दुनिया आज जिस महामारी के दौर से गुजर रही है, उसने हमारी जिंदगी के लगभग हर पहलू को प्रभावित किया है। इनमें हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक, वित्तीय, पेशेवर, अंतर्वैयक्तिक सभी कुछ शामिल हैं। इससे हमारा मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
कोविड-19 से पहले भी, तनावरहित जीवन का मिलना किसी सपने की तरह था। जो आमतौर पर सच नहीं होता था। लेकिन आज जैसे अभूतपूर्व दौर में, जबकि हर तरफ अनिश्चितता फैली है- महामारी के चलते डर तथा चिंता के माहौल ने सभी को प्रभावित किया है।
ऐसे में हम सभी का पूरा ज़ोर खुद की सेहत, जिसमें शारीरिक तथा मानसिक सेहत भी शामिल है, पर ध्यान देने पर होना चाहिए। यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि हर व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी में तनाव से किस प्रकार निपटता है। साथ ही, उसकी जिंदगी में किस तरह के हस्तक्षेप मौजूद हैं तथा यह तनाव उसकी रोज़मर्रा की जिंदगी को किस रह से प्रभावित करता है।
इनमें से कुछ तनाव के कारक सचमुच गंभीर हो सकते हैं। जबकि कुछ पर हमारा कोई बस नहीं चलता। बेशक, इन सबसे बचना नामुमकिन है, लेकिन हम अपनी जिंदगी में पैदा होने वाले तनाव से बेहतर तरीके से निपटने के तौर-तरीके जरूर ईजाद कर सकते हैं।
हमारी शारीरिक सेहत का मामला हो या बात मानसिक स्वास्थ्य की, कुछ बातों का ख्याल हमें रखना ही होगा। खासतौर से महामारी के चलते जारी लॉकडाउन और ऐसी ही अन्य कई परिस्थितियों के मद्देनजर, ऐसा करना हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है।
इसके लिए आप नियमित रूप से अपनी नींद, स्वस्थ पोषणयुक्त खान-पान और साथ ही शारीरिक सक्रियता को हर दिन अपनी जिंदगी में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, हर दिन का एक निश्चित टाइमटेबल/दिनचर्या होनी चाहिए। खासतौर से लॉकडाउन जैसे हालात में तो यह और भी जरूरी है ताकि हमें अपने आसपास ही सही, सामान्य हालातों का अहसास बना रहे।
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। यह साबित हो चुका है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने आसपास रहने वाले दूसरे लोगों से जुड़े रहें, उनके संपर्क में बने रहें। खासतौर से अपने परिजनों, दोस्तों, सहयोगियों, साथियों के साथ संपर्क रखें। दूसरों से इस प्रकार जुड़े रहने से यह अहसास बना रहता है कि हम मुश्किल वक़्त में एक-दूसरे के काम आ सकते हैं। यह अहसास हमारे स्वास्थ्य के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है।
खासतौर से मौजूदा दौर में, जरूरत से ज्यादा सोच-विचार और चिंता करना आम है। लेकिन इसकी बजाय हमें अपनी ऊर्जा इस बात पर लगानी चाहिए कि हम असल में क्या कर सकते हैं। ताकि हमारी सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
साथ ही हमारे परिवारों और हमारे आसपास के समुदायों का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहे। सच्चाई तो यह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य हम सभी की और समाज की सामुहिक जिम्मेदारी है।
सबसे जरूरी है कि हम कुछ ऐसा उपयोगी और उत्पादक करें, जिसे लेकर हमारे अंदर उत्साह पैदा हो। इसके लिए हम कुछ नए कौशल प्राप्त करने के लिए काम कर सकते हैं, नए शौक पर काम कर सकते हैं, पढ़ाई या काम पर ध्यान दे सकते हैं, चाहे वह घर के कामकाज ही हों … ऐसे ही और बहुत से काम किए जा सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंअपने लिए भी समय निकालें, अपनी ऊर्जा को किसी उपयोगी दिशा में मोड़ें ताकि आप सक्रिय और व्यस्त रहें।
आप अपने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए जो भी कुछ करने के बारे में सोचती हैं, वह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हम सभी के पास तनाव से निपटने के अपने-अपने तरीके होते हैं। इनमें शारीरिक व्यायाम, आराम करना, ध्यान, योग, संगीत, नृत्य आदि शामिल हैं। ये काफी मददगार हो सकते हैं।
यह जानना सुखद हो सकता है कि हमारे आसपास कोई न कोई है जो हमारी मदद के लिए उपलब्ध है। अपने मन की बात कहने और जरूरत पड़ने पर दूसरों से मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं। आप अपनी समस्याओं के बारे में बात कर सकते हैं, चाहे वह अपने प्रियजनों से हों या फिर किसी पेशेवर के साथ।