कोरोनाकाल में न जाने कितने लोगों की नौकरियां चली गयीं इसमें हर तबके का व्यक्ति शामिल था। बच्चों की फीस, घर के खर्चे और इलाज के लिए दवाइयां…. इस सबके चलते तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि घरेलू वातावरण कई बार हिंसक होता जा रहा है। महिलाओं पर इन हालात की दोहरी मार पड़ी है। एक तो घर का काम और पति कि ओर से दिया जाने वाला शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न।
संयुक्त राष्ट्र और यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के तीन महीनों में पूरी दुनिया में करीब 1.5 करोड़ महिलाओं ने घरेलू हिंसा का सामना किया। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने अप्रैल 2020 में घरेलू हिंसा की शिकायतों में 2.5 गुना की वृद्धि दर्ज की। पिछले वर्ष महिला आयोग को 25 मार्च से 31 मई के बीच 1,477 शिकायतें मिलीं।
कोविड-19 लॉकडाउन के पहले चार चरणों के दौरान, भारतीय महिलाओं ने पिछले 10 वर्षों की तुलना में अधिक घरेलू हिंसा की शिकायतें दर्ज कीं। यह असामान्य उछाल बहुत ही छोटा आंकड़ा है, क्योंकि घरेलू हिंसा का अनुभव करने वाली 86% महिलाएं भारत में मदद नहीं मांगतीं। जी हां.. आपने सही सुना! आपको जानकर हैरानी होगी कि हिंसा का अनुभव करने वाली लगभग 86% महिलाओं ने कभी मदद नहीं मांगी। जबकि 77% पीड़ितों ने किसी करीबी के साथ भी इस घटना का उल्लेख नहीं किया।
लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा से जूझ रही महिलाएं अब पहले की तरह अपने माता – पिता के पास नहीं जा सकती और न ही किसी दोस्त के घर जा सकती थी। ऐसे में जब यह महामारी भारत में अपने चरम पर है, तो आपकी अपनी भूमिका अहम हो जाती है।
महिला के चेहरे पर किसी तरह के निशान के कारण जानना
पार्टनर के सामने आते ही चेहरे पर डर की भावना
पड़ोसियों से बात न करने देना या मेल जोल न करने देना
महिला का अपने रिश्तेदारों से बात न कर पाना
किसी बात पर अपनी राय रखने में मुश्किलों का सामना करना
1. घरेलू हिंसा की शिकार महिला के निरंतर संपर्क में रहें। मान लें कि हिंसा कर रहा व्यक्ति सब कुछ सुन सकता है या वह निगरानी कर रहा है। इसलिए यह पता करें कि उस महिला के साथ संवाद करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। उन्हें ईमेल या सोशल मीडिया के माध्यम से एक एसएमएस या संदेश भेजें, या जो उनके लिए सुरक्षित है।
2. कोविड -19 महामारी के दौरान हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए क्या सेवाएं (जैसे आश्रय, हॉटलाइन, परामर्श सेवाएं, महिला संगठन) काम कर रही हैं, यह जानकारी अपने नेटवर्क और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें उपलब्ध कराएं। आप खुद भी इन नंबरों पर संपर्क कर सकती हैं और उनकी जान बचा सकती हैं।
3. यदि आपको पता है कि किसी भी कारण से तत्काल मदद की जरूरत है, तो आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, पुलिस, स्वास्थ्य केंद्र या हॉटलाइन पर कॉल करने के लिए तैयार रहें।
ये सभी कोशिश करने के बाद भी अगर किसी भी वजह से हिंसा जारी रहती है, तो उनके घर की डोर बेल ज़रूर बजाएं। हिंसा को तत्काल रोकने के लिए आप उसी समय डोर बैल बजाएं। डर लगता है, तो डोर बैल बजाकर भाग जाएं या छिप जाएं। कम से कम कुछ देर के लिए ही सही हिंसा रुक जाएगी और हिंसा करने वाले को यह आभास हो जाएगा कि कोई उसे देख सकता है।
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