हम ऐसे समय मे जी रहे हैं जहां हमें 2 मिनट में बनने वाली मैग्गी चाहिए, इंस्टेंट सूप चाहिए और एक वीक में वेट लॉस करने वाला प्लान चाहिए। हमें हमेशा जल्दी रिजल्ट्स चाहिए और इस फास्टे मूविंग लाइफ में अगर कुछ स्लो है तो वो है हमारा पेशेंस लेवल। ऐसे में स्ट्रेस, एंग्जायटी जैसे अनेक मेन्टल हेल्थ प्रोब्लम्स हमें घेरे रहती हैं और इनका कोई क्विक सॉल्यूशन भी मौजूद नहीं है।
बात करें एंग्जायटी की तो यह स्ट्रेस के प्रति हमारे शरीर का नेचुरल रेस्पॉन्स है। एंग्जायटी के कारण हमें हमेशा भविष्य को लेकर असहजता और डर लगता रहता है और इसका सही इलाज़ नहीं किया गया, तो पैनिक डिसऑर्डर, फ़ोबिया, सोशल एंग्जायटी, ट्रॉमा और क्लीनिकल डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है।
क्लीनिकल साइकोथेरेपिस्ट राधिका बापत कहती हैं, “एंग्जायटी के कारण हमारे दिल की धड़कनें तेज़ होना, पसीना आना, मुंह सूखना जैसे रेस्पॉन्स हमारी बॉडी करती है। जिसके कारण हम अपने आसपास हो रही घटनाओं का नॉर्मली रेस्पॉन्स नहीं कर पाते। कई मामलों में पैनिक अटैक भी आने लगते हैं। एंग्जायटी के चलते स्लीप इश्यूज भी काफी कॉमन हैं। एंग्जायटी काफी गम्भीर समस्या है, जिसे अक्सर हल्के में लिया जाता है जो कि खतरनाक साबित हो सकता है।
एंग्जायटी हमारे मेन्टल हेल्थ के लिए काफी खतरनाक हो सकती है। आइये इस स्थिति को समझने के लिए एक उदाहरण का सहारा लेते हैं। हम वेट लॉस के लिए तुरन्त रिजल्ट्स चाहते हैं, लेकिन हम यह नही समझते कि हमारा एक्स्ट्रा फैट एक या दो दिन में नहीं कई महीनों की ख़राब आदतों के कारण है। ऐसे में तुरन्त वेट लॉस की उम्मीद रखना गलत है। अगर हम एक्सट्रीम डाइट फॉलो करके इस वेट को कम कर भी लें तो भी यह वापस बढ़ जाएगा।
कुछ ऐसा ही एंग्जायटी के साथ भी होता है। यह कुछ दिनों के स्ट्रेस के कारण नहीं हो जाती, बल्कि सालों पुराना स्ट्रेस, गुस्सा और भावनाएं हैं जिन्हें हमने अपने अंदर बन्द करके रखा। ऐसे में यह उम्मीद करना कि कुछ ही दिनों में आप सालों पुराने एंग्जायटी से छुटकारा पा लें,तो ऐसा नहीं हो सकता।
लेकिन निराश होने की ज़रूरत नहीं। कुछ छोटे-छोटे बदलावों को अपने जीवन में शामिल कर के आप एक बड़ा सॉल्यूशन पा सकती हैं।
डॉ बापत एंग्जायटी से लड़ने के लिए इन तरीकों का सुझाव देती हैं-
अगर आप एंग्जायटी से जूझ रही हैं तो अपने दिमाग को डिस्ट्रैक्ट करें। अपनी पसंद की कोई भी एक्टिविटी में खुद को बिजी रखें। एंग्जायटी अटैक को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है गहरी सांस लेना और कुछ पॉज़िटिव सोचना।
कभी-कभी ज़्यादा जानकारी भी हमारे लिए खतरा बन सकती है। खासकर तब जब हमारे हाथों में हर तरह की जानकारी का सबसे प्रमुख स्रोत 24 घण्टे मौजूद है। अगर कोविड-19 से जुड़ी खबरें आपकी एंग्जायटी का कारण बन रही हैं, तो न्यूज़ से ब्रेक लेना एक अच्छा उपाय है।
सोशल मीडिया पर फैलने वाली हर खबर को न मानें, किसी ऑथेंटिक सोर्स से ही ख़बर पढ़ें। अगर नकारात्मक खबरें आपको डिस्टर्ब करती हैं तो उनसे दूरी बनाने में कोई हर्ज़ नहीं है। अपने मेंटल हेल्थ को अपनी पहली प्रयॉरिटी बनाएं।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ बापत बताती हैं कि नेगेटिव थॉट्स को डील करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे टालना। अपने दिन का एक घण्टा चिंता करने के लिए तय कर दें। इससे फायदा यह होगा कि आप हर वक्त चिंता नहीं करेंगी। अक्सर सोने से पहले हमारे मन में ज्यादा नेगेटिव ख्याल आते हैं। ‘वरी ऑवर’ (Worry hour) तय करने से आप उन ख्यालों को पोस्टपोन कर सकेंगी और चैन से सो सकेंगी।
यह टेक्नीक दिमाग को शांत करने में साइंटिफिकली प्रूवन है। जब भी आपको एंग्जायटी महसूस हो, कुछ पोज़िटिव कल्पना का सहारा लें। ‘गाइडेड इमेजरी’ आपको शान्त करने में काफी कारगर होती है।
अगर आप अपने आपको शांत करेंगे तो आप नोटिस कर सकेंगी कि आपकी एंग्जायटी का कारण और पैटर्न क्या है। इसके पैटर्न को समझ कर इसे प्रीडिक्ट और अवॉयड भी किया जा सकता है।
अपनी भावनाओं को बाहर निकलने दें, इसका सबसे अच्छा तरीका है किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवार जन से बात करें। अगर आपके पास बात करने के लिए कोई नहीं है, तो अपनी डायरी बनाएं जिसमें अपनी भावनाओं को लिखें। डायरी लिखना सभी तरह के मेंटल इश्यूज से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है।
डॉ बापत कहती हैं, “अपनी एंग्जायटी को इग्नोर नहीं करें उसका सामना करें। खुश रहना आपका अधिकार है और अपनी खुशी की चिंता करना स्वार्थी बिल्कुल नहीं है।” थेरेपी, मेडिकेशन इत्यादि का सहारा लेने में कोई शर्म की बात नहीं है। समस्या का समय रहते समाधान करना ही समझदारी है।
एंग्जायटी का कोई क्विक फिक्स इलाज नहीं है। इस समस्या की जड़ आपके दिमाग मे बहुत गहरी होती है। इसलिए इसको हल करने में समय लगता है। लेकिन सही गाइडेन्स से आप एंग्जायटी को खतरनाक रूप लेने से पहले रोक सकते हैं।