हम रोज़ाना बहुत से लोगों से मिलते हैं। उनका न केवल पहनावा एक दूसरे से भिन्न होता है, बल्कि उनके मन में पल- पल उठने वाले विचार भी एक-दूसरे से मेल नही खाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जो न केवल दूसरों को सुनते हैं, बल्कि उन्हें समझने की क्षमता भी रखते हैं। ऐसे लोग व्यवहार से सहज और समझदार होते हैं। अपने जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और लोगों से मेलजोल इन्हें औरों से अलग करता है। इसी कारण ऐसे लोगों को इमोशनली मेच्योर (emotionally mature) कहा जाता है। क्या आप भी भावनात्मक तौर पर मज़बूत हैं (Signs of emotional maturity) ? चलिए कुछ सवालों का जवाब देकर हम भी चेक करते हैं अपनी भावनात्मक मजबूती।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत का कहना है कि जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को उचित या उच्च तरीके से निंयत्रित कर सकता है वो पूरी तरह से भावनात्मक तौर पर परिपक्व है। वो कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी भावनाओं को सरल और सही तरीके से व्यक्त करने की क्षमता नहीं रखते हैं, उन्हें इमोश्नली मेच्योर की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता। डॉ युवराज पंत के मुताबिक इसकी शुरूआत बचपन से ही की जानी चाहिए। इससे आपकी सोच और समझ में समय के साथ वृद्धि होती रहती है।
बहुत से लोग ऐसे होते है, जो दूसरों के इमोश्ंस को दरकिनार करते हुए अपनी मनमानी करते है। वे मनमाने ढ़ग से अपनी बात को दूसरों के समक्ष रखने में समझदारी का अनुभव करते है। ऐसा करने से अन्य लोगों की भावनाओं के आहत होने का खतरा रहता है। इससे आपकी रिलेशनशिप भी खराब हो सकती है। ऐसे में कुछ भी बोलने से पहले दूसरों की सूनें और उनके इमोश्स को ध्यान में रखते हुए कुछ भी कहें।
डॉ युवराज पंत बताते हैं कि इमोश्नली मेच्योर लोग हर चीज के पीछे तर्क को खोजते हैं। वे अंधविश्वास से परे अपने विचारों और संकल्पों की दुनिया में मसरूफ रहते है। वे रेशनेलटी को बढ़ावा देने में तत्पर रहते हैं। उन्हें किसी बात को लेकर बरगलाने और बहकाने से चांस बेहद कम होते है। दरअसल, वे लोग तर्क की कसौटी पर खरा उतरने के बाद भी किसी काम को करने का मन बनाते हैं।
वे अपनी बात को कहने की जगह हमेशा सुनने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। वे आसपास के लोगों को ऑबजर्व करते हैं और उनके सकारात्मकता गुणों को अपनाते हैं। वे लड़ाई झगड़ों और बहस से दूर जीवन को आसान और सुलझा हुआ बनाने में विश्वास रखते हैं। वे हर काम सोच विचार कर ही करते है। दरअसल, जीवन में पहले से ही आपकी अपेक्षाएं निधार्रित होती है और उन्ही के मुताबिक वे जीवन को एक नया स्वरूप देते हैं।
जो लोग इमोश्नली स्ट्रांग होते हैं, वे अपनी प्रबलता के ज़रिए दूसरों के हाव भाव को आसानी से परख लेते हैं। वे जान पाते हैं कि कोई व्यक्ति आपसे किस कारण से जुड़ा हुआ है। कौन सा व्यक्ति किस बात पर रिएक्ट कर सकता है और किस बात से वो संतुष्टि महसूस करता है। दूसरों को समझने की परख आपकी भावनात्मक परिपक्वता को ज़ाहिर करता है।
ऐसे लोग हमेशा अपने आसपास भीड़भाड को पसंद नहीं करते हैं। दरअसल, भावनात्मक तौर पर मज़बूत लोग़ों को अकेलेपन में भी खुशी का अनुभव होता है। वो उस समय का सदुपयोग करते हैं। अक्सर किताबें पढ़ने या अन्य ज़रूरी कामों में वो समय व्यतीत करते हैं।
ऐसे लोग अपनी गतिविधियों को न केवल आंकते हैं बल्कि दूसरों के नज़रिए को भी जानने के इच्छुक रहते हैं। वे हमेशा अपने व्यवहार को लेकर दूसरों की प्रतिक्रियाएं लेते हैं, ताकि वे खुद में सुधार कर सकें। खुद को और बेहतर बनाने की प्रवृति उन्हें हमेशा औरों से अलग करती है।
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