महामारी के बाद बाहर निकलने में डर लगता है? तो परेशान न हों, क्योंकि आप अकेली नहीं हैं

कोविड के बाद जिंदगी काफी मुश्किल हो सकती है, खासकर तब जब बाहर जाने या लोगों से मिलने-जुलने की बात आती है। चिंता न करें आप थोड़े से प्रयास से अपने जीवन को आरामदायक बना सकती हैं।
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हो सकता है तनाव। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 30 Mar 2021, 07:42 pm IST
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वर्ष 2020 जैसा शायद ही कोई साल रहा हो। इससे पहले हम कभी भी मजबूरन घर के अंदर बंद नहीं रहे और न ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर कभी इतना नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एक वायरस ने हमारे काम करने के तरीके और जीवनशैली को बदलकर रख दिया है। अब जब दुनिया वापस पटरी पर लौट रही है, तो लोगों में और ज्यादा एंग्जायटी हो रही है।

ऐसा क्यों? वो इसलिए, क्योंकि काफी लोगों को FOGO है यानि ‘Fear Of Going Out’ की भावनाओं ने घेर लिया है। कुछ लोग इसे ‘केव सिंड्रोम’ भी कहते हैं।

तो यह क्या है? चूंकि हमारा अधिकांश समय पिछले साल घर के अंदर बीता था। इसलिए हम लगभग भूल चुके हैं कि लोगों के साथ मेलजोल और बातचीत कैसे की जाए। बेशक, स्थिति उन लोगों के लिए बदतर हो सकती है, जो पहले से ही एंग्‍जायटी और मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जूझ रहे हैं। पिछले साल, उनके लिए अलग-थलग रहना और “लोगों से नहीं मिलना” कठिन था। पर इस साल, उन्‍हें “सामाजिक संपर्क बनाना” मुश्किल लग रहा है।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के सर्वेक्षण द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 49% वयस्कों ने इन-पर्सन इंटरएक्शन होने पर वापस लौटने में असहज महसूस किया।

‘केव सिंड्रोम’ क्या है?

विशेषज्ञों का कहना है कि यह एगोराफोबिया के समान हो सकता है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर जाने से भय होने लगता है। कुछ मामलों में, यह ऐसी स्थिति है जहां आप मदद लेने में असमर्थ हैं।

कोविड ने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बुरी तरह प्रभावित किया है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोविड ने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बुरी तरह प्रभावित किया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

तनाव के बढ़ा हुआ स्तर उन लोगों में देखा जाता है, जो अंतर्मुखी होते हैं और चिंता करते हैं। या ऐसे लोगों में जो बाहर जाने से ज्यादा घर में रहना पसंद करते हैं। ये वे लोग हैं जो घर से बाहर कदम रखने के विचार से ही परेशान होने लगते हैं।

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हमें इस समस्या से कैसे निपटना चाहिए?

अगर आप भी ऐसा कुछ महसूस कर रहीं हैं, तो सबसे पहले अपने घरवालों को बताएं। वे आपकी इससे निपटने में मदद कर सकते हैं। पहला कदम उन लोगों से मिलना शुरू करना है जिनके साथ आप सहज हैं, बेशक सभी आवश्यक सावधानी बरतते हुए।

इसके अलावा, अपने साथियों से फीडबैक लेना भी महत्वपूर्ण है। ताकि यह पता चल सके कि बाहर की स्थिति कैसी है। उदाहरण के लिए, यदि आपका पड़ोसी पार्क में सैर के लिए गया था, तो आप उनसे पूछ सकती हैं कि बाहर सब कुछ कैसा है। यह आपको धीरे-धीरे और लगातार सार्वजनिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने का विश्वास देगा।

दोस्‍तों से बात करें, यह सोशल फोबिया दूर करने में मददगार होगा। चित्र: शटरस्‍टॉक
दोस्‍तों से बात करें, यह सोशल फोबिया दूर करने में मददगार होगा। चित्र: शटरस्‍टॉक

इसके बाद, याद रखें कि जल्दी बिल्‍कुल न करें। एक बार में एक कदम उठाना ठीक है। हर कोई एक जैसा नहीं होता। यदि आपको लगता है कि आपको धीरे-धीरे सामान्य जीवन में परिवर्तन करने की आवश्यकता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

अगर कुछ भी मदद नहीं करता है, तो आप चिकित्सीय मदद लेना बेहतर है। साथ ही, आप अपनी चिंताओं के बारे में बात करने के लिए स्वयं-सहायता समूहों से ऑनलाइन जुड़ सकते हैं। इससे आपको अहसास होगा कि ऐसा फील करने वाली आप अकेली नहीं हैं।

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