अगर आपको लगता है कि बिंज वॉचिंग का असर सिर्फ आपकी आंखों पर पड़ रहा है तो आप उस खतरे को समझ ही नहीं पा रही हैं, जो टेलीविजन आपको दे रहा है। अगर आप अपना सारा समय वेब सिरीज या काउच पर टीवी देखते हुए बिताती हैं, तो आप खुद ही अपने मस्तिष्क की हत्या कर रहीं हैं।
अगर आप अपना ज्यादा समय काउच पर बिताती हैं, तो मतलब साफ है कि आप अपना दिमाग इस्तेमाल करना पसंद नहीं करती। सावधान हो जाएं क्योंकि आपकी ये आदत आपको खतरे में डाल रही है, जो आपको बाद में अपनी वृद्धावस्था में जाकर पता चलेगा। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा टीवी देखने की आदत से वृद्धावस्था में आपको कॉग्निटिव डिक्लाइन हो सकता है, यानी दिमाग का काम करना बंद हो जाना।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित तीन नए अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि मध्यम आयु में ज्यादा टेलीविजन देखना दिमाग में ग्रे मैटर (एक प्रकार का तरल जो दिमाग में विकास और ग्रोथ को बढ़ाता है) की कमी और वृद्धावस्था में कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) का कारण बनता है।
इस शोध में मध्यम आयु को 45 से 64 वर्ष की आयु को बताया गया। जो लोग टीवी के आगे एक जगह पूरा दिन बिता देते है। ऐसा लाइफस्टाइल आपके दिमाग के लिए बहुत हानिकारक है।
नए शोध से पता चलता हैं ये टीवी देखने की आदतों पर स्व-रिपोर्ट डाटा के मूल्यांकन पर आधारित था। डाटा को समूहों में बांटा गया: कम टीवी देखना (जिसका अर्थ है बहुत कम या कभी नहीं देखना), मध्यम टीवी देखना (कभी कभी देखना) और बहुत अधिक देखना (बार बार देखना)।
शोध में सामने आया कि किसी भी जगह पर घंटों खाली बैठे रहना कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) की गति को बढ़ाता है।
इस शोध पर दो अलग-अलग अध्ययन किए गए, एक अध्ययन में पाया कि मध्यम आयु वर्ग का लगातार टीवी देखना अगले 15 वर्षों में कॉग्निटिव डिक्लाइन (दिमाग का काम करना बंद कर देना) के जोखिम में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि पाई गई। हालांकि, बार-बार टीवी देखना डिमेंशिया का कारण बन सकता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार है, जो व्यक्ति की सोचने, याद रखने और सामान्य व्यवहार की क्षमता को कमजोर करता है।
दूसरे अध्ययन में पाया गया, जिसमें एमआरआई ब्रेन स्कैन डेटा शामिल था, इस शोध में ये पता कि दस साल तक लगातार टीवी देखने की वजह से मध्यम आयु के लोगों ग्रे मैटर (एक प्रकार का तरल जो दिमाग में विकास और ग्रोथ को बढ़ाता है) बहुत अधिक कमी आ गई। ये प्रभाव टीवी नहीं देखने वालों की तुलना में वर्षों से लगातार टीवी देखने वाले लोगों में ज्यादा था।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि अन्य गतिहीन गतिविधियां (non-active activity) जो मन को उत्तेजित करती हैं – जैसे बोर्ड गेम खेलना – जैसी क्रियाओं से डिमेंशिया का अधिक खतरा नहीं होता है।
अध्ययनों के मुख्य लेखक रयान डौघर्टी, एम.एस., पी एच.डी. ने समझाया: “कॉग्निटिव और मस्तिष्क स्वास्थ्य से संबंधित, सभी गतिहीन व्यवहार(non-active activity) समान नहीं होते। ऐसी गतिविधि जिसमें ज्यादा हिलना- डुलना ना हो जैसे कि टेलीविजन देखना, ये दिमाग के विकास को रोकता है।
वहीं कुछ काम ऐसे होते है, जिनमें हम दिमागी रूप काम करते हैं पर शारीरिक रूप से ज्यादा काम नहीं करते है जैसे, पढ़ना, कंप्यूटर और बोर्ड गेम आदि ऐसे काम करने से दिमागी विकास नहीं रुकता है। कॉग्निटिव और मस्तिष्क स्वास्थ्य की जांच करते समय अलग-अलग गतिहीन व्यवहारों में ध्यान रखना जरूरी है।”
तो आप अपनी इस आदत को पीछा छुड़ाएं और अपनी सेहत का ध्यान रखें!
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