सुबह उठते ही चाय बनाना, बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस, फिर नाश्ता और अपना वर्क फ्रॉम होम। काम के बीच में घर के काम के लिए समय निकालते हुए शाम हो जाती है। रात को डिनर कर के सो जाना। क्या आपको मेरा यह रूटीन अपनी दिनचर्या जैसा ही लग रहा है? सम्भव है, क्योंकि अधिकांश महिलाएं लॉकडाउन के दौरान एक ही रूटीन फॉलो कर रही हैं और इसका दुष्परिणाम हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
समस्या यह है कि हम महिलाएं दिन भर दूसरों के लिए काम करती हैं और अपने लिए समय नहीं निकाल पातीं। हम दिन भर में एक मां का किरदार, एक साथी का किरदार, एक बेटी का किरदार निभाते- निभाते खुद को भूल जाते हैं।
खुद को समय देना यानी थोड़ा सा मी-टाइम बिताना बहुत जरूरी है। यह समय आपको रिचार्ज कर देता है और रूटीन से बाहर निकलने में सहायक होता है।
मी टाइम (Me time) वह समय है जो आप अपने विचारों और भावनाओं के साथ बिताती हैं। मी टाइम में आपको अकेले होने की जरूरत नहीं है, सबके साथ होते हुए भी आप अपने साथ समय बिता सकती हैं। बस जरूरी है कि इस दौरान आप अपने विचारों का आंकलन करें और समझें कि आपको क्या बदलाव करने की जरूरत है।
सबसे पहले तो जान लें, रूटीन तोड़ने के लिए महंगी छुट्टियोंपर जाने की जरूरत नहीं है। आप घर पर ही ब्रेक ले सकती हैं।
यूं तो हम मी टाइम नहीं निकाल पाते हैं, लेकिन अगर यह लक्षण दिखाई दें तो समझ जाएं कि आपको ब्रेक की जरूरत है।
सबसे पहला संकेत जो आपको नजर आएगा वह यही है कि आपको कुछ भी करने का मन नहीं करेगा। चाहें वह कोई क्रिएटिव काम ही क्यों ना हो। मी टाइम ना मिलने के कारण आप मानसिक रूप से थक चुके होते हैं और कलात्मक ऊर्जा खर्च नहीं कर पाते हैं।
अगर आपको ऐसा महसूस हो कि आपका कुछ भी करने में मन नहीं लग रहा, तो खुद के साथ मी-डेट पर जाएं। जी हां, दो से तीन घण्टे अकेले रहें, जिस दौरान आप किताब पढ़ सकती हैं, पुरानी तस्वीरों को देख सकती हैं, या कुछ भी ना करें बस शांत मन से जीवन के बारे में सोचें। यकीन मानिए आपको बहुत बेहतर महसूस होगा।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार अधिकांश महिलाएं इमोशनल ईटर होती हैं, यानी वह भावुक होने पर खाने का सहारा लेती हैं। और दुखी होने पर, हम खासकर चीनी युक्त या जंक फूड अधिक खाने लगते हैं।
तो अगर आप बार बार स्नैक्स की ओर भाग रही हैं या चिप्स खाने की इच्छा हो रही है तो यह आपके दिमाग की ओर से संकेत है। ऐसा होने पर स्नैक्स के बजाय एक गिलास नींबू पानी लें और 15 से 20 मिनट फोन से दूर अकेले में बिताएं। फायदा ना मिलने पर मी-डेट का पैंतरा आजमा सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंअगर आपको हर छोटी बात पर गुस्सा आता है या चिढ़ होती है तो यह भी चिंताजनक है। आपके बच्चे ने कोई खिलौना तोड़ दिया तो यह बहुत गुस्सा होने वाली बात तो नहीं है। अगर ऐसी ही मामूली बातों पर गुस्सा आने लगे तो समझ जाएं कि आपको अपने साथ वक्त बिताने की जरूरत है।
पति कुछ कह रहा है, बच्चे कुछ कह रहे हैं और एकदम से आपको एहसास होता है कि बाथरूम में अकेले बैठ जाऊं, या लगता है कि ये लोग थोड़ी देर के लिए आपको अकेले छोड़ दें। हो सकता है आपको रोने की भी इच्छा होती हो। यह सभी निशानियां हैं कि आपके दिमाग का घड़ा ऊपर तक भर चुका है और अब आपको ब्रेक की आवश्यकता है।
क्या आपके साथ ऐसा होता है कि आप काम करने बैठती तो हैं लेकिन कोई आइडियाज नहीं आते? इसे क्रिएटिव ब्लॉकेज कहते हैं यानी कलात्मक विचारों का सुख जाना। यह संकेत है कि आपके दिमाग को आराम की जरूरत है।
आपको लग सकता है कि यह कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन अगर मी टाइम को इसी तरह नजरअंदाज करती रहेंगी तो भविष्य में गम्भीर मानसिक समस्या खड़ी हो सकती हैं।
1. आपको बहुत अधिक समय की जरूरत नहीं होगी। बस कुछ घण्टों में भी आप अपने दिमाग को रिफ्रेश कर सकती हैं।
2. रात को एक घण्टे लम्बा हॉट वाटर शॉवर लें। इस दौरान खुशबूदार ऑयल, साबुन इत्यादि का इस्तेमाल करें। अरोमाथेरेपी आपके दिमाग को शांत करने में सबके कारगर है।
3. सुबह जल्दी उठकर अपने लिए अपनी पसंदीदा चाय बनाएं और बालकनी या छत पर अकेले बैठें। इस दौरान आपको कुछ सोचने की भी आवश्यकता नहीं है, बस अपने आसपास के वातावरण का आनंद लें।
4. दिन में जब भी आपको टेंशन महसूस हो, फोन में दस मिनट कोई गेम खेल लें।
इसके अलावा अगर समस्या बढ़ रही है तो अपने पार्टनर से साझा करें। दोस्तों से बात करें और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद लें।