पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब भी डर का माहौल है। कोरोना की लहरों से कोई भी देश बच नहीं पाया है। सैकड़ों लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस अभी तक अपने अलग-अलग वैरिएंट के साथ दुनिया भर में कोहराम मचाए हुए है। यही वजह है कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोग अब भी चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं। हालिया शोध ने एक बार फिर से वैज्ञानिक समुदाय को चिंता में डाल दिया है। जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोनावायरस 6 से 7 महीनों तक शरीर के अंदर ही रहता है और उसे नुकसान पहुंचाता रहता है।
पहले अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा ,ओमिक्रोन और अब ओमिक्रोन और डेल्टा के संयोजन से बना डेल्मीक्रोन नए-नए लक्षणों को दर्शा रहे हैं। अक्सर लोगों को लगता है कि कोरोना से निगेटिव होने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण शरीर छोड़ देता है, लेकिन हाल ही में एक नई जानकारी सामने आई है। जिसके अनुसार कोरोना 6 से 7 महीनों और उससे अधिक समय तक शरीर में ही रहता है।
केवल आपके फेफड़ों पर ही नहीं, बल्कि आपके मस्तिष्क और पूरे शरीर पर भी कोरोना वायरस असर डाल सकता है। दरअसल अमेरिका की स्वास्थ्य अनुसाधन एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों द्वारा एक नया शोध किया गया है। जिसमें बताया गया कि कोरोना वायरस पूरे मानव शरीर में फैलता है, जिससे प्रणालीगत संक्रमण होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। साथ ही यह वायरस शरीर के कई और अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
वैज्ञानिकों का यह परीक्षण शव पर आधारित है। जिसके लिए 44 शवों की जांच की गई। परीक्षण में सामने आए नतीजों के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण गंभीर रूप से पूरे शरीर पर असर डालता है।
यह अध्ययन शनिवार को जारी किए गए एक प्री-प्रिंट पेपर (Pre Print Paper ) में, जिसका पीयर रिव्यू नहीं किया गया है, में प्रकाशित हुआ। उसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने लिखा है कि उन्होंने 230 दिनों तक शरीर में कई जगहों पर शव परीक्षण में मौजूद SARS-CoV-2 RNA वायरस पाया।
शोध के अनुसार Covid -19 पूरे शरीर में कोशिकाओं को संक्रमित करता है। जिससे महीनों तक मस्तिष्क, मांसपेशियों, त्वचा, नसों, कार्डियोवैस्कुलर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, एंडोक्राइन और लिंफेटिक सिस्टम पर गहरा असर पड़ता है।
द लैंसेट (The Lancet) में प्रकाशित एक अध्ययन में कोरोना वायरस संक्रमण के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव पर जानकारी दी गई है। यह अध्ययन ब्रिटेन में हुआ जिसमें संक्रमण से पहले और बाद में दिमाग की स्कैनिंग की गई। इसमें पता चला कि कोरोना से ठीक होने वाले लोगों में ग्रे मैटर का काफी नुकसान हुआ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रे मैटर के नुकसान से दिमाग के हिस्सों को हानि हुई है। जो कि हमारी याददाश्त के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
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