बुरे वक्‍त में भी कैसे बनी रह सकती हैं पॉजिटिव, बता रहे हैं भारत के प्रमुख मनोचिकित्‍सक

इस आपदा के काल में उम्मीद का दामन थामना जितना मुश्किल है उतना ही जरूरी भी। इस मुश्किल समय में कैसे आशावादी रहना है, जानिए मनोचिकित्सक डॉ समीर पारेख से।
सकारात्‍मक सोच आपकी प्रोडक्टिविटी में भी इजाफा कर सकती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 10 Dec 2020, 11:27 am IST
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जब से देश में लॉकडाउन शुरू हुआ है, हम सभी भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं। इस स्थिति ने जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है चाहे हमारे रिश्ते हों, नौकरी हो या कैरियर। इस स्थिति में उम्मीद ढूंढना मुश्किल है! खासकर तब जब देश की अर्थव्यवस्था बुरे वक्त से गुजर रही है।
कोविड-19 पॉज़िटिव केस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही और हाल ही में आई फाइनेंशियल रिपोर्ट ने सभी को और निराश कर दिया है।

हमारे पास घबराने का कारण है, क्योंकि हमारे भविष्य का कोई हिसाब नहीं है। नौकरी ढूंढ़ते युवाओं से लेकर व्यापारियों और बिजिनेस कर रहे व्यक्ति सभी न केवल इस आर्थिक स्थिति से चिंतित हैं, बल्कि प्रभावित भी हो रहे हैं।

हमने पूरे विश्व को थमते देखा है, कभी न रुकने वाली सड़कों का खाली होना, हाथ मिलाना और गले मिलना अच्छे आचरण से खतरा बन गए और हम सभी का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। चिंता की बात यह है कि यह प्रभाव अभी बढ़ने ही वाला है, खास कर अर्थव्यवस्था पर।

मनुष्य इस प्रकार की विकट परिस्थितियों से पहले भी गुजर चुका है और इस बार भी हम कोई न कोई रास्ता जरूर खोज लेंगे। सच यही है कि चुनौतियों के बावजूद हम समाधान की ओर ही बढ़ रहे हैं।

देखा जाए तो लॉकडाउन सिर्फ खराब रहा हो, ऐसा भी नहीं है। हम नई-नई स्किल्स सीख रहे हैं, आत्मनिर्भर बन रहे हैं और एक-दूसरे से प्यार करने के साथ-साथ जताना भी सीख रहे हैं। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बेशक बढ़ा है, लेकिन उसका सकारात्मक प्रयोग अधिक हुआ है। प्रदूषण कम करके इस लॉकडाउन ने प्रकृति को भी लाभ ही पहुंचाया है।

कोरोनावायरस ने सिर्फ आपकी शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोरोनावायरस ने सिर्फ आपकी शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

माना कि हम अपने घरों में बंद रह रहकर ऊब चुके हैं, लेकिन इन निराशाजनक परिस्थितियों में भी उम्मीद की किरण देखी जा सकती है। उस उम्मीद को ढूंढने में सहायता के लिये हमने बात की जाने- माने मनोचिकित्सक डॉ समीर पारेख से। डॉ पारेख फोर्टिस अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियर साइंस के हेड और डायरेक्टर हैं।

इन विषम परिस्थितियों में आशावादी कैसे बनें?

हमें भविष्य हमेशा शांत और सेटल्ड ही सोचने में अच्छा लगता है। चाहें हम अगले ही पल से अनजान हों। ऐसे में जहां हमें पता है कि भविष्य में क्या होगा इसका कोई ठिकाना नहीं है, हमारा परेशान होना लाजिमी है। डॉ पारेख बताते हैं, “शुरुआत में आपको एक आश्वस्त और खुशहाल भविष्य सोचने में कठिनाई हो सकती है, लेकिन कुछ प्रयासों से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित कर सकते हैं।”

1. अपना ट्रिगर पॉइंट जानें

डॉ पारेख कहते हैं, “एंग्जायटी को खत्म करने के लिए पहले उसकी वजह जानना जरूरी है। अपनी एंग्जायटी को समझें। इसके बाद आप अपने ट्रिगर पॉइंट को समझ कर उन पर काबू कर पाएंगे।”

2. इंफेक्शन हो जाने के डर को काबू करें

डॉ पारेख बताते हैं, “अगर आपको डर है कि आप कोविड-19 वायरस से संक्रमित हो जाएंगे, आपको प्रीवेंशन पर जोर देना चाहिए। जिम्मेदार व्यक्ति बनें और सभी गाइडलाइंस का पालन करें। इससे आपको कम एंग्जायटी महसूस होगी।”

