डियर मॉम्स, कोविड की नई लहर में बच्चो को मेंटली फिट रखना हैं, तो इन टिप्स को फॉलो करें

एक मां के रूप में आप जानती हैं कि कोविड-19 (covid-19) के इस दौर ने आपके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य (mental health of kids) को कैसे प्रभावित किया है। इसलिए इन टिप्स की मदद से बच्चों को मेंटली फिट रखने का प्रयास करें।
apne bacche ke sath zyada time spent karien
डब्ल्यूएचओ ने भी जारी की गाइडलाइन- बच्चों के ज्यादा फोन देखने की समस्या को मद्देनजर रखते हुए WHO ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें उन्होंने बताया कि यदि बच्चा 2 से 4 वर्ष का है तो पूरे दिन में उसका सिर्फ 1 घंटा स्क्रीन टाइम होना चाहिए, वहीं अगर बच्चा 4 वर्ष या उससे ज्यादा है तो अधिकतम 2 घंटे ही उसका स्क्रीन टाइम होना चाहिए। वहीं, अगर बच्चें इससे ज्यादा समाय तक फोन चलाते है तो उन्हें शारीरिक और मानसिक समस्या भी हो सकती है।चित्र: शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Published: 30 Dec 2021, 19:07 pm IST
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कंप्यूटर और इलेक्ट्रिक उपकरणों से घिरा आपका बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ होता जा रहा है। कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रोन (omicron) ने बच्चों की इस लाइफस्टाइल को और लंबा खींच दिया है। लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि यह बच्चों को भावनात्मक और मानसिक रूप से तोड़ रहा है? ऑनलाइन क्लास (online class) से लेकर मोबाइल गेम्स (mobile games) और इंटरनेट सर्फिंग (interest surfing), यह दिनचर्या इन नन्हे मन को संकुचित और खोखला बना रही है। इनकी पढ़ाई और मनोरंजन दोनो ही स्क्रीन के सामने बैठकर हो रहा है। दुर्भाग्य यह है कि इसकी अवधि अब और बढ़ गई है। 

हम जानते हैं मॉम्स कि बच्चों को हैंडल करना आसान नहीं होता। सुबह उठने से लेकर रात को वापस सुलाने तक, यह पूरी तरह से एक बवंडर है। इस बीच उनके चंचल मन के लिए कुछ नया पकवान बनाना और मनोरंजन के लिए नए साधनों को ढूंढना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। ऊपर से जब ये सारी चीजें घर के चार दीवारों के अंदर हो तो यह और मुश्किल हो जाता है। इसलिए अपने बच्चों को अच्छे खान-पान के साथ मानसिक विकास प्रदान करने के लिए कुछ विशेष टिप्स को जानना है जरूरी।  

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बच्चों को घर पर बोर न होने दें। चित्र : शटरस्टॉक

किड्स की मेंटल फिटनेस के लिए मॉम्स गाइड

1. श्वास व्यायाम (Breathing Exercise)

बड़ो के मामले में आप जानते हैं कि सांस के रिदम को शरीर से जोड़ने पर तनाव (stress buster) कम करने में मदद मिलता है। इसके साथ ही यह रात को निर्विघ्न सोने में मदद करता है। लेकिन जर्नल ऑफ क्लीनिकल स्लीप के शोध बताते हैं कि बच्चों के लिए भी यही सच है। इसलिए अपने बच्चों को सुबह या उनकी ऑनलाइन क्लास के बाद थोड़ी देर इनका अभ्यास कराएं। 

बच्चे आसानी से ऊब जाते हैं। इसलिए शुरुआत में इस सत्र को छोटा रखें। पांच मिनट का श्वास व्यायाम शुरू करने के लिए सही है। 

2. योगा से ही होगा (Yoga)

श्वास व्यायाम की तरह, योग बच्चों को शांत रखने में मदद करता है। यह अभ्यास उनकी ऊर्जा को अधिक सकारात्मक तरीके से चैनलाइज करने में मदद करता है। हावर्ड विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार योग और माइंडफुलनेस बच्चों के लिए मनोवैज्ञानिक लाभ  प्रदान करते हैं। अनुसंधान में बताया गया है कि शरीर ने पहले ही दिखाया है कि योग फोकस, स्मृति, आत्म-सम्मान, अकादमिक प्रदर्शन और कक्षा व्यवहार में सुधार कर सकता है। यह बच्चों में चिंता और तनाव को भी कम कर सकता है।

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बच्चों के साथ वर्कआउट करना आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है। चित्र : शटरस्टॉक

शुरुआत के लिए 12 मिनट के आसान योग सत्र की सलाह दी जाती है। इसे सभी उम्र के बच्चे कर सकते हैं और इसका आसान एवं मजेदार तरीका उन्हे योग के प्रति जागरूक बना सकता है। 

3. डांस पार्टी (Dance Party)

अपने किडोस को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से दूर रखने और क्लास के तनाव को कम करने के लिए घर्वपर डांस पार्टी का आयोजन करें। अलेक्जेंडर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के शोध से पता चलता है कि नृत्य बच्चों को भावनाओं को प्रबंधित करने और स्कूल में उनकी अनुकूलन क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। यह उन बच्चों के लिए विशेष रूप से प्रभावी उपकरण है जो भावनात्मक विकारों और सीखने की अक्षमता से पीड़ित हैं। डांस बच्चों के आत्म-सम्मान, भावनात्मक अभिव्यक्ति और कार्यों को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि करता हैं।

तो मॉम्स, अपने बच्चों को तैयार करें और उनके फेवरिट नाश्ते और गानों की प्लेलिस्ट के साथ घर पर डांस पार्टी का आयोजन करें। 

4. किताब पढ़ना (Reading books)

स्कूल की पढ़ाई के बाद बच्चों के हाथ में किताब थमाना एक मुश्किल कार्य हो सकता है। लेकिन इस आदत को उनके जीवन का हिस्सा बनने से मानसिक विकास में वृद्धि होती है। किताबे आपके बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन सकती है। बच्चों में गुस्सा, नखरे और विरोध आम हो जाते हैं। लेकिन कहानी बच्चों के मिजाज को हल्का करने में मदद करता है। केवल किताबे ही नहीं दादी नानी की कहानियां भी स्वाभाविक रूप से नींद भरी आंखों और भारी सिर को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि बच्चें एक काल्पनिक दुनिया में चले जाते हैं। 

तो मॉम्स, इस नए वेरिएंट से अपने बच्चों को बचाएं और उन्हें मानसिक रूप से तंदुरस्त रखने के लिए इन नुस्खों को अपनाएं। 

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