दुनिया भर में 10 करोड़ से ज्यादा लोग भावनात्मक तनाव के शिकार हैं। भावनात्मक तनाव न केवल किसी भी व्यक्ति में गुस्सा, अकेलापन और एंग्जाइटी की समस्या बढ़ा देता है, बल्कि यह कई शारीरिक समस्याओं को भी जन्म देता है। इनमें सबसे कॉमन हैं बॉडी पेन। यह सिर्फ सिर में ही नहीं होता, बल्कि कमर, हाथ और पैरों में भी हो सकता है। जानिए कैसे भावनात्मक तनाव मांसपेशियों में होने वाले दर्द का कारण बनता है।
20 साल से मानसिक समस्या का ट्रीटमेंट कर रहे मनोरोग विशेषज्ञ डॉ आलोक बाजपेई कहते हैं मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं अलग-अलग तरह की हो सकती हैं। पर यह तय है कि सभी आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती हैं। फिर चाहें वह डिप्रेशन की गंभीर स्थिति हो या भावनात्मक तनाव की सबसे ज्यादा कॉमन समस्या।
भावनात्मक तनाव होने पर कोई भी व्यक्ति कमर दर्द, थकान अधिक लगना, मांसपेशियों में खिंचाव, सिर दर्द, आंखों की समस्या से प्रभावित हो सकता है। अमूमन लोग समझ नहीं पाते कि शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले इस दर्द का कारण क्या है। पर जब वे किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करते हैं तब उन्हें पता चलता है कि इन सभी का कारण तनाव है।
ऑफिस, घर और पर्सनल वर्क लोड होने के कारण कोई भी व्यक्ति परेशान हो जाता है। ऐसे में जब कोई स्ट्रेस का शिकार है, तो सिर का दर्द और ज्यादा हो सकता है। सिर दर्द इतना ज्यादा होता है कि मानो कोई दिमाग में सुई चुभा रहा हो। जब सिरदर्द होता है, तो आइब्रो के पास सबसे अधिक दर्द होता है।
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काम के कारण थकान अधिक हो जाती है। रोज वाली शारीरिक थकान से कोई समस्या नहीं होती, कुछ देर रेस्ट कर लो तो आराम मिल जाता है। लेकिन जब भावनात्मक स्ट्रेस का शिकार लोगों को जब थकान होती है तो सामान्य व्यक्ति से अधिक होती है।
इसमें उसे किसी काम में मन नहीं लगता, आठ से नौ घंटे सोने के बाद सुस्ती रहेगी, चिड़चिडान रहेगा, उदसी छाई रहेगी। डेली एक्सरसाइज कर के इस समस्या में राहत पाई जा सकती है। थकावट के साथ निराशा व मन दुखी हो रहा है तो यह भी स्ट्रेस अधिक होने का सिम्पटम हैं। इसे नजर अंदाज न करें। मुसीबत बढ़ सकती है।
पेट दर्द की समस्या क्या केवल पेट में गैस बनने पर ही होता है। यदि ऐसा कोई सोचता है तो वह गलत है पेट दर्द या पीरियड्य के समय अधिक दर्द है तो यह भी स्ट्रेस का ही लक्षण है। इस नजर अंदाज न करें।
डॉ आलोक बाजपेई कहते हैं पेट दर्द की समस्या तो आम है, लेकिन अक्सर यह बीमारी का होना हमारी सेहत के लिए सही नहीं है। बार-बार पेट दर्द की समस्या होती है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें, कहीं आप स्ट्रेस का शिकार तो नहीं, ऐसे परेशानी से समय रहते बचा भी जा सकता है।
डॉ आलोक कहते हैं पीठ दर्द और भावनात्मक स्ट्रेस के बीच सीधा संबंध है। स्ट्रेस की समस्या में इसका असर बॉडी पार्ट्स पर पड़ता है यह तो पता है लेकिन पीठ दर्द का सीधा कनेक्शन स्ट्रेस से है यह अध्यन से पता चला।
भावनात्मक स्ट्रेस से पीठ दर्द के साथ मांसपेशियों में खिंचाव भी होता है, जिससे दर्द बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इमोशलन प्रॉब्लम के कारण कमर दर्द की परेशानी ज्यादा हो सकती है। बॉडी की स्वेलिंग मस्तिष्क में दिक्कत पैदा कर सकती है।
भावनात्मक तनाव के कारण लोगों को शरीर से जुड़ी कई समस्याओं का समना करना पड़ता है। इसी में एक है आंखों का दर्द, इस दौरान आंखों में दर्द रहता है। साथ ही रोशनी में फर्क आता है। डॉ आलोक बताते हैं इस समस्या के समय लोगों को रंग की पहचान करने में दिक्कत होती हॅै।
डॉ आलोक बाजपेई सलाह देते हैं कि इमोशनल स्ट्रेस को नजरंदाज न करें। ऐसे समय में परिवार या किसी प्रियजन से खुलकर बात करना जरूरी है। जो आपकी भावनात्मक जरूरतों और उस दबाव को समझ सके, जिसका आप सामना कर रहीं हैं। मेंटल हेल्थ से संबंधित कोई भी समस्या होने पर मनोचिकिस्तक से परामर्श जरूर करना चाहिए। जिससे भावनात्मक तनाव अवसाद जैसी गंभीर स्थिति तक न पहुंचे।
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