महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को पहले से अधिक प्रबल बना दिया है। हमने पहले कभी एंग्जायटी (Anxiety) को इतने बेहतर तरीके से नहीं समझा होगा, जिस तरह से हम अब समझ रहे हैं। हमारे मन में कई सवाल मंडराने लगे हैं। जो हमें काफी परेशान करते हैं – जैसे कि यह सब कब खत्म होगा, क्या सब कुछ वैसा ही होगा जैसा पहले था?
हमारा जीवन कब पटरी पर आएगा, इत्यादि। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए भी अगली बड़ी चिंता बन रहीं हैं।
उनके अनुसार, इस महामारी ने वास्तव में हमारी मेंटल हेल्थ पर अपना शिकंजा कस लिया है। दुर्भाग्य से दुनिया भर में एंग्जायटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो सकती है। खासकर आने वाले दिनों में। इसलिए इस स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने के लिए जागरूक होना और भी अधिक आवश्यक हो जाता है।
सही जानकारी न होने या ज्ञान की कमी के कारण लोग नींद या डाइट जैसे समाधानों के जरिए अपनी एंग्जायटी (चिंता) की समस्या से निपटने की कोशिश करते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक हद तक मदद करता है। लेकिन कई बार हम ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं, जो इसे समस्या को मैनेज करने की बजाए और ज्यादा बदतर बना देते हैं। जानना चाहती हैं कैसे? तो आगे पढ़ें-
यह सुनकर आपको झटका लग सकता है, लेकिन सच यही है कि एंग्जायटी और डिप्रेशन हमारे गट (gut) के स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं। तो जितना हमारा पेट स्वस्थ रहेगा, हमारा मन उतना ही खुश और शांत रहने वाला है।
ज़िंग वेलनेस की संस्थापक और पोषण विशेषज्ञ अनघा देसाई के अनुसार हमारे गट (gut) और मस्तिष्क भी आपस में जुड़े हुए होते हैं। इसलिए आप जब भी चिंतित महसूस करते हैं। तो उस दौरान आपको इसके कई शारीरिक लक्षणों जैसे दस्त, मितली, उल्टी, भारी सांस लेना, और हार्ट बीट तेज होना जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।
वह कहती हैं, यदि आपकी गट (gut) स्वस्थ है, तो आपका आंतरिक रक्षा तंत्र (internal defence mechanism) मजबूत है और आप वायरस या बैक्टीरिया से फैलने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण से आसानी से लड़ सकती हैं।
क्या आप जानती हैं कि 90% सेरोटोनिन, जो एक हैप्पी हार्मोन (happy hormone) है, हमारे गट (gut) में उत्पन्न होता है?
हमारे गट (gut) में हमारे मुंह, घुटकी (Oesophagus), पेट, आंत आदि से शुरू होने वाले कई अंग शामिल हैं। यह एक बहुत पतली परत है, जो हमें बाहरी संक्रमण से बचाती है। यह एक गेट या एक अवरोधक की तरह काम करता है। जो जरूरी नहीं है उसको खत्म करता है। साथ ही हमारे पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अंदर रखता है।
जब यह परत (lining) क्षतिग्रस्त (damaged) हो जाती है, तो सभी विषाक्त पदार्थ और अनचाही चीजें अंदर आ सकती हैं, जिससे सूजन की समस्या हो सकती है। जो हमें बहुत ज्यादा चिंतित कर सकती है।
यहां वह छह खाद्य पदार्थ हैं, जो आपकी आंत को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आपको अधिक परेशान कर सकते हैं:
हम सभी जानते हैं कि चीनी एक मीठा जहर है। बहुत अधिक चीनी का सेवन हमारे शरीर पर इसके हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए जब हम चीनी छोड़ते हैं, तो हम तनाव महसूस करते हैं। जब हम शरीर में कम एनर्जी महसूस कर रहे होते हैं तो हम अक्सर मीठे फूड खाते हैं। लेकिन चीनी हमारे शरीर की तनाव से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर सकती है।
सुश्री देसाई विस्तार से बताती हैं:
चीनी मस्तिष्क में कोर्टिसोल (एक तनाव हार्मोन) की स्राव को रोकता है, जिससे आप शांत महसूस करते हैं। जब आप चीनी खाते हैं, तो डोपामाइन (dopamine) (एक अच्छा-अच्छा हार्मोन) रिलीज होता है, जो कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है।
लेकिन आप जितनी ज्यादा चीनी खाएंगे उतना ही इसके आदी हो जाएंगे। आप हर बार जब आप चिंतित या तनावग्रस्त महसूस करते हैं, तो चीनी का सेवन करते रहते हैं। ऐसा करने से आपका मस्तिष्क अपने डोपामाइन (dopamine) को छोड़ना बंद कर देता है।
यह शांत महसूस करने के लिए चीनी पर निर्भर हो जाता है। चीनी आपके आंत में स्वस्थ और अच्छे बैक्टीरिया को कम करती है और असंतुलन पैदा करती है। यह आपके शरीर में सूजन को बढ़ाती है, और चिंता को कम कर सकती है।
