यह दुनिया इस तरह की बना दी गई है कि जो अपनी बातें ठीक से कहना जानता हो, जिसका सोशल सर्किल बड़ा हो और जो सबसे यानी किसी से कभी भी बातचीत करने में कंफरटेबल हो, वो अमूमन सफल ही रहता है। राजनीति से लेकर कारपोरेट तक, अच्छे कम्युनिकेटर राज कर रहे हैं। यही सब देखते हुए एक जर्मन साइकोलॉजिस्ट फेलिसिटस हेने ने 2011 में तय किया था कि 2 जनवरी को वर्ल्ड इंट्रोवर्ट डे के तौर पर मनाया जाए ताकि एक्सट्रोवर्ट लोगों से भरी इस दुनिया को ये समझ में आए कि इंट्रोवर्ट (introvert) होना कोई अपराध नहीं या कोई बीमारी नहीं। यह बस एक चॉइस है जो किसी भी व्यक्ति की हो सकती है। आज हम इसी बारे में बात करने वाले हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में प्रोफेसर केनेथ रूबिंग न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में कहते हैं कि लोग अमूमन शर्मीलेपन, क्राउड एन्जाइटी और इन्ट्रोवर्ट होने को एक ही तराजू पर तोलने लगते हैं जबकि ये पूरी तरह से ग़लत है। शर्मीलापन एक बहुत ही नेचुरल इमोशन है, क्राउड एन्जाइटी एक समस्या और इंट्रोवर्ट (introvert) होना एक प्राथमिकता है जो व्यक्ति के चयन पर आधारित है। इंट्रोवर्ट वह व्यक्ति होता है जो दूसरों से बातचीत से या मेल मिलाप से एनरजेटिक नहीं महसूस करता। वो भीड़भाड़ वाले इलाके को पसंद नहीं करता, उसे अपना एकांत प्यारा है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें भीड़ से डर लगता है या उन्हें कोई बीमारी है। बस ये उनकी चॉइस है।
1.अगर आपको भीड़- भाड़ से दूर रहना पसंद है तो आप इंट्रोवर्ट हो सकते हैं।
2.क्लास या ऑफिस में पर्सनल बातों को शेयर करने से बचना भी इन्हीं लक्षणों में से एक है।
3.अगर आपका एक बहुत छोटा फ्रेंड सर्कल है। आप ज्यादा दोस्त रखने में यकीन नहीं करते हों तो आप इंट्रोवर्ट हो सकते हैं।
4.बाहर जाने के बजाय आप अगर घर में वक्त बिताना ज्यादा पसंद करते हैं।
5.आत्मविश्वास की कमी भी इंट्रोवर्ट होने के लक्षणों में से एक है। इंट्रोवर्ट (introvert) व्यक्ति अपनी आलोचना सुन कर परेशान हो सकता है।
नहीं, इंट्रोवर्ट (introvert) होना कोई बीमारी या मानसिक समस्या नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में 10 बरस से ज्यादा वक्त से साइकोलॉजी पढ़ा रहे प्रोफेसर सुमित वर्मा के अनुसार, यह केवल व्यक्तित्व का एक प्रकार है। हर इंसान का व्यक्तित्व अलग होता है, कुछ लोग सामाजिक होते हैं (जिन्हें एक्स्ट्रोवर्ट कहा जाता है) और कुछ लोग अकेले रहना पसंद करते हैं (जिन्हें इंट्रोवर्ट कहा जाता है)।यह नेचुरली होता है और इससे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती। अगर कोई व्यक्ति इंट्रोवर्ट रहकर खुश है, वह अपनी बातें शेयर नहीं करना चाहता तो इसका मतलब ये कैसे हुआ कि उसे इलाज की जरूरत है?
रिश्तों को अच्छे से निभाने का सबसे बेहतर तरीका संवाद है। इंट्रोवर्ट्स (introvert) यहीं कमजोर पड़ते हैं। कई बार उन्हें अपनी बातें कम्युनिकेट करने में परेशानी होती है या वे ऐसा करना पसंद नहीं करते जिससे रिश्तों में खटास की संभावना बढ़ जाती है।
लेकिन इसे आसानी से मैनेज किया जा सकता है। आप अगर इंट्रोवर्ट हैं तो अपने कुछ खास रिश्तों के लिए एक्स्प्रेसिंग बनिए और अगर आपका कोई चाहने वाला इंट्रोवर्ट है तो उसे स्पेस देने की कोशिश करिए और उनके इमोशन्स समझिए।
पब्लिकली की गई आलोचना इंट्रोवर्ट (introvert) व्यक्ति को परेशान कर सकती है और इससे उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी आ सकती है।
अक्सर ऐसे व्यक्ति अपनी बातें शेयर करने से हिचकते हैं। इसलिए अपने आस-पास मौजूद ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए आचरण करिए।
अमेरिकी हेल्थ डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट कहती है कि इंट्रोवर्ट (introvert) व्यक्ति को मानसिक समस्या, घबराहट और तनाव से एक्सट्रोवर्ट व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा गुजरना पड़ सकता है। लेकिन ऐसा सारे इंट्रोवर्ट्स के साथ नहीं होता। कुछ लोगों में ऐसी समस्याओं के चांस होते हैं। ऐसा अमूमन इसलिए होता है क्योंकि इंट्रोवर्ट लोग अक्सर अपनी समस्याएं दूसरों से बांटने में असहज होते हैं इस वजह से उन्हें अकेलेपन का एहसास और घबराहट जैसी दिक्कतें होती हैं।
प्रोफेसर सुमित के अनुसार जैसा इंट्रोवर्ट (introvert) होना कोई बुरी बात नहीं है। ना ही इंट्रोवर्ट व्यक्तियों को उनके ऐसे होने से उनके स्वास्थ्य को कोई खतरा होता है। अगर कोई इंट्रोवर्ट अपने नेचुरल आदतों को बदलने की कोशिश करता है तो यह जरूरी नहीं कि ऐसा करना ही एक मात्र तरीका था। सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि इन्ट्रोवर्ट लोगों को सो कॉल्ड ठीक होने की जरूरत नहीं है। हां ये उनकी चॉइस है कि वो अगर सोशली ज्यादा ऐक्टिव होना चाहते हैं तो उन्हें अपनी आदतों में एकदम से बदलाव लाना जरूरी नहीं है। न ही उन पर दबाव डालना चाहिए। वे धीरे– धीरे ज्यादा सोशल और एक्सट्रोवर्ट बनने की शुरुआत कर सकते हैं लेकिन यह कोई ऐसी चीज नहीं जो बदलना एकदम जरूरी ही है। इंट्रोवर्ट लोग कई बार बहुत अच्छे वक्ता,काम में परफेक्शनिस्ट भी साबित हुए हैं। उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी या झिझक उनसे किसी भी काम की तैयारी अच्छे से करवाते हैं जिसकी वजह से वे किसी भी काम को पूरी लग्न और शिद्दत के साथ करते हैं।
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