साल 2020 से अब तक कोरोना का असर कम जरूर हुआ है, लेकिन संक्रमण को लेकर दिल में दहशत आज भी बनी हुई है। इसी बीच ओमिक्रॉन बीएफ 7 ( Omicron BF. 7 variant ) की खबरों ने लोगों को पहले से ज्यादा सतर्क बनने के लिए मजबूर कर दिया है। निजी तौर पर मास्क और सैनिटाइजर लोगों की बेसिक नीड्स बन चुका है।
विशेषज्ञों के द्वारा आज भी इम्युनिटी को बूस्ट करने की सलाह दी जा रही है। इसी बीच एक नया मुद्दा सामने आया है कि क्या संक्रमण हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है? कोरोना के मानसिक स्वास्थ्य पर असर जानने के लिए हमने बात की मनस्थली से सीनियर साइकेट्रिस्ट एंड फाउंडर, डॉ ज्योति कपूर से।
एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना बढ़ने पर दोबारा लॉकडाउन और आइसोलेशन के खौफ ने लोगों में डर और एंग्जाइटी की समस्या ज्यादा बढ़ा दी है। इस कारण लोग असमंजस की स्थिति में हैं और परेशान हो रहे हैं।
डॉ ज्योति कपूर के मुताबिक कोरोना का असर मानसिक स्वास्थ्य पर दो प्रकार से देखा गया है।
जिस प्रकार का डर और तनाव फैला है, उसके कारण क्रोनिक एंग्जाइटी की समस्या पैदा हुई है। इसका असर यह हुआ है कि लोगों की तनाव सहने की ताकत अपने आप कम होती चली गई है।
विशेषज्ञों न पाया है कि क्रोनिक एंग्जाइटी के साथ ही एंग्जाइटी डिसऑर्डर और डिप्रेसिव डिसऑर्डर में भी बढ़ोतरी हुई है। जिसका मुख्य कारण कोरोना के दौरान झेला गया आइसोलेशन रहा है।
कोरोनावायरस महामारी के दौरान कई लोगों में न्यूरोसाइकिएट्रिक के लक्षण भी सामने आए, जिससे ओसीडी जैसी बीमारियों में बढ़ोत्तरी हुई है।
संक्रमण के कारण लोगों में हेल्थ एंग्जाइटी भी ज्यादा बढ़ी है। इस समस्या को कोरोना एंजाइटी स्केल पर भी देखा गया है। कोरोना के खतरे के साथ लोगों में तनाव और डिप्रेशन बढ़ने की समस्याएं भी हो सकती है।
सीनियर साइकेट्रिस्ट ज्योति कपूर के मुताबिक मानसिक समस्याओं से बचने के लिए हमें अपनी इमोशनल और मेंटल स्ट्रेंथ पर काम करने की जरूरत है।
इस दौरान अपनी साइकोलॉजिकल और फिजिकल स्ट्रेंथ पर ध्यान देना ज्यादा आवश्यक है। दूसरों को देख कर डर के माहौल के साथ भागने की बजाय लाइफ में थोड़ा पॉज देकर अपनी स्ट्रेंथ पर काम करना शुरू करें।
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धूम्रपान और शराब की आदत आपके मानसिक स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकती है। लंबे समय तक इनका सेवन इम्युनिटी कमजोर करने के साथ कई बीमारियों का कारण बनता है।
अपनी डाइट फ्रेश और बैलेंस बनाए रखने की कोशिश करें। इसके लिए मौसम के मुताबिक सब्जियों और फलों का सेवन करें।
इस दौरान आपको स्लीप रूटीन पर खास ध्यान देने की जरूरत है। स्लीप रूटीन बॉडी के केमिकल और हार्मोनल बैलेंस के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर स्लीप पैटर्न हेल्दी नहीं है, तो शरीर की संक्रमण को सहने की ताकत कम होगी।
फिजिकल और मेंटल फिटनेस के लिए हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जरूर करें।यह आपको लंबे समय तक संक्रमण से बचानें में मदद कर सकती है। इसके साथ स्ट्रेस मेनेजमेंट करने पर ध्यान जरूर दें।
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