क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है कि आपने कुछ पहना था और इसे बदलने का फैसला किया क्योंकि यह आपके शरीर के प्रकार के अनुरूप नहीं है? सच कहा जाए, तो हम सब ने कभी न कभी ये किया होगा। कभी-कभी आप अपनी पसंदीदा टी-शर्ट को अलमारी के पीछे फेंक देती हैं क्योंकि आप इसे पहनकर शर्मिंदगी महसूस नहीं करना चाहती हैं।
जाने अनजाने कब हमने लोगों की पसंद के हिसाब से कपड़े पहना शुरू कर दिया, हमें शायद पता भी नहीं होगा। मगर हमारी यही आदतें हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो बॉडी इमेज का मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने शरीर को कैसे देखता है। इस दृष्टिकोण में उनके विचारों, भावनाओं और अपने बारे में धारणा शामिल है। इसलिए, हर बार जब आप आईने के सामने खड़ी होती हैं और खुद को बताती हैं कि यह कपड़ा सही नहीं है या मैं ऐसी दिखती हूं, तो समझ लेजिए आपकी मेंटल हेल्थ खतरे में है।
सुंदरता के सामाजिक मानकों के अनुरूप होने का यह प्रभाव न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य बल्कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। क्योंकि हम खुद को तंग बॉडी शेपर्स में फिट करते हैं, जो लाल निशान छोड़ते हैं।
हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. कामना छिब्बर से बात की, जिन्होंने उन स्रोतों पर प्रकाश डाला जो ‘संपूर्ण’ शरीर के प्रकार के विचारों को आगे बढ़ा सकते हैं।
छिब्बर के अनुसार, “हर किसी को एक निश्चित तरीके से देखा जाना पसंद है। इंप्रेशन हमारे लिए मायने रखते हैं। इस संबंध में हम जिन मुख्य बातों का ध्यान रखते हैं उनमें से एक यह है कि हम कैसे दिखते हैं। हम सभी चाहते हैं कि हमें सकारात्मक रूप से देखा जाए। हम मीडिया और संस्कृति दोनों पर भरोसा करते हैं, जब कपड़े पहनने की बात आती है।”
छिब्बर ने कहा, “सौंदर्य के साथ रुढ़िवाद हमेशा से ही जुड़ा रहा है और यही कारण है कि हम आज भी सोचते हैं कि हमारे अंदर कुछ सही नहीं है। आपके आस-पास के बुजुर्गों ने आपके वजन के बारे में मजाक किया होगा या आपको वज़न कम करने या कम खाने के लिए कहा होगा।
इस तरह की टिप्पणियों और सलाह ने आपको यह विश्वास दिलाया होगा कि निश्चित ही आपके शरीर में कुछ कमी है। इसलिए, आप ऐसे कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं।”
उन्होनें कहा “हम मीडिया में मॉडल, इन्फ़्लुएन्सर और मशहूर हस्तियों को देखते हैं। ये लोग एक निश्चित तरीके से कपड़े पहनते हैं और एक निश्चित तरीके से दिखते हैं। हम, प्रशंसकों के रूप में, उनके जैसा बनने की ख्वाहिश रखते हैं। इसलिए, जब हम मीडिया में हमें जो दिखाया जाता है, उससे अलग दिखते हैं, तो हम निराश महसूस करने लगते हैं।
हम ऐसे आउटफिट चुनना शुरू करते हैं जो हमें शरीर के उन हिस्सों को छिपाने में मदद करें जो लोगों के ब्यूटी स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं हैं।”
यदि आप हर बार कपड़े चुनने से पहले समाज के स्टैंडर्ड चैक करती हैं और उनके हिसाब से कपड़े पहनती हैं तो, आपके आत्मसम्मान को चोट लग सकती है। शरीर की खराब छवि आपके बारे में नकारात्मक विचार पैदा कर सकती है।
“अगर आपको लगता है कि आपको वह नहीं पहनना चाहिए जो आप वास्तव में पहनना चाहती हैं क्योंकि आपके शरीर का प्रकार ‘उपयुक्त नहीं’ है, या लोग आपको नकारात्मक रूप से कैसे देख सकते हैं, तो यह दर्शाता है कि आपके आत्मविश्वास का स्तर कम है।
छिब्बर ने कहा – ”यह आपको खुद को बाहर रखने और मजबूत संबंध बनाने से भी रोक सकता है।”
विशेषज्ञ के अनुसार, “सभी मामलों में नहीं, लेकिन कुछ लोगों में, इससे अवसाद, चिंता और फूड डिसऑर्डर हो सकते हैं। यह अत्यधिक नकारात्मक विचार, अधिक सोचने और उत्पादकता में गिरावट का कारण भी बन सकता है।”
इसलिए, लेडीज, आपको क्या पहनना चाहिए, यह आपकी चॉइस होनी चाहिए न कि समाज की। अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए सकारात्मक मानसिकता का निर्माण करें।
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