ध्यान और योग के बल पर राजकुमार सिद्धार्थ महात्मा बुद्ध बन गये। इसके बल पर उन्होंने अपने मन और शरीर को शुद्ध एवं स्वस्थ बनाया। उन्होंने सामान्य लोगों को भी मन और शरीर शुद्ध कर स्वस्थ शरीर और एकाग्र चित्त मन के निर्माण का संदेश दिया। समग्र शरीर को स्वस्थ रखने के लिए महात्मा बुद्ध ने जो मंत्र दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। महात्मा बुद्ध की जयंती (Buddha purnima 2023) और उनके संदेशों को याद करने के लिए ही विश्व भर में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया के ज्यादातर हिस्सों में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। पूर्णिमा के दिन ही उन्हें ज्ञान प्राप्ति हुई थी। महात्मा बुद्ध सबसे अधिक शरीर को स्वस्थ रखने पर जोर देते थे। उन्होंने दुख के लिए दी गई परिभाषा के अनुसार, बीमारी को जानने, बीमारी के कारण को छोड़ने और बीमारी के लिए किये जा रहे उपचार पर भरोसा करने के लिए कहा था।
महात्मा बुद्ध जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने की बात कहते हैं। कई बौद्ध अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
महात्मा बुद्ध ने कहा है कि खुद का ध्यान रखने और खुद के प्रति सम्मान भाव रखना बेहद जरूरी है। इन दोनों के अभाव में समग्र स्वास्थ्य हासिल करना मुश्किल है। दूसरे लोग क्या कर रहे हैं, उनके प्रति क्रोध, ईर्ष्या भाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इससे स्वयं के प्रति ध्यान हट जाता है।
महात्मा बुद्ध के अनुसार, सूर्य की रोशनी और पर्याप्त पानी स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है। सादा भोजन न सिर्फ मन को तनाव से बचाए रखता है, बल्कि शरीर को भी रोग मुक्त रखता है। उपवास से विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर को रोग मुक्त होने में मदद मिलती है।
बढ़िया जीवनशैली के लिए ध्यान और बढ़िया व्यवहार, दोनों का शामिल होना जरूरी है। बुद्ध के उपदेशों के अनुसार, समग्र स्वास्थ्य पाने के लिए सही दृष्टिकोण, अच्छा विचार, ध्यान, प्रयास और माइंडफुलनेस का पालन करना जरूरी है। ध्यान अभ्यास के साथ-साथ अध्ययन करना जरूरी है। इससे नई चीज़ों की जानकारी मिलती है।
सभी लोगों को शरीर को स्वस्थ रखने की कोशिश करनी चाहिए। तंदुरुस्त और लचीला शरीर ही स्वस्थ दिमाग बनाता है। दवाओं का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मन के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली किसी भी दवा के प्रभावों के बारे में सावधान रहना जरूरी है।
बुद्ध मानते थे कि शरीर स्वस्थ नहीं रहने पर दिमाग भी स्वस्थ नहीं रह पाता है।
महात्मा बुद्ध ने कहा था- भविष्य की चिंता करने पर तनाव होता है। इसलिए वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। व्यक्ति स्वयं अपनी सीमाएं तय करता है, उन्हें तोड़ता है। बुद्ध के अनुसार मन ही सब कुछ है। जो हम चाहते हैं, वह तुरंत हासिल नहीं कर पाते हैं। एक-एक बूंद से घड़ा भरता है। इसलिए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करें और दृढ़ रहें।
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