यदि आपको बहुत गुस्सा आता है तो इसके पीछे का कारण आपके द्वारा खाए जाने वाले फूड्स भी हो सकते हैं! कैसे ? आपने सात्विक और तामसिक आहार के बारे में जरूर सुना होगा। आयुर्वेदिक दृष्टि से देखें तो हमारे द्वारा सेवन किए जाने वाले कुछ ऐसे खाद पदार्थ हैं जो हमारे शरीर में दोषों का संतुलन बिगाड़ सकते है। जिससे हमारे अंदर जल्दी गुस्सा और चिड़चिड़ापन पैदा होता है। यहां हम उन फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जो आपको क्रोधित और चिड़चिड़ा बना सकते हैं।
दरअसल आयुर्वेद हमारे शरीर को मौलिक शक्तियों के एक संतुलन के रूप में समझता है। जिसमें वात दोष, कफ दोष, और पित्त दोष शामिल हैं। इन्हें त्रिदोष के नाम से जाना जाता है। स्वस्थ रहने के लिए हमारे शरीर में इन तीनों दोषों का संतुलन होना बहुत आवश्यक है। जब भी कोई विशेष दोष बढ़ जाता है तो यह शारीरिक और मानसिक असंतुलन या किसी बीमारी के रूप में सामने आता है।
इन तीनों दोषों को संतुलन में रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार में जड़ी बूटियां, स्वस्थ आदतें और एक अच्छी डाइट का निर्देश दिया गया है। आयुर्वेद में गर्म भोजन करने की सलाह नहीं दी जाती है ऐसे में जब हम कुछ ऐसे खाद पदार्थ का सेवन कर लेते हैं तो हमें गुस्सा और चिड़चिड़ापन बना रहता है।
गर्म तासीर के भोजन करने से पित्त दोष यानी अग्नि दोष का संतुलन बिगड़ जाता है। आयुर्वेद के अनुसार यही कारण है गर्म भोजन करने से ज्यादा चिड़चिड़ापन और गुस्सा होता है।
पुराने वक्त में ऋषि मुनि सात्विक भोजन करते थे, जिससे उन्हें गुस्सा न आए और वह एकाग्र होकर ध्यान लगा सकें। वहीं दूसरी ओर योद्धा तामसिक भोजन यानी ऐसे गर्म भोजन का सेवन करते थे, जिससे उन्हें युद्ध में मदद मिल सके।
हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि जिन खाद्य पदार्थों से गुस्सा बढ़ता हो, वह शरीर को फायदा नहीं पहुंचाते। लेकिन जिन लोगों को ज्यादा गुस्सा आता है, उन्हें गर्म तासीर के भोजन को कम करना चाहिए।
बैगन को एक एसिडिक फूड के तौर पर देखा जाता है। बैंगन में एसिडिटी की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसी कारण इसका सेवन करने से गुस्सा बढ़ता है। बैंगन को बनाने के लिए कई लोग तेज मसाले और गरम मसाले का प्रयोग करते हैं, यह भी गुस्से का कारण बनता है। यदि आपको गुस्से की समस्या है तो आपको गर्म खाद्य पदार्थ के साथ ठंडे तासीर वाले खाद्य पदार्थ को भी शामिल करना चाहिए।
ड्राई फ्रूट सबसे पौष्टिक होते हैं। यह हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं। लेकिन तासीर गर्म होने के कारण मेवा हमें क्रोधित कर सकता है। ऐसे में मेवा का सेवन करने के लिए सुबह का समय काफी बेहतर माना गया है। वहीं बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स को पानी में भिगोकर खाने की सलाह दी जाती है। ताकि गर्मी कम हो सके।
आयुर्वेद में टमाटर को एक गर्म भोजन का दर्जा दिया है। जिसका सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है और गुस्सा जल्दी आ सकता है। इसका कच्चा सेवन करने से शरीर में पित्त दोष का संतुलन बिगड़ जाता है।
इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आपको टमाटर खाना छोड़ देना चाहिए। क्योंकि यह सेहत के जुड़े कई लाभ प्रदान करता है। आप इसे एक हेल्दी कॉन्बिनेशन के साथ खा सकते हैं। जैसे नारियल, धनिया पत्ती आदि।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंनम भोजन, चीनी, तला हुआ भोजन और सेहत के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क के लिए भी अच्छा नहीं होता। इनका ज्यादा सेवन हमारे मूड को प्रभावित कर सकता है और गुस्सा दिला सकता है। यदि आपको ज्यादा शक्कर का सेवन करने और मैदे का सेवन करने के बाद चिड़चिड़ापन या गुस्सा ज्यादा महसूस होता है, तो आप इनका सेवन कम करना चाहिए।
आजकल फास्ट फूड काफी ज्यादा पसंद किया जाता है, लेकिन यह भी हमारी सेहत के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है। यह हमें गुस्सा दिला सकता है। जब आप नियमित रूप से बहुत अधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो यह आपके लीवर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। जिससे आपका गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आपको यह सारी चीजें खाना छोड़ देना चाहिए। यदि आप इनके साथ कुछ हेल्दी काम्बो का इस्तेमाल करते हैं, तो यह आप को फायदा पहुंचा सकते हैं। टमाटर और बैंगन जैसी सब्जियों के साथ एलोवेरा या नारियल एक हेल्दी काॅम्बिनेशन के तौर पर काम आ सकता है।
यह भी पढ़े : फिजिकल फिटनेस के अलावा मानसिक कसरत करनी है, तो ट्राई करें वर्डल जैसे वर्ड गेम्स