आज जब पूरा सोशल मीडिया ऑर्गेज्म की बहस में उलझा नज़र आता है, तो ऐसे में यह समझना ज़रूरी हो जाता है कि ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए सबसे ज्यादा क्या जरूरी है? ज्यादातर लोग इसके लिए हेल्दी सेक्स, अच्छे पार्टनर और माहौल की जरूरत बताते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि ऐसा भी एक ऑर्गेज़्म है, जिसमें पार्टनर की जरूरत ही नहीं! हैरान हो गईं न? पर यह बिल्कुल संभव है। इसे ब्रेन ऑर्गेज़्म (Brain orgasm) या घोस्ट इंटिमेट प्लेज़र (Ghost intimate pleasure) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
बात कृष्ण की हो प्रेम का ज़िक्र न आये ऐसा तो ही नहीं सकता, कृष्ण का नाम राधा के नाम के बिना पूरी तरह अधूरा है। कृष्ण और राधा ऐसे प्रेम को प्रतिबिंबित करते हैं जो प्रेम की तमाम वर्जनाओं और सामाजिक बन्धनों से परे है। शायद यही कारण है कि प्रेम की पराकाष्ठा दर्शाने के लिए के लिए श्री कृष्ण और राधा का नाम लिया जाता है। पर ऑर्गेज्म या प्रेम के चरमोत्कर्ष पर पहुंचने के लिए राधा या कृष्ण सा साथी होना ही ज़रूरी नहीं है बल्कि ज़रुरत है अपने दिमाग को इसके लिए तैयार करने की.
बिना किसी मूवमेंट के भी ऑर्गेज्म है संभव
एक अन्तर्राष्ट्रीय टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘स्ट्रेंज सेक्स’ में फीचर किए जाने वाले बारबरा कैरेलस ने इस बारे में बताया कि 1980 में जब न्यूयॉर्क में एड्स फैला हुआ था, तब सेक्स या ऑर्गेज्म अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा था। ऐसे में उन्होंने पहली बार ब्रेन ऑर्गेज्म के बारे में जाना।
इस प्रक्रिया में चरम सुख तक पहुंचने के लिए आप अपने ब्रेन को ट्रेन करते हैं जिसकी वजह से ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए आपको कई बार शरीर के किसी अंग को हिलाने तक की आवश्यकता नहीं होती।
क्या है ब्रेन ऑर्गेज्म
बिना सम्भोग के ऑर्गेज्म तक पहुंचना ब्रेन ऑर्गेज्म के नाम से जाना जाता है। इसे इस तरह समझना चाहिए कि दिमाग सपनों के माध्यम से भी कामोन्माद की ओर ले जा सकता है। स्वप्न में होने वाला स्खलन इसका एक उदाहरण मात्र है। इसे घोस्ट इंटीमेट प्लेज़र के तौर पर भी जाना जाता है। जिसे आमतौर पर पक्षाघात यानी लकवा ग्रस्त पुरुषों और महिलाओं को अभ्यास में लाते देखा गया है।
अध्ययनों से पता चला है कि योग व ध्यान मन और शरीर पर केन्द्रित करके शरीर में इच्छा और कामोत्तेजना को बढ़ाया जा सकता है। 2013 में एनसीबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट सेक्स ब्रेन और ऑर्गेज्म के बीच के मजबूत संबंधों की पुष्टि करती है।
शोधकर्ता बताते हैं कि महिला प्रोलैक्टिन मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा निर्मित एक हॉर्मोन है, जो संभोग के बाद रक्तप्रवाह में फैलता है। जिसके फैलने की गति और प्रवाह आपके कामोन्माद पर निर्भर करती है। यह हॉर्मोन ही ऑर्गेज्म तक ले जाता है।
क्या कहते हैं शोध
रटगर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मन-शरीर-सेक्स के बीच संबंध पर अध्ययन करते हुए पाया कि व्यक्ति के मस्तिष्क के कुछ हिस्से जब चरमोत्कर्ष के विषय में सोचते हैं तो ऑर्गेज्म तक पहुंचने के लिए आपको किसी पार्टनर की ज़रुरत नहीं रह जाती है। इसके लिए आवश्यकता है तो बस अपने दिमाग को इस तरह ट्रेन करने की।
अपने आप कामोन्माद के बारे में सोचने का यह कॉन्सेप्ट न तो अनोखा है और न ही नया। 1970 के दशक की शुरुआत में, मास्टर्स एंड जॉनसन रिसर्च टीम ने कामुकता और विचार के बीच मजबूत संबंध की पुष्टि की है।
लेखक और सेक्स थेरेपिस्ट डॉ. इयान कर्नर अपनी किताब में कहते हैं कि महिलाओं के लिए यह ज़्यादा आसान है। मस्तिष्क आपके शरीर का सबसे शक्तिशाली यौन अंग है। कार्नर के अनुसार जहां पुरुषों को बिना किसी स्पर्श के खुद को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाने में काफी समय लगता है, लेकिन महिलाओं के लिए यह इतना मुश्किल नहीं है।
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