जानिए ट्रॉमा का मेंटल हेल्थ पर होने वाला बुरा असर, कैसे किया जा सकता है इसे अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए दूर

कई बार कुछ बुरी घटनाओं के असर एक लंबे अरसे तक हमारे साथ रहते हैं। ऐसी ही एक स्थिति को कहते हैं ट्रॉमा। ट्रॉमा का असर कई बार गंभीर भी हो सकता है लेकिन कुछ उपाय (how to overcome trauma) अपना कर इसे अपने जीवन से पूरी तरह से दूर भी किया जा सकता है।
Trauma ko thik karna hai jaroori
ट्रॉमा को ठीक करना है जरूरी। चित्र:शटरस्टॉक
Published On: 4 Feb 2025, 08:00 pm IST

अंदर क्या है

  • क्या होता है ट्रॉमा?
  • ट्रॉमा के मानसिक असर 
  • ट्रॉमा का शारीरिक असर 
  • ट्रॉमा के असरों से बचने के उपाय 

जीवन अप्रत्याशित है। कई बार ये ऐसी खुशियों को लेकर आता है जिसकी उम्मीद हमने नहीं की होती, और कई बार ये उतने ही बड़े दुख भी लाता है, जिसको हम सोच भी नहीं सकते। उन दुखों के अपने नतीजे होते हैं, अपने असर होते हैं लेकिन कई बार उनके असर एक लंबे अरसे तक हमारे साथ रहते हैं। ऐसी ही एक स्थिति को कहते हैं ट्रॉमा। ट्रॉमा का असर कई बार गंभीर भी हो सकता है लेकिन कुछ उपाय अपना कर इसे अपने जीवन से पूरी तरह से दूर (how to overcome trauma) भी किया जा सकता है। आज हम एक्सपर्ट की मदद से उन्हीं तरीकों के बारे में बात करने वाले हैं।

ट्रामा क्या होता है? ( What is trauma)

ट्रामा उस गहरे मानसिक या शारीरिक आघात को कहते हैं जो किसी व्यक्ति के जीवन में अचानक आता है। यह किसी भी बड़ी और डरावनी घटना का नतीजा हो सकता है। इसमें कोई सड़क दुर्घटना भी हो सकती है और ये तब भी हो सकता है जब व्यक्ति कुछ ऐसा देख ले जिसकी उसने उम्मीद न की हो। कई बार इसके पीछे किसी भी तरह का उत्पीड़न भी होता है जैसे फिजिकल हैरासमेंट, सेक्सुअल हैरासमेंट।

ऐसी स्थिति में मरीज को बार-बार वो घटनाएं (how to overcome trauma) याद आती हैं जिसकी उसने उम्मीद नहीं की होती है। इस वजह से मेंटल हेल्थ पर बुरे तौर पर असर पड़ता है। कई बार तो ये समस्या सिर्फ मानसिक भी नहीं होती, शरीर पर भी इसका असर पड़ता है। मरीज के अंदर सिर दर्द, पेट की समस्या और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण भी दिखने लगते हैं।

ट्रॉमा का असर ( Effects of trauma)

1. चिंता और घबराहट (Anxiety and Panic Attacks)

न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर राजीव अग्रवाल के मुताबिक, ट्रामा के बाद बहुत से लोग अचानक घबराहट महसूस करने लगते हैं। हर छोटी चीज़ से डर लगने लगता है, जैसे कोई आवाज़, या किसी जगह पर जाने से डर लगने लगता है। ऐसा लगता है जैसे कोई खतरा सामने है भले ही वह खतरा वाकई में न हो। कई बार ये पैनिक अटैक में भी बदल जाता है, जिसमें मरीज को खूब डर लगने लगता है और कई बार उसे सांस लेने में भी दिक्कत (how to overcome trauma) होती है।

2. अवसाद (Depression)

ट्रामा के बाद अक्सर इंसान की मानसिक स्थिति बहुत खराब हो जाती है। ऐसा लगता है जैसे सब कुछ खत्म हो यार,गया हो और कुछ भी अच्छा (how to overcome trauma) नहीं हो सकता। जब किसी अपने का जाना या कोई बड़ा हादसा होता है तो उस दर्द को हम अक्सर अंदर दबा लेते हैं। लेकिन धीरे-धीरे ये दर्द गहरे अवसाद में बदल सकता है और इंसान को ऐसा लगने लगता है कि जीने की कोई वजह ही नहीं है। इसी वजह से मानसिक थकान और खालीपन बढ़ता जाता है और फिर हर चीज़ बेकार लगने लगती है।

3. PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder)

डॉक्टर राजीव कहते हैं कि अगर ट्रामा बहुत गहरा (how to overcome trauma) हो, तो इससे PTSD भी हो सकता है। ये वो हालात होते हैं जब उस हादसे की यादें किसी फिल्म की तरह बार-बार सिर में घूमने लगती हैं ।

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ट्रॉमा से पीड़ित लोग अक्सर दर्दनाक घटना के जबरदस्ती याद आने वाले विचारों का अनुभव करते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक

वो ख्याल या भयानक तस्वीरें अचानक से दिमाग में आकर घबराहट बढ़ा देती हैं। और ये सिर्फ कुछ देर के लिए नहीं बल्कि हमेशा ऐसी तसवीरें और आवाजें फिर से वहीं जगह पर ले आती हैं। दिमाग में ये सीन इतने बार चलने लगते हैं कि इंसान डर और घबराहट से बाहर नहीं निकल पाता।

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4. भावनात्मक तौर पर शून्यता (Emotional Numbness)

जब ट्रामा गहरा हो तो इंसान धीरे-धीरे अपनी भावनाओं (how to overcome trauma) को बिल्कुल ठंडा महसूस करने लगता है। जैसे कुछ महसूस ही न हो रहा हो। खुशी, दुख, या किसी और इमोशन का कोई फर्क नहीं पड़ता।

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ट्रॉमा से पीड़ित व्यक्ति अक्सर खुद को दुनिया से काट लेते हैं। चित्र:शटरस्टॉक

सब कुछ बहुत खाली और बेजान लगने लगता है। ऐसा लगता है जैसे अंदर सब कुछ ठंडा हो गया हो और जिंदगी जैसे एक जड़ अवस्था में फंसी हो। भावनाओं का कोई मतलब नहीं रह जाता और वो खुद को पूरी तरह से नकारने की स्थिति में होते हैं।

ट्रॉमा का शारीरिक असर

ट्रामा सिर्फ मानसिक तौर पर ही परेशानियाँ नहीं देता बल्कि शारीरिक तौर पर असर (how to overcome trauma) भी करता है जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यह इतने सटल तरीके से होता है कि कई बार हमें समझ ही नहीं आता कि ये सब मानसिक तनाव की वजह से हो रहा है। जैसे-

1. नींद की समस्या (Sleep Problems)

जब हम ट्रामा का शिकार होते हैं तो नींद में भी काफी दिक्कत हो सकती है। कई बार तो रातभर सो नहीं पाते या फिर सोने के बाद बुरे सपने आने लगते हैं। और ये सपने बहुत अजीब और डरावने होते हैं जिसमें वही हादसा दोबारा घटने (how to overcome trauma) का डर होता है। इससे नींद तो खराब होती ही है, साथ ही रातभर की बेचैनी और तनाव पूरी रात की नींद को खत्म कर देती है।

2. शरीर में दर्द (Physical Pain)

अगर दिमाग परेशान होता है तो शरीर भी उस तनाव को महसूस करता है। जैसे सिर में दर्द, पेट में ऐंठन, या फिर मांसपेशियों में अकड़न। यह दर्द मानसिक तनाव का नतीजा होता है। कई बार ये दर्द इतना बढ़ जाता है कि इंसान को समझ ही नहीं आता कि ये सब दिमागी दबाव की वजह से हो रहा है। और फिर वो सोचता है कि कहीं शरीर में कोई गड़बड़ (how to overcome trauma) तो नहीं हो गई जबकि असल में ये सब मानसिक तनाव का असर होता है।

3. भूख में बदलाव (Change in Appetite)

ट्रामा का असर हमारी भूख पर भी पड़ सकता है। कुछ लोग तो खाना बिल्कुल छोड़ देते हैं और कुछ लोगों को भूख का बिल्कुल एहसास नहीं होता। ऐसा भी होता है कि कुछ लोग बहुत ज्यादा खाने लगते हैं कि खाकर ही कुछ राहत (how to overcome trauma) मिल जाए। ये सब शारीरिक बदलाव हमारे मानसिक तनाव की वजह से होते हैं। कभी समझ नहीं आता कि भूख क्यों बदल गई लेकिन असल में यह सब दिमागी स्थिति का ही असर है।

