दोस्तों के साथ घूमना फिरना और पार्टी करना पूरी तरह से सामान्य है। मगर अकेले रहकर खुशी का अनुभव करना किसी चुनौती से कम नहीं हैं। इस मशीनी युग में जहां किसी के पास अन्य लोगों के लिए समय नहीं है। ऐसे में खुद की खुद के साथ दोस्ती भी बेहद ज़रूरी है। कुछ लोग इसे अकेलेपन का नाम देते हैं। मगर वास्तव में ये अपने आप से बिल्ड की गई किसी हेल्दी रिलेशनशिप से कम नहीं है। मगर अकेले खुश रहने की टिप्स (How to stay happy alone) पर फोकस करने से पहले इस बात को समझना आवश्यक है कि अकेले रहने और अकेलापन महसूस करने में क्या अंतर है।
पॉल टिलिश की किताब ‘द एटर्नल नाओ’ के अनुसार आम बोलचाल की भाषा में मनुष्य के अकेलेपन के इन दो पहलुओं को समझदारी से समझा गया है। इसके अनुसार अकेलेपन के दर्द को व्यक्त करने के लिए अकेलापन शब्द बनाया है। वहीं, अकेलेपन के महत्व को व्यक्त करने के लिए एकांत शब्द बनाया है।
इस बारे में मनोचकित्सक डॉ आरती बताती हैं कि अकेलापन महसूस करना एक मेंटल स्टेट है, जिसमें व्यक्ति किसी मानसिक समस्या के कारण डिप्रेशन और तनाव का शिकार हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति खुद को अकेला समझने लगता है और सोशन कॉटेंक्ट से अलग होकर खुद को आइसोलेट कर लेता है। इसमें व्यक्ति अन्य लोगों से मेलजोल धीरे धीरे कम करने लगता है। वास्तव में ये कोई बीमारी नहीं बल्कि किसी समस्या का एक लक्षण है।
डॉ आरती के अनुसार अकेले रहना यानि अलोन एक फिज़िकल कंडीशन है। इस स्थिति में व्यक्ति खुद को स्वस्थ महसूस करता है। साथ ही खुद को खुद रखने के लिए अलग अलग कार्यों में मसरूफ रहता है। साथ ही अकेलेपन में भी मन ही नम खुशी का अनुभव करता है।
हर व्यक्ति में अलग खूबियां देखने को मिलती है। ऐसे में खुद को अन्य लोगों से कमतर न आंके। इससे मन ही मन तनाव बढ़ने लगता है, जिससे व्यक्ति कमज़ोर और खुद को अकेला समझने लगता है। एकांत में रहकर भी खुद को मज़बूत बनाए रखने के लिए अपने आप को सेल्फ मोटिवेट करें और ये समझेंकि आप युनीक हैं और औरों से अलग हैं।
दूसरों के लिए प्रेम जताने के अलावा खुद से प्यार करना भी आवश्यक है। इससे व्यक्ति अपनी अहमियत समझने लगता है और हर पल एक्टिव रहता है। साथ ही अन्य लोगों की कमी महसूस नहीं होती है, जिससे व्यक्ति अपने फैसले खुद लेने लगता है।
अकेलापन महसूस करने की जगह अपनी क्षमताओं की पहचान करके आगे बढ़ें। इससे व्यक्ति अपनी कमियों को दूर करके और क्वालिटीज़ को निखारने की दिशा में प्रयासरत हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति तनाव और डिप्रेशन से भी बाहर रहता है।
खुद को अकेलेपन में खुश रखने के लिए किसी पसंदीदा कार्य में मसरूफ कर लें। अपने आप को व्यस्त रखने के लिए कुकिंग, पेंटिंग, राइटिंग, शॉपिंग और ट्रैकि्ंग करें। इससे व्यक्ति तनाव से दूर रहता है। साथ ही कुछ नया सीखने का भी मौका मिलता है।
नियमानुसार व्यायाम करने से शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। साथ ही मन ही मन बढ़ने वाली नकारात्मकता से भी राहत मिल जाती है। ऐसे में रूटीन में वॉकिंग, साइकलिंग, हाई इंटेसिटी एक्सरसाइज़, मेडिटेशन और योग को शामिल करें।
सुबह और शाम वॉक करने से मन में शांति और सुकून बढ़ने लगता है। साथ ही मन में उठने वाले विचारों को भी दूर किया जा सकता है। खुली हवा में सांस लेने से व्यक्ति खुशी का अनुभव करता है। इसके अलावा आउटडोर एक्टीविटीज़ भी माइंड को रिलैक्स रखने में फायदेमंद साबित होती हैं।
अपनी खुशी को खोजने के लिए अपने आप को समय देना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए सोलो ट्रिप प्लान करें। इसमें व्यक्ति अपनी इच्छानुसार खुद के लिए समय निकाल सकता है। साथ ही अकेलेपन को एजॉय करने लगता है। इसमें व्यक्ति की अन्य लोगों पर निर्भरता कम होने लगती है।
अकेला व्यक्ति हमेशा तनाव का ही शिकार हो सकता है, ऐसा ज़रूरी नहीं है। अगर आपके अंदर कुछ कर गुज़रने की भावना तीव्रता से बढ़ रही है, तो आप आसानी से अपने गोल्स को अचीव कर सकते हैं। खुद को खुश रखने के लिए (How to stay happy alone) अपने क्षमता के मुताबिक गोल्स को सेट करें।
हर बार नई चीजों के पीछे भागना व्यक्ति के अंदर तनाव और एंग्ज़ाइटी को पैदा करने लगता है। ऐसे में व्यक्ति खुद को अकेला मानकर मायूस होने लगता है। इस समस्या से बाहर आने के लिए जो नहीं है उसे भूलकर लाइफ में मिली छोटी से छोटी सफलता का जश्न मनाने का प्रयास करे। इस तरह से व्यक्ति खुद को ब्लैस्ड फील करने लगता है। इससे जीवन में संतुष्टि की भावना बढ़ने लगती है।
किसी भी कार्य को करने से पहले उसके नकारात्मक पहलुओं को जांचने की जगह उसमें सकारात्मकता को ढूंढना आवश्यक है। इससे व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ने लगता है और आसपास के माहौल में फैली निगेटीविटी से दूरी बनाकर रखता है।