महामारी के कारण लोग बहुत ज़्यादा तनाव और दबाव का सामना कर रहे हैं। कई लोगों पर पैसों का इंतजाम करने, काम को संभालने और घर को व्यवस्थित रखने जैसी चीजों के कारण अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। इसके साथ ही लोगों को महामारी के कारण अपनों को खोने का दुःख भी उठाना पड़ रहा है। इन सबके कारण तनाव बढ़ने के साथ ही मूड भी खराब हो सकता है और बहुत से लोगों को चिड़चिड़ेपन की समस्या हो सकती है।
अक्सर ऊपर बताई वजहों और स्थितियों के लगातार बिगड़ने के कारण लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसे ठीक करने के तरीकों पर भरोसा न होने के कारण बहुत से लोगों का चिड़चिड़ापन ज़्यादा बढ़ जाता है।
इसके साथ ही वर्तमान जीवनशैली को बनाए रखने का दबाव और कई चीजों को एक साथ संतुलित करने की कोशिश के चलते तनाव बढ़ जाता है। जो अक्सर व्यक्ति को चिड़चिड़ा बना देता है। महामारी के दौरान अकेलेपन के कारण नकारात्मक सोच बढ़ गई है। कई लोग जीवन जीने के वर्तमान तरीके से पूरी तरह खुश नहीं हैं और इसके कारण छोटी-छोटी चीजों के सही से नहीं होने पर भी लोग चिड़चिड़ाहट से भरी प्रतिक्रिया करने लगते हैं।
यदि आप को महसूस हो रहा है कि आप या आपका कोई परिचित सामान्य से ज़्यादा चिड़चिड़ा हो रहा है, तो इसे निंयत्रित करके लिए नीचे बताई बातों पर अमल करें:
चिड़चिड़े की कई वजहें हो सकती हैं। यह पता करना ज़रूरी है कि चिड़चिड़ेपन की मुख्य वजह क्या है। यदि किसी परिस्थिति के कारण आप ज़्यादा चिड़चिड़े हो रहे हैं, तो इसके बारे में पता करें।
यदि किसी कारण से आपके या आपके प्रियजन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ता है, तो उसे सुलझाने की कोशिश करें। इससे काफी फायदा हो सकता है। ऐसा करने से आपको महसूस होगा कि जीवन से जुड़ी स्थितियों पर आपका नियंत्रण है और इससे चिड़चिड़ेपन को कम करने में मदद मिल सकती है।
एक ही परिस्थिति को देखने के कई नज़रिए हो सकते हैं। आप अक्सर पाएंगे कि जब आप किसी उच्चतम भावनात्मक स्थिति में होते हैं, तो एक दृष्टिकोण से ही स्थितियों को देखने लगते हैं। अपने नज़रिए को बदलने से आपको काफी फायदा मिल सकता है।
कई बार ख़ुद को किसी दूसरे नज़रिए से सोचने के लिए तैयार करना मुश्किल भरा हो सकता है। ऐसे मामलों में ऐसे लोगों की मदद लेने से फायदा मिल सकता है, जिनके बारे में आपको लगता है कि वे आपको दूसरे नज़रिए से सोचने में मदद कर सकते हैं।
यह बहुत ज़रूरी है कि आप स्वयं को आराम देने के लिए भी समय रखें। इससे आपको ख़ुद को संतुलित रखने के लिए ज़रूरी ब्रेक लेने की सुविधा मिलेगी और आप रोज़ाना की परिस्थितियों से बहुत ज़्यादा परेशान नहीं होंगे।
अपने या किसी दूसरे के चिड़चिड़ेपन को नियंत्रित रखने के लिए जागरूक रहकर प्रयास करने की आवश्यकता है और सही भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में सक्षम बनने की दिशा में यह पहला कदम है।
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