मास्‍क आपका सुरक्षा कवच है। चित्र: शटरस्‍टॉक

3. भविष्य आपके हाथ में नहीं है, यह आपको समझना ही होगा

भविष्य अनिश्चित है और यही उसकी विशेषता है। अगर हमें पता चल जाए कि आगे क्या होने वाला है तो जीवन का रस ही खत्म हो जाएगा।

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“ऐसी खबरें देखना छोड़ दें, जो आप में निराशा का संचार करती हैं। चाहे बढ़ते कोरोना काउंट हों या घटती इकोनॉमी, अगर आपको न्यूज देखने से चिंता होती है, तो उसे देखने की कोई जरूरत नहीं।”,कहते हैं डॉ पारेख। भविष्य की अनिश्चितता को समझें और चिंता छोड़ दें। जो बातें आपके बस में नहीं हैं, उन पर विचार करना या उन्हें लेकर चिंता करना व्यर्थ है। इसके बजाय हर दिन जीने पर ध्यान दें। जो आज आपके पास है उसका आनंद उठाएं।

4. खुद के लिए समय निकालें

डॉ पारेख सुझाव देते हैं कि अपने दिन को बराबर रूप से बाटें- कितनी देर आपको काम करना है और कितनी देर अपने लिए समय निकालना है। दिन भर काम करते रहना सही नहीं। अपने लिए समय निकालें हुए समय को खुद में इन्वेस्ट करें। कुछ नया सीखें या आपको जो काम पसंद है उन्हें समय दें।

अपने लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक।
अपने लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक।

जब आप अपनी पसंद के काम करते हैं, तो सकारात्मक महसूस करते हैं। सकारात्मक रहने के लिए आप यह काम कर सकते हैं-

प्रोडक्टिव रहें

डॉ पारेख सुझाव देते हैं,”जब आप व्यस्त होती हैं, तो नकारात्मक विचारों के लिए समय ही नहीं होता। इसके कारण आपके दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा आती है। व्यस्त रहने से आप भविष्य की चिंता छोड़ कर वर्तमान पर ध्यान देते हैं। यह मेंटल हेल्‍थ के लिए सबसे अच्छी बात है।”

हॉबीज में व्यस्त रहें

पुराने शौक हों या कोई नई हॉबी खोजें, महत्वपूर्ण है कि आप अपनी पसंद के काम में व्यस्त हों। काम के अलावा भी अपने लिए कुछ हॉबीज चुनें और उसमें समय बिताएं। इससे आपको कॉन्फिडेंट महसूस होगा और भविष्य के प्रति भी सकारात्मक महसूस होगा।

लोगों से बात करें

अपने दोस्तों और परिवार से बात करें। इससे आप खुश और आश्वस्त रहेंगे। अपने आपको सपोर्ट करते हैं और उम्मीद देते हैं। परिवार और दोस्त आपको नकारात्मक विचारों से लड़ने में मदद करेंगे।

डिजिटल माध्‍यमों से ही संवाद बनाए रखना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
डिजिटल माध्‍यमों से ही संवाद बनाए रखना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

स्वस्थ जीवन के लिए स्‍वस्‍थ दिनचर्या

एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता है। ऐसे में सकारात्मक रहने के लिए आपको अपने शरीर को भी स्वस्थ रखना होगा। व्यायाम करें, अच्छी डाइट लें, इससे आपके हॉर्मोन्स भी संतुलन में रहेंगे। हेल्दी लाइफ स्टाइल से आपको तनाव नहीं होगा।

आज पर ध्यान दें

कल क्या होगा इसकी चिंता छोड़ें और आज क्या कर सकते हैं उस पर ध्यान दें। दो दिन बाद आपको क्या करना होगा यह आप नहीं जानते, लेकिन अभी आपको क्या करना चाहिए यह तो जानते हैं न।

जो पल आपके हाथ में है सिर्फ उसमें जियें

यह परिस्थितियां सामान्य नहीं हैं लेकिन उम्मीद रखना बहुत जरूरी है। भविष्य का कोई हिसाब नहीं किया जा सकता, यह स्थिति होती या नहीं आपका भविष्य अनजान ही रहता। इसलिए सकारात्मक पहलू पर ध्यान दें। हमने बुरे वक्त को पहले देखा ही नहीं, उससे मुकाबला भी किया है और इस बार भी हम ही विजयी होंगे।

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