोकती है।
तो, यह क्या है? यदि आप सोशल मीडिया के युग से ताल्लुक रखती हैं, तो हो सकता है कि आपने कई बार भीड़ में खो जाने का डर अनुभव किया होगा। अपने Instagram और Facebook फीड को स्क्रॉल करते हुये, आपने कई बार ऐसी पोस्ट देखी होंगी, जो आपको यह विश्वास कराती हैं कि आपका जीवन पूरी तरह से उबाऊ है!
ये पोस्ट आपको याद दिलाती रहेंगी कि दूसरों का जीवन आपसे बेहतर है। औए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि यह कभी न कभी हम सब के साथ हुआ है
लेकिन मन और मस्तिष्क की इस रस्साकशी में, क्या किया जाना चाहिए? मेंटल एंड इमोशनल वेलबीइंग कोच, और लेट अस टॉक की संस्थापक कंचन राय इस बारे में कुछ उपयोगी टिप्स साझा कर रहीं हैं।
FOMO से निपटने के लिए डिजिटल डिटॉक्स सबसे अच्छे उपयों में से एक है। हम अपना ज्यादातर समय स्क्रीन के सामने बिताते हैं। इसने स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ा दिया है। जिससे किसी व्यक्ति के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
राय बताती हैं – “डिजिटल डिटॉक्स निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित करने में मदद करेगा। यह शरीर और दिमाग सहित हमारी मनोवैज्ञानिक प्रणाली को रीसेट कर देगा।
अपने काम के घंटों के बाद अपने फोन को दूर रखना, इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ऐप्स से कुछ समय के लिए स्विच करना डिजिटल उपयोग को कम करने में मदद करेगा। डिटॉक्स पर रहते हुए, आप कैसा महसूस करती हैं, इस पर पूरा ध्यान दें।
सोशल मीडिया के साथ, लोग अपने जीवन के प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होते हैं, सकारात्मकता को उजागर करते हैं। हम नॉनस्टॉप स्क्रॉल करने में व्यस्त रहते हैं सिर्फ यह जानने के लिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। ऐसा करके हम अक्सर खुद की उपेक्षा करते हैं।
वे आगे कहती हैं “सेल्फ डाउट के बढ़ते जाने का कारण यह है कि हम स्क्रीन पर नजर आ रही पोस्टों की तुलना अपने जीवन से करने लगते हैं। दूसरों के जितना अच्छा या बेहतर बनने की कोशिश करने के बजाय, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऊर्जा और विचारों पर ध्यान दें।
हालांकि, इसे नज़रअंदाज़ करना काफी मुश्किल है, लेकिन आप किसी और के सबसे अच्छे वर्जन बनने के बजाय खुद का सबसे अच्छा वर्जन होने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।”
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कस्टमाइज़ करेंहम सोशल मीडिया की दुनिया में इतने लीन हो जाते हैं कि हम वास्तविक कनेक्शन पर ध्यान देना भूल जाते हैं। कोशिश करें और अपने दोस्तों से व्यक्तिगत रूप से मिलें। भले ही वह छोटी अवधि के लिए ही क्यों न हो।
“एक गेट टुगेदर करना, किसी करीबी दोस्त से मिलना, या कोई भी गतिविधि करना जो आपको अपने दोस्तों के साथ समय बिताने में मदद करे, एक अच्छा बदलाव हो सकता है। यह आपको FOMO की भावना को दूर करने में मदद करेगा।”
कृतज्ञता बढ़ाने वाली गतिविधियों में शामिल होना, यहां तक कि दूसरों की सराहना करने या ग्रेटिट्यूड जर्नलिंग भी आपकी मदद कर सकती हैं।
कंचर राय कहती हैं – “आप सोशल नेटवर्किंग से हटने का प्रयास करेंगे, तो आपको पता चलेगा कि आपके पास पहले से कितना है, तो आप इसे खोने का डर महसूस नहीं करेंगे। यह आपके भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सुखद हो सकता है।”
भले ही FOMO सोशल मीडिया के उपयोग से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है। पर यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह सभी उम्र के व्यक्तियों के बीच एक सामान्य और वास्तविक भावना है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अलग-अलग समय पर FOMO के एक निश्चित स्तर को महसूस करता है।
यदि आप महसूस कर रहीं हैं कि आप FOMO से पीड़ित हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि किसी मित्र से संपर्क करें या कुछ समय उन चीजों पर चिंतन करने में बिताएं, जिनके लिए आप अपने जीवन में आभारी हैं।
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