क्‍या आप में भी इन दिनों गुस्‍सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगा है? साइकेट्रिस्ट बता रहीं हैं इसकी वजह

हम जानते हैं कि दुनिया बदल गई है! नए सामान्य तरीकों में घुलने-मिलने के साथ-साथ निराशा और गुस्से की भावना आना  लाजिमी है। अगर आपने भी ऐसी भावनाएं महसूस की हैं, तो कृपया इसे पढ़ें।
krodh seht ko buri trh prabhavit krta hai.
क्रोध कभी-कभी आपके ध्याना को भटकाने वाली चीजों को दूर करके स्पष्टता लाता है। चित्र: शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 10 Dec 2020, 11:26 am IST
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हमारे वातावरण में होने वाले बदलावों के प्रति हमारे नर्वस सिस्टम की प्रतिक्रिया को ही भाव या भावना कहते हैं। जब भी हम ऐसी भावनाओं को अनुभव करते हैं, जो हमारे लिए अनुकूल हैं तब हमारे अंदर सकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे शरीर के अंदर हैप्पी केमिकल्स की उत्पत्ति होती है। पर दूसरी परिस्थितियों में अगर हम ऐसी घटनाओं का अनुभव करते हैं, जो हमारे लिए प्रतिकूल हैं, तो इसके परिणाम एकदम विपरीत हो जाते हैं। तब हमारे शरीर में स्‍ट्रेस हॉर्मोन उत्‍पन्‍न हो जाते हैं।

कोई भी ऐसी परिस्थितियां जिनमें हम खतरा और हानि महसूस करते हैं तब हमारे दिमाग में तनाव प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है। तब हमारे शरीर में स्ट्रेस केमिकल्स उत्पन्न होते हैं, जो कि फ्लाइट या फाइट मोड में काम करने लगते हैं।

तनाव से रखता है मुक्त। चित्र: शटरस्टॉक
तनाव से रखता है मुक्त। चित्र: शटरस्टॉक

अब क्योंकि गुस्सा इस पर निर्भर करता है कि हम अपना तनाव कैसे कंट्रोल करते हैं, तो इसी वजह से अलग-अलग लोग एक ही परिस्थिति में अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं। गुस्सा इन्हीं फाइट प्रतिक्रियाओं की अभिव्यक्ति‍ है जो हमें उग्रता के साथ पेश होने में मजबूर करती है। 

 कोविड 19 के तनाव में हमारी भावनाओं में बहुत से बदलाव हुए हैं

कोविड 19 महामारी, लॉकडाउन के प्रभाव, सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया पर नकारात्मक खबरें, सामाजिक आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी परिणामों से संबंधित अनिश्चितता के कारण समाज में संदेह और संघर्ष … इन सभी ने विश्वभर में तनाव की मात्रा को बढ़ा दिया है। जब बाहर तनाव को कंट्रोल करने की क्षमता हमसे पार चली जाती है और यह समस्या कभी खत्म नहीं होता तब हमारी भावनाओं के ऊपर हमारा कंट्रोल नहीं रह जाता है। इसकी वजह से यह बहुत बड़ा कारण हो जाता है कि हम जल्दी या बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं। कुछ और कारण जो हमारी भावनात्मक स्थिति को कंट्रोल करते हैं और हमारे गुस्से को बढ़ाते हैं वह कुछ इस प्रकार हैं: –

 1.आधी अधूरा या गलत जानकारी असल में हमारे जीवन में चिंता का कारण भी बन सकती है।

2.चिंता ऐसे में एक और अपराधी हो सकती है। यह अक्सर मांसपेशियों में तनाव, पेट में दिक्कत, धड़कन और कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे शारीरिक लक्षणों से जुड़ी है। ऐसे में स्‍वभाविक है कि हम मानसिक रूप से बार-बार नकारात्मक परिदृश्यों में आ जाते हैं। इससे बहुत अधिक निराशा और गुस्सा जैसी स्थिति पनप सकती है।

उन बातों से रहे दूर जो आपको दे रही है नकारात्मक ऊर्जा। चित्र: शटरस्टॉक
उन बातों से रहे दूर जो आपको दे रही है नकारात्मक ऊर्जा। चित्र: शटरस्टॉक

