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गिल्ट से बाहर आने के लिए कोई दवा ढूंढ रहे हैं, तो एक्सपर्ट के ये 3 सुझाव आपके लिए हैं

छोटे बच्चों में होने वाले छोटे-छोटे गिल्ट जहां उन्हें बेहतर बनने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं वयस्कों में कई बार अपने वजन, आदतों और बच्चों की परवरिश को लेकर भी गिल्ट होने लगता है। पर इनसे बाहर आना जरूरी है।
सभी चित्र देखे pahle se kamzor mental health walo ko guilt ka anubhav zyada hota hai
यदि आपकी मेंटल हेल्थ पहले से ही कमजोर है, तो आपको ऐसी भावनाओं का ज्यादा सामना करना पड़ सकता है। चित्र : अडोबीस्टॉक
Published: 16 Jan 2024, 17:02 pm IST
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अपराधबोध (Guilt) एक तरह का नेगेटिव इमोशन है। अक्सर छोटे और बड़े हो रहे बच्चों के मामले में, अपराधबोध को पॉजिटिव प्रभाव के रूप में भी देखा जाता है। जो उन्हें सही तौर-तरीकों, सामाजिक आचरण की सीख देता है। जहां तक वयस्क होने पर अपराधबोध का सवाल है, तो कुछ हद तक ऐसा होना नॉर्मल होता है। पर लंबे समय तक इस भावना से घिरे रहना और खुद को अपराधी मानना आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है। यह जरूरी है कि आप किसी भी तरह के गिल्ट में बहुत ज्यादा दिन न रहें। इससे उबरने (how to overcome guilt) में कुछ थेरेपी और बदलाव आपकी मदद कर सकते हैं।

अगर आप लगातार खुद को गिल्ट और ड्रिप्रेशन (अवसाद) में पाते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि यह दोतरफा तरीके से काम करता है। यानि अपरोधबोध की वजह से अवसाद पैदा हो सकता है या पहले से ही अवसादग्रस्त होने पर आप स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं।

समझिए क्या हैं सबसे कॉमन गिल्ट (Most common guilt)

1 व्यवहार या आदतों संबंधी गिल्ट 

आमतौर पर, लोग अलग-अलग आदतों/व्यवहारों को लेकर गिल्टी महसूस करते हैं। मसलन, कुछ करने को लेकर या न करने के ख्याल को लेकर, किसी विचार या अहसास, अथवा हालात, इरादों, लक्ष्यों आदि को लेकर भी वे खुद को अपराधी महसूस कर सकते हैं।

2 सर्वाइवर गिल्ट 

गिल्ट का एक खास प्रकार होता है अंतरवैयक्तिक (इंटरपर्सनल) गिल्ट। सरवाइवर गिल्ट इसका एक उदाहरण है। यह उस व्यक्ति में पैदा हो सकता है, जो किसी खतरनाक या जीवनघाती स्थिति से जूझने के बाद बच निकला हो। जबकि उसी हालात से सामना होने पर अन्य लोगों की जान न बच पायी हो।

guilt se overcome hona bahut zaruri hai
गिल्ट की भावना आपको मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना सकती है। चित्र : अडोबीस्टॉक

3 किसी प्रियजन को खोने का गिल्ट 

इसके अलावा, किसी नज़दीकी की मृत्यु होने, ट्रॉमा की वजह से, या पैरेन्टल गिल्ट भी होता है। मृत्यु के मामले में इमोशनल रिएक्शन के तौर पर गिल्ट पैदा हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति खुद को मृत व्यक्ति की अपेक्षाओं या उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाने की वजह से अपराधी महसूस करता है।

4 पेरेंटल गिल्ट

पैरेन्टल गिल्ट उन अभिभावकों को होता है, जो यह महसूस करते हैं कि वे अपने बच्चों के लालन-पालन में खरे नहीं उतरे या उनकी परवरिश में उनसे कुछ कमी रह गई।

5 ट्रॉमा संबंधी गिल्ट

ट्रॉमा संबंधी गिल्ट तब होता है जबकि कोई यह महसूस करता है कि किसी खतरनाक, घातक परिस्थिति में जब दूसरों की जान पर बन आयी होती है, तब उसे अलग प्रकार से बर्ताव करना चाहिए था। कोई अलग एक्शन करना चाहिए था। ताकि दुर्घटना के शिकार बने लोगों के बचाव में कोई योगदान किया जा सकता।

कमजोर मेंटल हेल्थ बढ़ा देती है गिल्ट की भावना 

लगातार बने रहने वाले दुःख से बाहर आने के लिए, जरूरी है उन मेंटल कंडीशंस से निपटना जो इसे बढ़ाती हैं, जैसे डिप्रेशन या फिर गिल्ट को भूलने के लिए नशीले पदार्थों के सेवन की आदतों को छोड़ना। सबसे पहले तो यह स्वीकार करना होगा कि गिल्ट से बचने के लिए आप इस तरह की आदतों में पड़े हैं।

इसी तरह, अपने बारे में नेगेटिव सेल्फ टॉक से बचें। यह भी संभव है कि अपराधबोध की वजह आपको आसानी से समझ ही न आए। ऐसे में, उसकी जड़ में जाना होगा और अगर ऐसा करना मुमकिन न हो, तो प्रोफेशनल सहायता लेने में देरी नहीं करनी चाहिए।

