यदि आपको छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है या हर बात पर चिड़चिड़ी होने लगती हैं, तो यह कोई आम बात नहीं है। कभी-कभी का गुस्सा या चिड़चिड़ापन सामान्य हो सकता है, लेकिन अक्सर ऐसा होना आपके मानसिक स्वास्थ्य के कमजोर होते जाने को दर्शाता है। जिसकी परिणति डिस्थीमिया (Dysthymia) के रूप में भी हो सकती है।
हालांकि यह जरूरी है समग्र स्वास्थ्य के लिए शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए। पर जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है, तो हम जाने-अनजाने उसे नजरअंदाज करने लगते हैं। जो आगे चलकर अवसाद का कारण बन जाता है।
कभी खुश न होना, खुद के काम से संतुष्ट न होना, कभी खुद को सेल्फ मोटिवेट न कर पाना और हद से ज्यादा नेगेटिव सोचना, ये वे संकेत हैं जो डिस्थीमिया नामक मानसिक विकार की सूचना देते हैं।
इन्हें समझना और वक्त पर इन समस्याओं से निपटना बहुत जरूरी है। इसको एक प्रकार का डिप्रेशन कहा जाए तो यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा। चलिए विस्तार से डिस्थीमिया के बारे में जानते हैं।
यह एक मानसिक विकार है। इस समस्या में गहरी उदासी और निराशा की भावना पैदा होने लगती है। हालांकि मूल डिप्रेशन और डिस्थीमिया के लक्षणों में ज्यादा अंतर नहीं है। डिस्थीमिया पीपीडी (पर्सिस्टेंस डिप्रेसिव डिसोर्डर) और डिप्रेशन एमडीडी (मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर)। सरल भाषा में समझा जाए, तो यह है मूल डिप्रेशन से हल्का डिप्रेशन है।
पीपीडी : यह अवसाद का एक ऐसा रूप है जो लंबे वक्त तक भी आप पर हावी रह सकता है। यह एमडीडी से कम गंभीर है। हालांकि यह आपके रिश्तों, पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, दैनिक गतिविधियां पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
एमडीडी : इसमें आपके सोचने, महसूस करने, कार्य करने के तरीकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई बार जब यह काफी हावी हो जाता है, तो आप अपनी दैनिक गतिविधियों को करने में भी असमर्थ हो जाते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ का डाटा बताता है कि साल 2019 में करीब 19 मिलियन अमेरिकियों ने अवसाद का सामना किया। डिस्थायमिया किन कारणों से होता है इस बात की स्पष्ट जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। हालांकि कुछ कारक है जिनको इसके लिए दोषी ठहराया जा सकता है जैसे :
यदि वक्त रहते इस समस्या को समझा और इसका इलाज न कराया जाए, तो यह गंभीर अवसाद का रूप ले सकता है। ऐसे में किसी भी लक्षण का अनुभव होने के बाद आप को फौरन किसी साइकोलॉजिस्ट की आवश्यकता होगी। इसके अलावा यदि आपकी जीवनशैली गतिहीन है तो योग और मेडिटेशन के माध्यम से अपनी इस समस्या को काबू कर सकते हैं। हालांकि चिकित्सा सलाह बहुत अनिवार्य है।
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