कॅार्टिसोल हाॅर्मोन बढ़ाता है आपका स्ट्रैस, जानिए इसे कैसे कंट्रोल करना है

जब शरीर किसी विपरीत परिस्थिति में होता है। उस अवस्था में हमारे शरीर में कॅार्टिसोल हार्मोंन रिलीज़ होने लगता है। जानते हैं वो कौन से तरीके हैं, जिनसे कॅार्टिसोल के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।
cortisol level ko control krne ke liye deep breathing best hai.
डीप ब्रीदिंग सकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकता है और मानसिक संतुलन में मदद कर सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Updated: 18 Oct 2023, 10:21 am IST
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जब भी कोई इंसान तनाव ग्रस्त होता है, तो उसकी बाॅडी में सिक्रीट होने वाले हार्मोन को कॅार्टिसोल कहते हैं। आमतौर पर इसकी ज़रूरत हमारे शरीर को उस वक्त होती है। जब हमारा शरीर तनाव से गुज़र रहा होता है। ऐसे में मन को नियंत्रित करने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। दरअसल, कई बार शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने से ये शरीर में कई समस्याओं का कारण भी बनने लगता है। जानते हैं वो कौन से तरीके हैं, जिनसे शरीर में कॅार्टिसोल के लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। (ways to cut down cortisol level)

इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जब हमारा शरीर किसी भी विपरीत परिस्थिति में होता है और उसका सामना नहीं कर पाता है। उस अवस्था में हमारे शरीर में कॅार्टिसोल हार्मोंन रिलीज़ होने लगता है। जो ब्लड के ज़रिए पूरे शरीर में फैल जाता है। इस कंडीशन को एड्रेनल फटीग सिंड्रोम (Adrenal fatigue syndrome) कहा जाता हैै। दरअसल ये सिक्रीशन एड्रेनल ग्लैंड से होता है। इसके चनते हमें थकान, सिरदर्द, घबराइट और बदनदर्द की समस्या होने लगती हैै।

जानते हैं वो कौन सी समस्याएं हैं, जो कॅार्टिसोल की अधिक मात्रा के कारण शरीर में बढ़ने लगती है।

1. क्रानिक डिज़ीज

अगर आपके शरीर में कॅार्टिसोल हार्मोंन का लेवल बढ़ता है, तो इससे कई बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसके चलते आप हाई ब्लड प्रेशर,ए हार्ट डिज़ीज़, टाइप 2 डायबिटीज़, ऑस्टियोपोरोसिस और कई पुरानी बीमारियों का जोखिम बढ़ने लगता है।

2. वेट गेन होना

शरीर में कॅार्टिसोल बढ़ने से बार बार भूख लगने लगती है। इससे मेटाबाॅलिज्म शरीर में फैट्स को स्टोर करने लगता है। फैट स्टोर होने से वज़न धीरे धीरे बढ़ने लगता है। इसके चलते आप मोटापे के शिकार हो जाते हैं।

3. ऊर्जा की कमी और नींद का न आना

इसके चलते नींद नहीं आ पाती है। तनाव का प्रभाव नींद की गुणवत्ता पर दिखने लगता है। इसके अलावा शरीर में एनर्जी की कमी महसूस होने लगती है।

cortisol level ko kaise control karein
काॅर्टिसोल लेवल को बाॅडी में कैसे कंट्रोल करें। चित्र : शटरस्टॉक

4. फोक्स न कर पाना

इसे ब्रेन फाॅग के तौर पर भी जाना जाता है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने से किसी भी काम पर फोक्स नहीं कर पाते हैं। साथ ही अपने विचारों को व्यक्त करने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है।

शरीर में कॅार्टिसोल की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए इन बातों का रखें ख्याल

1. पूरी नींद लें

वे लोग जो केवल 5 से 6 घंटे की ही नींद ले पाते हैं। वे अक्सर तनाव में नज़र आते हैं। नेशनल लाइब्रेरी आफ मेडिसिन के मुताबिक वे कर्मचारी जो दिन रात की डयूटीज़ करते हैं। उनके शरीर में इस हार्मोंन के बढ़ने का खतरा रहता है। इससे आप दिनभर आलस महसूस करते हैं और क्वालिटी स्लीप भी नहीं ले पाते हैं। वे वर्कर जो दिन में सोते है। उनके शरीर में कॅार्टिसोल का सिक्रीशन होता रहता है। नींद पूरी न होने से शरीर में टाइप 2डायबिटीज़, हार्ट अटैक और और मेंटल हेल्थ खराब होने का जोखिम बढ़ जाता है।

2. एक्सरसाइज़ है ज़रूरी

रेगुलर एक्सरसाइज़ करने से आपकी नींद की क्वालिटी में सुधार आने लगता है। धीरे धीरे तनाव कम होता है और कॅार्टिसोल का लेवल कम होता चला जाता है। मोडरेट एक्सरसाइज़ आपके स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाती है। अमेरिकन काॅलेज आफ स्पोर्ट मेडिसिन के मुताबिक रोज़ाना 30 मिनट की एक्सरसाइज़ आपकी मेंटल और फिज़िकल हेल्थ दोनों को बेहतर बनाती है।

office exercise se cortisol level ko kum karein
जानते हैं कि वो कौन से उपाय है, जिनकी मदद से कॅार्टिसोल का लेवल कम होता चला जाता हैं। चित्र शटरस्टॉक।

3. डीप ब्रीदिंग

इससे धीरे धीरे तनाव कम होने लगता है, जो शरीर में कॅार्टिसोल की मात्रा को नियंत्रित कर लेता है । मेडिटेशन कई प्रकार से हमारे लिए फायदेमंद है। इसके अलावा आप तनाव को कम करने के लिए योग भी कर सकते हैं। गहरी सांस लेने और फिर ब्रीद आउट करने से आपके लंग्स क्लीन होते हैं। शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है। एनसीबीआई के मुताबिक सप्ताह में 90 मिनट मेडिटेशन करने से तनाव शरीर से रिलीज़ होने लगता है।

4. हेल्दी डाइट लें

स्वस्थ भोजन आपकी विचारधारा को भी उत्तम बनाए रखता है। डाईट में डार्क चाॅकलेट, ओट्स, होल व्हीट ग्रेन, ग्रीन टी और प्रोबायोटिक्स का सेवन करें। मौसमी फलों और सब्जियों के अलावा विटामिन्स, मिनरल्स और कैल्शियम की भरपूर मात्रा भी लें।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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