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महामारी के बीच अगर आपके आसपास बढ़ रही है घरेलू हिंसा, तो जानिए कब है अलार्मिंग बेल बजाने का समय

यह सही है कि बाहर का माहौल बहुत खराब है। कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के कारण घर में रहना ही बेहतर है। पर इसका यह अर्थ नहीं कि आपको घर में रहकर हर तरह की हिंसा बर्दाश्‍त करनी होगी।
Published On: 10 May 2021, 12:55 pm IST
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Ab bhi mahilao ko domestic violance ka samana karna pad raha hai
घर अब भी महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह है। चित्र : शटरस्टॉक

कोरोनाकाल में न जाने कितने लोगों की नौकरियां चली गयीं इसमें हर तबके का व्यक्ति शामिल था। बच्चों की फीस, घर के खर्चे और इलाज के लिए दवाइयां…. इस सबके चलते तनाव इतना ज्‍यादा बढ़ गया है कि घरेलू वातावरण कई बार हिंसक होता जा रहा है। महिलाओं पर इन हालात की दोहरी मार पड़ी है। एक तो घर का काम और पति कि ओर से दिया जाने वाला शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न।

लॉकडाउन के दौरान बढ़ती घरेलू हिंसा

संयुक्त राष्ट्र और यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के तीन महीनों में पूरी दुनिया में करीब 1.5 करोड़ महिलाओं ने घरेलू हिंसा का सामना किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने अप्रैल 2020 में घरेलू हिंसा की शिकायतों में 2.5 गुना की वृद्धि दर्ज की। पिछले वर्ष महिला आयोग को 25 मार्च से 31 मई के बीच 1,477 शिकायतें मिलीं।

कोविड-19 लॉकडाउन के पहले चार चरणों के दौरान, भारतीय महिलाओं ने पिछले 10 वर्षों की तुलना में अधिक घरेलू हिंसा की शिकायतें दर्ज कीं। यह असामान्य उछाल बहुत ही छोटा आंकड़ा है, क्योंकि घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली 86% महिलाएं भारत में मदद नहीं मांगतीं। जी हां.. आपने सही सुना! आपको जानकर हैरानी होगी कि हिंसा का अनुभव करने वाली लगभग 86% महिलाओं ने कभी मदद नहीं मांगी। जबकि 77% पीड़ितों ने किसी करीबी के साथ भी इस घटना का उल्लेख नहीं किया।

लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा से जूझ रही महिलाएं अब पहले की तरह अपने माता – पिता के पास नहीं जा सकती और न ही किसी दोस्त के घर जा सकती थी। ऐसे में जब यह महामारी भारत में अपने चरम पर है, तो आपकी अपनी भूमिका अहम हो जाती है।

घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली 86% महिलाएं भारत में मदद नहीं मांगतीं। चित्र:शटरस्टॉक
घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली 86% महिलाएं भारत में मदद नहीं मांगतीं। चित्र:शटरस्टॉक

आप ये कैसे पता लगा सकती हैं कि कोई महिला घरेलू हिंसा का सामना कर रही है?

महिला के चेहरे पर किसी तरह के निशान के कारण जानना
पार्टनर के सामने आते ही चेहरे पर डर की भावना
पड़ोसियों से बात न करने देना या मेल जोल न करने देना
महिला का अपने रिश्तेदारों से बात न कर पाना
किसी बात पर अपनी राय रखने में मुश्किलों का सामना करना

अगर आपके घर के आस-पास कोई महिला घरेलू हिंसा से जूझ रही है और असमर्थ है तो आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गयी इन बातों पर ध्‍यान देना चाहिए:

1. घरेलू हिंसा की शिकार महिला के निरंतर संपर्क में रहें। मान लें कि हिंसा कर रहा व्यक्ति सब कुछ सुन सकता है या वह निगरानी कर रहा है। इसलिए यह पता करें कि उस महिला के साथ संवाद करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। उन्हें ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से एक एसएमएस या संदेश भेजें, या जो उनके लिए सुरक्षित है।

2. कोविड ​​-19 महामारी के दौरान हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए क्या सेवाएं (जैसे आश्रय, हॉटलाइन, परामर्श सेवाएं, महिला संगठन) काम कर रही हैं, यह जानकारी अपने नेटवर्क और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें उपलब्ध कराएं। आप खुद भी इन नंबरों पर संपर्क कर सकती हैं और उनकी जान बचा सकती हैं।

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3. यदि आपको पता है कि किसी भी कारण से तत्काल मदद की जरूरत है, तो आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, पुलिस, स्वास्थ्य केंद्र या हॉटलाइन पर कॉल करने के लिए तैयार रहें।

आपके बेल बजाने से हिंसा रुक सकती है. चित्र : शटरस्टॉक
आपके बेल बजाने से हिंसा रुक सकती है. चित्र : शटरस्टॉक

कब है अलार्मिंग बेल बजाने का समय

ये सभी कोशिश करने के बाद भी अगर किसी भी वजह से हिंसा जारी रहती है, तो उनके घर की डोर बेल ज़रूर बजाएं। हिंसा को तत्‍काल रोकने के लिए आप उसी समय डोर बैल बजाएं। डर लगता है, तो डोर बैल बजाकर भाग जाएं या छिप जाएं। कम से कम कुछ देर के लिए ही सही हिंसा रुक जाएगी और हिंसा करने वाले को यह आभास हो जाएगा कि कोई उसे देख सकता है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

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