ग्लूटेन स्टोरेज प्रोटीन का एक परिवार है जो प्राकृतिक रूप से कुछ अनाज जैसे गेहूं, जौ और राई में पाया जाता है। आजकल इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोसेसिंग मेथड्स (processing methods) के कारण गेहूं अब कुछ लोगों के समस्या पैदा करने लगे हैं।
आसान भाषा में आंतों की दीवार एक गेटकीपर के रूप में कार्य करती है जो यह निर्धारित करती है कि रक्त प्रवाह और अंगों से कौन से पदार्थ गुजरते हैं। आम तौर पर छोटी आंत में कोशिकाओं के बीच छोटे अंतराल होते हैं, जिन्हें टाइट जंक्शन (tight junctions) कहा जाता है।
यदि ये क्षतिग्रस्त (damaged) हो जाते हैं या बहुत ढीले हो जाते हैं, तो यह आंत रिसाव का कारण बन सकते हैं। जिससे आंत में पदार्थ और जीव, रक्त प्रवाह में रिसाव कर सकते हैं जो शरीर में सूजन की समस्या होती है। यह आंत में हैप्पी हार्मोन (happy hormone) सेरोटोनिन के उत्पादन को भी कम कर सकता है।
जब हम डेयरी कहते हैं, तो हमारा मतलब उन उत्पादों से है जो गायों और बकरियों जैसे स्तनधारियों के दूध से उत्पन्न होते हैं। जिसमें पनीर, दही, मक्खन और आइसक्रीम शामिल हैं।
दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स में कई आवश्यक पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन- बी, मौजूद होते हैं। साथ ही दही में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं।
फुल फैट मिल्क और उससे बने प्रोडक्ट्स में मौजूद सैचुरेटेड फैट शरीर में मौजूद सूजन को बढ़ा सकती है। ज्यादा सूजन (Acute inflammation) आपके शरीर को संक्रमण, चोट या बीमारी से बचाती है। लेकिन अगर यह बनी रहती है, तो यह समस्याग्रस्त और हानिकारक हो सकती है।
इन दिनों डेयरी प्रोडक्ट्स भी बहुत सारे हार्मोन, ग्रोथ हार्मोन (growth hormones) और एंटीबायोटिक दवाओं से भरे हुए है। जब वे हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, तो वे हार्मोनल डिसहार्मनी (hormonal disharmony) पैदा कर सकते हैं। ऐसे में फोर्टिफाइड कैल्शियम (fortified calcium) और विटामिन- डी के साथ ऑर्गेनिक A2 मिल्क या पौधे, साथ ही नट्स (nuts) आधारित विकल्पों पर स्विच करने का प्रयास करें।
आप मानें चाहे न मानें, अपनी एंग्जायटी (चिंता) की समस्या को मैनेज करने के लिए जो ड्रिंक्स ले रहे हैं वे वास्तव में इसे और बदतर बना रहे हैं। शराब के कारण सेरोटोनिन (Serotonin) और अन्य न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitters) का स्तर बदल जाता है, जो एंग्जायटी (चिंता) की स्थिति को और बदतर बना देता है।
आपको ऐसा लग सकता है कि यह आपकी नसों को शांत करता है, लेकिन यह आपकी नींद और हाइड्रेशन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस स्थिति में जैसे ही शराब बंद हो जाती है आप पहले से भी अधिक चिंतित महसूस कर सकती हैं।
यह वास्तव में मुश्किल हो सकता है लेकिन अपने मन की शांति के लिए यह छोटा सा बलिदान करें।
मूल रूप से, कैफीन का उच्च स्तर सेरोटोनिन के उत्पादन को कम कर सकता है और आपको अधिक चिंतित और परेशान कर सकता है। हालांकि कैफीन की कम खुराक नुकसान का कारण नहीं बनती है, लेकिन संवेदनशील आंत वाले व्यक्ति थोड़ी मात्रा में भी प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
इसलिए, यह पता करें कि आपके लिए कैफीन की कितनी मात्रा बर्दाश्त करने लायक है। उसमें भी एक दिन में दो कप से अधिक कैफीन किसी को नहीं लेनी चाहिए।
चीनी आपके ब्लड शुगर लेवल को बहुत बुरी तरह प्रभावित करती सकती है। इससे आपका ब्लड शुगर का लेवल काफी बढ़ सकता है। जिससे आपके एनर्जी लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। आपके ब्लड शुगर लेवल क्रैश होने से एंग्जायटी (चिंता) का लेवल भी बढ़ सकता है।
बहुत अधिक प्रोसेस्ड चीनी के सेवन से उदासी, चिंता और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है। यह केवल डेजर्ट नहीं है, जिसके लिए आपको सावधान रहने की जरूरत है, बल्कि कुछ फूड्स जैसे केचप, व्हाइट ब्रेड, कुछ सलाद ड्रेसिंग और पास्ता में भी चीनी होती है। पैकेट में आने वाली किसी भी चीज से दूर रहें।
किसने सोचा होगा कि ये डेली फूड्स एंग्जायटी (चिंता) का कारण बन सकते हैं? अपने पेट को फिर से ठीक करने के लिए एक महीने के लिए उन्हें छोड़ने की कोशिश करें। आपके गट (gut) के स्वास्थ्य की रक्षा करने और स्वाभाविक रूप से आपकी एंग्जायटी की समस्या को मैनेज करने के लिए उनके विकल्प मौजूद हैं।
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