यह जानना जरूरी है कि हमारे कंट्रोल में क्या है और क्या नहीं है। इससे ही हमें अलग-अलग अपराधबोध से मुक्त होने में मदद मिलेगी। कई बार गिल्ट इस वजह से भी होता है कि आपको अपने किसी बर्ताव पर किसी से माफी मांगने की जरूरत महसूस होती है।

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jane kyun hota hai motapa
मोटापा मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित करता है। चित्र : शटरस्टॉक

कई बार खानपान को लेकर भी अपराधबोध घर कर जाता है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपने वज़न को लेकर गिल्ट से घिरा होता है। युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों को दुश्मन सैनिक को मार गिराने या मासूम नागरिकों को गलती से मार देने का दुःख भी कई बार गिल्ट की शक्ल ले सकता है।

अगर ऐसे में मारे जाने वाले की उम्र कम होती है, तो अपराधबोध का संकट और गहरा सकता है। अक्सर युद्धोपरांत सरवाइवर गिल्ट देखा जाता है, जिसमें युद्ध के मैदान में अपने साथी सैनिक की मृत्यु भी अपराधबोध से भर जाती है।

जानिए क्यों होता है गिल्ट (Causes of guilt)

अलग-अलग अध्ययनों से यह बात सामने आयी है कि अलग-अलग हालात और अलग-अलग प्रकार के गिल्ट के कई कारण हो सकते हैं, जैसे –

  1. झूठ बोलने/ या सच अथवा किसी जानकारी को जानबूझकर छिपाने की वजह से पैदा होने वाला गिल्ट।
  2. परिवार के साथ पर्याप्त समय नहीं बिताने, या परिजनों की पर्याप्त देखभाल नहीं करने के ख्याल से उत्पन्न दुःख। परिजनों की जरूरत के समय उपलब्ध नहीं रहने जैसे ख्याल भी अपराधबोध का कारण बनते हैं।
  3. दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करने या उनके बारे में गलत सोचने पर।
  4. जीवन के हालात या परिस्थितियों को लेकर या दूसरों की मृत्यु का खुद को जिम्मेदार ठहराना /
  5. सहायता न कर पाने का अहसास।
  6. कुछ हासिल न कर पाने का अहसास।
  7. निजी जीवन की घटनाओं जैसे तलाक, ब्रेक अप, परिवार में किसी समस्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना।
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इस तरह की भावनाओं का कोई वास्तविक आधार नहीं होता। चित्र शटरस्टॉक

क्यों जरूरी है इनसे बाहर आना 

इस तरह की सोच से बाहर आना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि एक तो ऐसे ख्याल सही नहीं होते, दूसरे इनसे कोई मदद भी नहीं मिल पाती। ऐसे नकारात्मक और बुरे ख्यालों को दिमाग से निकालकर अपनी विचार प्रक्रिया पर लगातार नज़र रखें तथा अपराधबोध की जगह अधिक तार्किक और व्यावहारिक सोच को तरजीह दें।

क्या कोई दवा इस गिल्ट को दूर कर सकती है? 

पहली बात 

जैसा कि हम ऊपर चर्चा कर चुके हैं कि गिल्ट के सही-सही कारणों का पता लगाना बेहद जरूरी होता है। अगर इसका कारण ट्रॉमा है, तो ट्रॉमा-आधारित थेरेपी से मदद मिल सकती है, और अगर यह किसी की मृत्यु की वजह से उपजा सरवाइवर्स गिल्ट है, तो थेरेपी से दुःख और तकलीफ को दूर करने में मदद मिल सकती है।

दूसरी बात 

सच पूछा जाए तो अपरोधबोध से मुक्त होने के लिए कोई दवा नहीं बनी है। कोई गोली नहीं है जिसे गटककर गिल्ट की भावना को दिलो-दिमाग से दूर किया जा सके। अलबत्ता, अगर इसका कारण कोई ट्रॉमा, लंबे समय तक बना रहने वाला दुःख, खानपान संबंधी डिसॉर्डर, अवसाद वगैरह है तो दवाओं से निश्चित ही मदद मिलती है।

तीसरी और सबसे जरूरी बात 

एक और बात पर ध्यान देने की जरूरत है, कि केवल एक प्रकार की थेरेपी ऐसे में असर नहीं डालती, बल्कि इलाज के लिए अलग-अलग दवाओं और थेरेपी का इस्तेमाल करना अधिक कारगर होता है।

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लेखक के बारे में

Dr. Trideep Chaudhary is an Associate Consultant of Mental Health and Behavioral Sciences at Fortis Faridabad. Dr. Trideep has completed his MBBS and M.D. in Psychiatry from Srimanta Sankaradeva University of Medical Sciences, Assam with 6 years of experience in the field of Psychiatry post his M.D. degree. He has completed his senior residency from LGB Regional Institute of Mental Health, Assam and has worked as Consultant Psychiatrist in various reputed hospitals including Narayana Superspeciality Hospital. He dealt with stress-related mental health issues, depression, anxiety disorder, OCD, bipolar disorder, schizophrenia and other forms of psychosis, addiction, childhood psychiatric illness etc. ...और पढ़ें

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