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क्या मिठास का आपकी मेंटल हेल्थ पर कोई असर होता है? आइए पता करते हैं

जब आप खुश होती हैं, तो उसे मीठे के साथ सेलिब्रेट करती हैं। मगर जब दुखी होती हैं, तब भी मीठा ही आपको अपनी ओर आकर्षित करता है। आखिर क्या है मिठास और हमारी मेंटल हेल्थ का संबंध।
डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं हैए बल्कि सामाजिक क्षमताओं और मेमोरी को प्रभावित करने वाला एक कारक है। चित्र अडोबी स्टॉक
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हेल्दी लाइफ के लिए सभी मीठा कम करने की सलाह देते हैं। पर क्या वजह है कि हर खुशी और गम में हम मीठे की तरफ दौड़ पड़ते हैं? बर्थडे सेलिब्रेट करने से लेकर ब्रेकअप तक हर बार हमें मीठा ही क्यों याद आता है? मिठास और आपकी ब्रेन हेल्थ के इसी संबंध को जानने के लिए आइए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

आपका मन और मिठास

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, अधिकांश अमेरिकियों को अपने दैनिक कैलोरी का लगभग 13% चीनी से मिलता है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि दैनिक कैलोरी का केवल 5% ही चीनी से होना चाहिए।

क्या मिठास का आपकी मेंटल हेल्थ पर कोई असर होता है? चित्र- शटरस्टॉक।

यह आंकड़े बताते हैं कि हम सभी चीनी के कितने शौकीन हैं! न सिर्फ अमेरिकी, बल्कि भारतीय भी मीठे के बिना नहीं रह सकते। मगर, मिठास से मस्तिष्क का क्या संबंध है? जो हम इसे चाह कर भी छोड़ नहीं पाते।

चाहे हम खुश हों या दुखी मीठा खाकर हमारा मन प्रसन्न हो जाता है! मगर इसके पीछे का कारण क्या है? क्या मेंटल हेल्थ और मिठास का कोई संबंध है? चलिये पता करते हैं।

आपके मूड को प्रभावित करती है मिठास

2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि चीनी में उच्च आहार लेने से पुरुषों और महिलाओं में मूड डिसऑर्डर की संभावना बढ़ सकती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 2019 के एक हालिया अध्ययन में पाया कि संतृप्त वसा और अतिरिक्त शर्करा का नियमित सेवन 60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में एंग्जायटी को बढ़ाने वाला था।

क्या आप ज्यादा चीनी का सेवन कर रही है? चित्र:शटरस्टॉक

जानिए चीनी और मेंटल हेल्थ से जुड़े एक अध्ययन में क्या सामने आया

कई अध्ययनों में अवसाद और चीनी में उच्च आहार के बीच संबंध पाया गया है। चीनी का अधिक सेवन मस्तिष्क के कुछ रसायनों में असंतुलन को ट्रिगर करता है। ये असंतुलन अवसाद का कारण बन सकते हैं और कुछ लोगों में मानसिक स्वास्थ्य विकार के विकास के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं।

वास्तव में, 2017 के एक अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अधिक मात्रा में चीनी (67 ग्राम या अधिक प्रतिदिन) का सेवन किया, उनमें 5 वर्षों के भीतर क्लिनिकल डिप्रेशन होने की संभावना 23 प्रतिशत अधिक थी।

बस कुछ देर रहती है मिठास से मिलने वाली खुशी

चीनी आपके मस्तिष्क में हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी एड्रेनल (hypothalamic pituitary adrenal) को दबाकर आपकी थकान को कम करती है। जो तनाव के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस के शोधकर्ताओं ने पाया कि चीनी स्वस्थ महिला प्रतिभागियों में तनाव-प्रेरित कोर्टिसोल स्राव को रोकती है और चिंता और तनाव की भावनाओं को कम करती है। कोर्टिसोल को तनाव हार्मोन के रूप में जाना जाता है।

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इन सब की वजह से आप कब मीठा खाने की आदी हो जाएंगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। साथ ही आप मोटापे और अन्य बीमारियों की शिकार भी हो सकती हैं।

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ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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