Negative thinking: जीवन में तनाव और मुश्किलें बढ़ा देती हैं नकारात्मक सोच, जानिए इससे कैसे उबरना है

वे लोग जो हर चीज़ को शक की नज़र से देखते हैं और हर वक्त चिंता से घिरे रहते है। ऐसे लोग नकारात्मकता का शिकार होने लगते हैं, जिसका असर व्यक्ति विशेष के जीवन परे धीरे धीरे नज़र आने लगता है।
negative emotion ka control
रचनात्मक तरीके से भावनाओं की अभिव्यक्ति से नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 10 Feb 2024, 20:00 pm IST
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किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क में अच्छे और बुरे दो प्रकार के विचार मौजूद रहते हैं। विपरीत परिस्थितियों, निगेटिव फ्रैंड सर्कल और टॉक्सिक पार्टनर किसी व्यक्ति के जीवन में बढ़ने वाली नकारात्मकता का कारण साबित होते हैं। निगेटिव थॉटस की गिरफ्त में आने से सिचुएशन को देखने के नज़रिए से लेकर उनसे डील करने के तरीके में अंतर आने लगता है, जिसका मानव व्यवहार पर गहरा प्रभाव नज़र आने लगता है। इससे व्यक्ति हर चीज़ को शक की नज़र से देखने लगता है और हर वक्त चिंता से घिरा रहता है। ऐसे लोग नकारात्मकता ( negative thinking ) का शिकार होने लगते हैं, जिसका असर व्यक्ति विशेष के जीवन परे धीरे धीरे नज़र आने लगता है।

जीवन में बढ़ने वाली नकारात्मकता का कैसे पता लगाएं

इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि नकारात्मकता के चलते शरीर में स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। इसके फलस्वरूप व्यक्ति हर पल तनाव, चिंता, उलझन, बेचैनी, घबराहट और नींद न आने की समस्या से घिरा रहता है। इसके अलावा नकारात्मक व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से में हर पल दर्द, सुन्नपन, झुंझलाहट महसूस होना और बेहोशी की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। इससे व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित होने लगता है।

Negative thoughts se duri banakar rakhein
नकारात्मकता को पॉजिटिविटी में बदलें और दूसरों के बारे में सोचना छोड़ दें। चित्र : शटरस्टॉक

नकारात्मक विचार कैसे जीवन को करते हैं प्रभावित

1. कार्यक्षमता पर पड़ता है प्रभाव

अगर आप हर वक्त नकारात्मकता से भरे रहेंगे या नकारात्मक लोगों से घिरे रहेंगे, तो उससे सोचने समझने का ढ़ग बदलने लगता है। इससे व्यक्ति की पूरी एनर्जी कार्य में लगने की बजाय सोचने में खर्च होने लगेगी। इससे वर्क प्रोडक्टिविटी कम होने लगती है और क्वालिटी भी कम होने लगती है।

2. अपॉरच्यूनेटिक इंफेक्शन के शिकार

डॉ युवराज पंत के अनुसार ऐसे लोग जो अक्सर चिंताग्रस्त रहते हैं उनमें अपॉरच्यूनेटिक इंफेक्शन पनपने का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे लोग हर पल किसी न किसी संक्रमण से घिरे रहते हैं। उनके विचार नकारात्मकता को आपनी ओर आकर्षित करते हैं। मौसम बदलने के साथ ऐसे लोग सक्सर संकमण का शिकार हो जाते हैं। इससे इनकी ओवरऑल हेल्थ प्रभावित होती है।

3. सेल्फ डेवलपमेंट में बाधा

दूसरों के बारे में सोचना, निंदा करना और ईर्ष्या किसी भी व्यक्ति को सफल होने से रोकने लगते हैं। इसका प्रभाव व्यक्ति की सेल्फ डेवलपमेंटपर भी नज़र आने लगता है। दूसरों के बारे में सोचने से व्यक्ति को सेल्फ प्रोगरेस के लिए समय नहीं मिल पाता है। ऐसे लोग जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं और सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पाते हैं।

Negativity se kaise rahein dur
दूसरों के बारे में सोचने से व्यक्ति को सेल्फ प्रोगरेस के लिए समय नहीं मिल पाता है। चित्र : शटरस्टॉक

4. संतुष्टि का अभाव

निगेटिव थॉटस रखने वाले लोग अपने जीवन और कार्यों से कभी संतुष्ट नहीं हो पाते हैं। वे दूसरों से आगे बढ़ने की बजाय उन्हें देखकर जलन महसूस करते हैं। इसके चलते उन्हें सेटिसफेक्शन नहीं मिल पाती है, जिससे वे हर वक्त असंतुष्ट महसूस करते हैं।

इस समस्या से कैसे बाहर आएं

1. जीवन की वास्तविकता को स्वीकारें

विचारों को सकारात्मक करने के लिए इस बात को स्वीकारना होगा कि दुनिया में हर चीज़ हमारे अनुसार हो ये जरूरी तो नहीं। इसके लिए परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढ़ालना बेहद आवश्यक है। साथ ही जीवन में हर हालात में खुद को खुश और संतुष्ट रखना ज़रूरी है।

2. टीमवर्क में रखें विश्वास

दूसरों से आगे निकलने की होड़ एक वक्त पर जाकर व्यक्ति को अकेला और तनावग्रस्त बना देता है। इस समस्या से निपटने के लिए अन्य लोगों से जलन और ईर्ष्या का भाव रखने की बजाय उनके साथ मिलकर काम करें और उनसे निरंतर सीखने का प्रयास करते रहें। इससे ईष्या और द्वेष जैसे भाव लुप्त होने लगते हैं।

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अन्य लोगों से जलन और ईर्ष्या का भाव रखने की बजाय उनके साथ मिलकर काम करें और उनसे निरंतर सीखने का प्रयास करते रहें।चित्र: शटरस्टॉक

3. विपरीत परिस्थिति में शांत रहें

हर पल खुद को बेहतर साबित करने का आपका प्रयास आपके अन्य लोगों से दूर करने लगता है। ऐसे में किसी भी कार्य को अंजाम तक पहुंचाने या विपरीत परिथ्थितियों का सामना करने के लिए खुद को शांत रखें। गहन चिंतन के बाद ही कोई भी कदम उठाएं।

4. योग और मेडिटेशन

टॉक्सिक विचारधारा जीवन के लिए स्लो पॉइज़न का काम करती है। इससे बाहर निकलने के लिए योग और मेडिटेशन की मदद लें। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर कुछ वक्त योग क्रियाओंके लिए निकालें और मेडिटेशन भी करें। इससे मन में उठने वाले विचार, शंकाएं और चिंताएं दूर होने लगती है और खुशियां बढ़ने लगती हैं।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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