3.कोविड –19 तनाव के साथ चिंता के शारीरिक लक्षण का मिलना आपको और चिड़चिड़ा बना सकता है।

4.समाज के साथ एक नियमित रूप से दूरी बना लेने से हमें जो सकारात्मक ऊर्जा समाज द्वारा मिल रही थी वह खत्म सी हो जाती है, जिस कारण तनाव बढ़ जाता है और ऐसे में गुस्सा और निराशा जैसे भाव सामान्य है।

5.घर से काम और स्कूल ने हम सभी के लिए नई एडजस्टमेंट समस्याएं पैदा की हैं। सीमित स्थान और घरेलू कामकाज के साथ, मानो हर कोई अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहता है।

बागवानी तनाव कम करने में मददगार है। चित्र: शटरस्‍टॉक

6.कोरोना काल के इस माहौल में नकारात्मक विचार, स्‍वास्‍थ्‍य और कोरोना से पॉजिटिव हुए व्यक्तियों से दूरी एक तनाव से भरा माहौल उत्पन्न कर रही है। ऐसे में शांति की जगह लोग और चिड़चिड़े स्वभाव के बनते जा रहे है।

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यहां जाने अपने गुस्से को कम करने के लिए क्या करें

1.सकारात्मक रहें

यह नकारात्मकता के खिलाफ हमारा एक मात्र हथियार है, अगर हम लोगों से सुन कर यह मान लें कि अब चीजें बिखर जाएंगी तो न ही हम खुद को संभाल पाएंगे न ही दूसरों को।

तनाव और उदासी जिंदगी का हिस्‍सा हैं, इन्‍हीं के बीच से हमें खुश होने के बहाने ढूंढने हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

ऐसे में सकारात्मक विचार और सकारात्मक भावनाओं का होना हमारे अंदर तनाव को बढ़ने से रोकता है और गुस्से को भी कम करता है।

2.एहतियात बरतें

एहतियात बरतना सावधानी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि जब तक निश्चित इलाज नहीं मिल जाता है, तब तक यह बीमारी किसी को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे समय में हमें और भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अगर सभी लोग अपनी सेहत का ध्यान रखेंगे तो हम इसके फैलने की मात्रा को कम कर सकते हैं।

3.सबके प्रति आभारी रहें

हमारे आसपास मौजूद सभी तत्वों के प्रति आभारी होना चाहे वह मानव हो या न हो एक संतुलित और सही केमिकल बैलेंस ढूंढने और प्राप्त करने का एक बहुत अच्छा तरीका है। जिससे कि हम अपने गुस्से को और अपनी व्याकुलता को रोक सकते हैं। 

4.खुद को सांत्वना देने की आदत डालें

हम सब से यह आशा करते हैं कि वह हमारे मूड को समझेंगे, परंतु बहुत मुश्किल से ही उनकी राय हमारे पक्ष में होगी। जब आप किसी भी बात को लेकर क्रोधित हों तो खुद को तुरंत संभालें।

5.कंट्रोल करने की क्षमता रखें

किसी भी चीज में ढलने के लिए हमें परिस्थितियों को स्वीकार करना होगा और उन सभी परेशानियों या परिस्थितियों को कंट्रोल करना होगा। दैनिक परिस्थितियां जैसे कि बिजली कट जाना, गर्म मौसम, रोड के बीच में गाड़ी खराब हो जाना- इन सब के खिलाफ हमें अपने आप पर कंट्रोल रखना होगा। जिससे कि किसी और पर इल्जाम लगाने या अपने और हार जाने की परिस्थितियों को डील करने के लिए हमें शक्ति मिलेगी।

यह आपको तनाव मुक्‍त करता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
यह आपको तनाव मुक्‍त करता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

हमें यह सोचना बंद करना होगा कि दुनिया फिर उसी परिस्थिति में चली जाएगी, जिस समय में वह पहले थी। अब हमें यह सोचना चालू करना होगा कि हम आज की परिस्थितियों में अच्छी तरीके से घुल मिल जाए और आज को अच्छी तरह से जी पाएं।

यह भी देखे:अब खेल-खेल में खत्‍म करें तनाव, हम बता रहे हैं तनाव मुक्‍त करने वाले 4 खिलौने 

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