ट्रामा से उबरने के तरीके (how to overcome trauma)

1. काउंसलिंग और थेरेपी (how to overcome trauma)

डॉक्टर राजीव कहते हैं कि सबसे पहला और सबसे जरूरी कदम है काउंसलिंग। ट्रामा से उबरने के लिए कभी-कभी किसी प्रोफेशनल से मदद लेना बेहद जरूरी होता है।

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ट्रॉमा से उबरने में काउंसलिंग और थेरेपी आपकी मदद कर सकती हैं। चित्र – शटरस्टॉक

थेरेपिस्ट या काउंसलर आपकी परेशानी को सुनकर आपको सही सुझाव (how to overcome trauma) दे सकते हैं। इसके अलावा फेमिली सपोर्ट भी अहम है क्योंकि कभी-कभी हमें खुद को व्यक्त करने के लिए एक भरोसेमंद इंसान की ज़रूरत होती है।

2. सपोर्ट सिस्टम (how to overcome trauma)

अगर आपके पास परिवार और दोस्त हैं, तो उनसे मदद लीजिए। बहुत बार ऐसा होता है कि हम अपने दर्द को छिपाने की कोशिश करते हैं लेकिन जब हम किसी अपने के साथ उसे साझा करते हैं तो हमें हलका महसूस होता है। उनका सहारा आपको उस वक्त बहुत ज़रूरी (how to overcome trauma) लगता है।

3. शारीरिक गतिविधियाँ (how to overcome trauma)

योग, एक्सरसाइज, या प्राणायाम – ये सब शारीरिक गतिविधियाँ ट्रामा से उबरने में मदद करती हैं। ये ना केवल शरीर को स्वस्थ रखती हैं बल्कि मानसिक स्थिति को भी बेहतर (how to overcome trauma) करती हैं। जब आप अपने शरीर पर ध्यान देंगे तो मन भी थोड़ी शांति पाएगा।

4. ध्यान

ध्यान मानसिक तनाव को कम करने का बेहतरीन जरिया (how to overcome trauma) है। थोड़ी देर के लिए रोज ध्यान लगाना आपको किसी भी बड़े ट्रॉमा से उबरने में मदद कर सकता है। ऐसे वक्त में जब ट्रॉमा की वजह से घबराहट या पैनिक अटैक्स हो रहे हों तब लंबी सांसें लेना भी फायदेमंद है। ध्यान आपके मन में आ रहे नेगेटिव सोच से उबरने में (how to overcome trauma) आपकी मदद कर सकता है।

5. खुद से बात करें (how to overcome trauma)

मानसिक तौर पर किसी भी समस्या से उबरने का सही तरीका है (how to overcome trauma) खुद को ये यकीन दिलाना की सब सही हो जाएगा। ऐसे में खुद से बात करते रहना बहुत अहम है। बार बार मन में ये दोहराते रहना कि ये सब कुछ देर के लिए है और आप इससे उबर जाएंगे, ये तरीका अवसाद या ट्रॉमा से निकलने में आपकी मदद (how to overcome trauma) कर सकता है।

इसके अलावा आपको इस बात का ध्यान रखना है कि अगर ट्रॉमा के लक्षण गंभीर नजर आ रहे हैं और आप लगातार पैनिक अटैक का शिकार हो रहे हैं तो डॉक्टर या काउन्सलर से मिलने से परहेज नहीं करना है। कई बार दवाइयों के जरिए भी ट्रॉमा के असर कम किये जाते हैं, इसलिए इलाज की तरफ बढ़ने में बिल्कुल भी हिचकिचाना नहीं है।

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लेखक के बारे में
राेहित त्रिपाठी
राेहित त्रिपाठी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और लिखने-पढ़ने की आदत। रेख्ता, पॉकेट एफएम, राजस्थान पत्रिका और आज तक के बाद अब हेल्थ शॉट्स के लिए हेल्थ, फिटनेस, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान पर रिसर्च बेस्ड लेखन।

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