संभव है कि हमेशा शांत रहने वाली आपकी मां अचानक चीखने-चिल्लाने वाली हो गई हो। उन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगा हो और कभी-कभी तो वे रोने भी लगती हो। इस पर आप सोच में पड़ जाती होंगी और हैरान होकर कहने लगती होंगी कि ये मां को क्या हो गया है। पर ये सिर्फ हैरान होने या सोचने का समय नहीं है, बल्कि आगे बढकर इसके निराकरण के लिए प्रयास करने का है। एक्सपर्ट कहते हैं कि लंबे समय तक डायबिटीज रहने पर व्यक्ति की मेंटल हेल्थ प्रभावित होने लगती है। डायबिटीज या ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढाव मेंटल हेल्थ (diabetes affect mental health) को कैसे प्रभावित करता है, इसके बारे में मनस्थली की फाउंडर और सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर ने विस्तार से जानकारी दी।
अक्टूबर 2013 में फिलाडेल्फिया में मेंटल हेल्थ इश्यूज ऑफ़ डायबिटीज पर एक कांफ्रेंस आयोजित हुआ। सम्मेलन में फिलाडेल्फिया के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ, डायबिटीज पेशेंट-उनके परिवार, डायबिटीज फोरम, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट आदि ने भी भाग लिया।
इस कांफ्रेंस से यह निष्कर्ष निकाला गया कि ब्लड शुगर लेवल में बदलाव यानी ब्लड शुगर का घटना- बढना मेंटल हेल्थ को बहुत अधिक प्रभावित कर देता है। डायबिटीज पर हुए शोध बताते हैं कि बिना मधुमेह वाले लोगों की तुलना में मधुमेह वाले लोगों में अवसाद होने की संभावना 2 से 3 गुना अधिक होती है। मधुमेह वाले केवल 25% से 50% लोग जिन्हें अवसाद है, उनका निदान और उपचार किया जाता है।
इसमें उपचार-चिकित्सा, दवा, या दोनों-आमतौर पर बहुत प्रभावी होते हैं। उपचार के बिना अवसाद अक्सर बदतर रूप ले लेता है। बिना दवा के सुधार संभव नहीं है। अनियमित ब्लड शुगर लेवल और इंसुलिन लेवल ब्रेन के साथ-साथ साइकोलॉजिकल स्टेटस को भी प्रभावित करता है।
डॉ. ज्योति कपूर कहती हैं, ‘ब्लड शुगर यदि कंट्रोल नहीं रहता है, उसमें उतार-चढाव आते हैं, तो यह अक्सर मूड में तेजी से बदलाव का कारण बनती है। ब्लड शुगर लेवल में बदलाव आने पर व्यक्ति का मूड भी तेजी से बदलता है। इस स्थिति को मैनेज करना भी काफी तनावपूर्ण हो सकता है। इसका प्रभाव घर-परिवार के सदस्यों, रिश्तों पर भी पड़ सकता है।
यदि ब्लड शुगर लेवल कम होता है, तो व्यक्ति को भ्रम, घबराहट, एंग्जायटी होने लगती है।
उसकी भूख, समन्वय शक्ति यहां तक कि एकाग्रता भी प्रभावित होती है। निर्णय लेने में कठिनाई, आक्रामकता, चिड़चिड़ापन, अधीरता और व्यवहार परिवर्तन जैसे लक्षणों का भी वह अनुभव करने लगता है। नींद न आना या बहुत अधिक सोना भी हो सकता है।’
डॉ. ज्योति कपूर कहती हैं, ‘जब ब्लड शुगर का लेवल अधिक होता है, तो व्यक्ति को देखने या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। वह अस्वस्थ महसूस करने लगता है। उसे थकान महसूस होती है या कम ऊर्जा होती है। अध्ययनों से पता चला है कि डायबिटीज व्यक्ति के यौन जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।
संभावित जटिलताओं में इरेक्टाइल डिसफंक्शन, योनि का सूखापन और सेक्स ड्राइव का घटना भी शामिल हो सकते हैं। इलाज नहीं कराने पर व्यक्ति आत्महत्या करने की भी सोचने लगता है।
यदि कोई व्यक्ति अपने मूड में तेजी से उतार-चढ़ाव या किसी अन्य लक्षण को नोटिस करता है, तो यह उसके मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति की ओर संकेत दे सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को हमेशा डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
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