1985 में अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी. रिपोर्ट में उस स्टडी के नतीजे थे जो घरेलू काम करने वाली महिलाओं (House wives) पर की गयी थी. पाया गया कि बाहर काम करने वाले पुरुषों से ज्यादा घर के काम को कर रही महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस का शिकार थीं. 1985 बीत गया. तकरीबन 40 साल बाद अब हम 2025 में दस्तक दे रहे हैं. महिलाओं की नौकरियों में हिस्सेदारी भी बढ़ी है और बढ़ा है इसके साथ साथ उनका तनाव भी. क्योंकि कामकाजी महिलाएं दफ्तर के साथ साथ घर की जिम्मेदारियां भी सम्हाल रही हैं. ऐसे में स्ट्रेस मैनेजमेंट उनके लिए बड़ा चैलेन्ज है और आज हम इसी पर बात करने जा रहे हैं.
महिलाओं में तनाव (Stress in women ) आपके रोज के जीवन में घट रही घटनाओं की प्रतिक्रिया है। कई बार तनाव पॉजिटिव भी हो सकता है जिसके सहारे आप शायद अपने निर्धारित कामों को पूरा करें लेकिन ज्यादातर बार ये आपके मेंटल हेल्थ को नुकसान ही पहुंचाता है। कई बार स्ट्रेस आपके जीवन में इस तरह से शामिल हो कर परमानेंट हो जाता है जब आप यह मान लेते हैं कि यह तो रोज का है और फिर आपके मेंटल हेल्थ पर इसका प्रभाव दिखना शुरू होता है। कई बार आप इतने व्यस्त होते हैं कि आपको इतना सोचने का भी वक्त नहीं होता कि तनाव आपके जीवन पर किस तरह से असर कर रहा है।
महिलाओं में तनाव (stress in women) की वजह से सिर दर्द बहुत कॉमन है। सिर दर्द की वजह से नींद नहीं आना,थकान जैसी दिक्कतें होती हैं। एक समय के बाद सिर का दर्द आगे बढ़ कर गर्दन तक भी जा सकता है। और इन दर्दों का कारण तनाव हो सकता है।
महिलाओं में तनाव (stress in women) की वजह से चिड़चिड़ापन आ जाता है। जिसकी वजह से उनके अंदर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना,हमेशा खुद से असन्तुष्ट रहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तनाव इसकी बड़ी वजह है। कई बार इसी वजह से रात में नींद ना आने जैसी समस्याएं भी देखी गई हैं।
तनाव का सबसे ज्यादा असर दिमाग के काम पर होता है। तनाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हमारा दिमाग़ ही होता है। इस वजह से चीजें भूलना,निर्णय लेने की क्षमता में कमी,नकारात्मक बातों का दिमाग़ पर हावी होना और एकाग्र ना रह पाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।महिलाओं में तनाव (stress in women) की सूरत में ये लक्षण बार बार देखे जाते हैं।
एम्स पटना में प्रोफेसर डॉक्टर मुक्ता अग्रवाल के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं में स्ट्रेस (stress in women) के कई कारण कॉमन हैं। जैसे – नौकरी, करियर, पढ़ाई या और भी बहुत कुछ। लेकिन जब हम अपने सामाजिक ढांचे को देखेंगे तो यह दिखाई देगा कि महिलाओं के पास तनाव (stress in women) के कारण पुरुषों के मुकाबले ज्यादा हैं। ये तनाव ना केवल दफ्तर तक है बल्कि घर के तनाव महिलाओं के पास पुरुषों से ज्यादा है।
एक स्टडी के अनुसार महिलाओं के तनाव का स्तर (stress in women) पुरुषों के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा है। महिलाओं के पास कांम के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियाँ जिसमें माँ-बाप से लेकर बच्चे तक की देखभाल का दबाव होता है। कई बार ऐसी भी स्थिति बनती है जब उन्हें घर और करियर में से किसी एक को चुनना होता है। ऐसे फैसले जिसमें किसी एक को खोना पड़े,महिलाएं ले तो लेती हैं लेकिन कई बार आसानी से उस गिल्ट से उबर नहीं पातीं। ऐसे और भी बहुत सारे निजी कारण हो सकते हैं जिससे अक्सर महिलाएं तनाव में होती हैं।
जब भी हम तनाव के मैनेजमेंट की बात करते हैं, व्यायाम की सबसे कम बात होती है। लेकिन नियमित व्यायाम या योग आपको इसे मैनेज करने में मदद कर सकता है।
शांत संगीत भी तनाव के लिए बहुत काम का है। इसलिए नियमित तौर पर व्यायाम,योग और मेडिटेशन को अपने दिनचर्या में शामिल करें।
आप तनावमुक्त तभी हो सकते हैं जब आप अपनी बातें शेयर करें। ये सही है कि कई बार तनाव की जद में आ कर हम किसी से बात नहीं करना चाहते लेकिन यह हल नहीं है। यह आपके तनाव को और बढ़ाएगा। अपनी परेशानियाँ जाहिर करने से आपका तनाव और हल्का हो सकता है।
तनाव के मौकों पर आपको ऐसे काम करने चाहिए जो आपको संतुष्ट करते हों। आपको लिखना पसंद हो, किताबें पढ़नी पसंद हो, खाना बनाना पसंद हो या जो भी। ऐसे मौकों पर जब आप तनाव से घिरे हों, वे काम करें जो आपको खुशी देते हों,ऐसा करके आप तनाव से मुक्ति पाने में सफल हो सकते हैं।
मानसिक समस्याएं ऐसी चीज है जो आपको पूरी दुनिया से काट देती हैं। ऐसे में जो आपके अच्छे दोस्त हैं आप उनसे भी बात नहीं करना चाहते। लेकिन तनाव का हल यह नहीं है। अपने चाहने वालों से बातें या मुलाकातें आपको तनाव से दूर रहने में आपकी मदद करती हैं।
1. यदि आप लगातार एक महीने या उससे ज्यादा समय से स्ट्रेस फ़ील कर रहे हैं तो आपको एक बार डॉक्टर से मिलना जरूरी है। यह किसी मानसिक बीमारी का संकेत हो सकता है।
2. अगर आपको तनाव के कारण लगातार सिर दर्द,सीने में दर्द, नींद ना आने जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो भी डॉक्टर से मुलाकात जरूरी है।
3. अगर आपको तनाव के कारण लगातार चिचिड़ाहट और गुस्से से जूझना पड़ रहा है तो डॉक्टर को जरूर दिखा लें क्योंकि कई बार ये स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि मन में आत्महत्या तक के ख्याल आने लगते हैं।
4. कई बार तनाव कम करने के लिए या तनाव को भूलने के लिए लोग शराब जैसी चीजों का सहारा लेते हैं। अगर आपको भी लगातार ऐसा करना पड़ रहा है तो आपको डॉक्टर की जरूरत है।
4. अगर आपको बार-बार घबराहट (Anxiety), पैनिक अटैक (Panic Attack) या डिप्रेशन जैसा लग रहा है तो आप डॉक्टर से तुरंत मिल लीजिए।
इस वक्त की लाइफस्टाइल में तनाव होना जरूर आम है लेकिन तनाव बतौर समस्या आम नहीं है। इसको इग्नोर करने का मतलब है, ढेर सारी दिक्कतों को बुलावा देना। अगर घर के उपायों से आपका तनाव नहीं कम हो रहा या खत्म हो रहा तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है। तनाव से भागने की जरूरत नहीं और ना ही इसे छिपाने की जरूरत है बल्कि इसे पहचान कर इससे लड़ने की जरूरत है।
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