दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के वैरिएंट तबाही मचा चुके हैं। संक्रमित व्यक्तियों के शरीर में कई ऐसे बदलाव देखने को मिले हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों के साथ आए हैं। कुछ दावे यह भी किए गए कि कोरोना वायरस संक्रमण का गंभीर रूप मस्तिष्क की क्षमताओं पर भी प्रभाव डालता है। लेकिन हाल ही में की गई एक स्टडी इस बात का दावा करती है कि संक्रमण माइल्ड होने पर भी मस्तिष्क में बदलाव और सोचने की क्षमता पर प्रभावित हो सकती है।
सोमवार को इस अध्ययन को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया, जिसमें शोधकर्ताओं ने संक्रमण के महीनों बाद कोविड से जुड़े मस्तिष्क को पहुंचने वाले नुकसान की पहचान की। नुकसान की सूची में गंध से जुड़े क्षेत्र और सामान्य उम्र बढ़ने के एक दशक के बराबर मस्तिष्क के आकार में सिकुड़न शामिल है। यह शोध सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर कोरोना वायरस संक्रमण के प्रभाव को दर्शाता है।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो नेचर जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन माना जा रहा है। अध्ययन कहता है कि जिन लोगों में कोविड-19 था उनके ब्रेन में ग्रे पदार्थ और मस्तिष्क के ऊतकों में असामान्यताएं उनकी तुलना में अधिक थी, जिन्हें कोविड-19 नहीं हुआ था। उनमें से कई परिवर्तन मस्तिष्क के क्षेत्र में गंध की भावना से संबंधित थे।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के तंत्रिका विज्ञान के सहयोगी प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक ग्वेनाले डौड ने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि, “हम हल्के संक्रमण के साथ भी मस्तिष्क में स्पष्ट अंतर देखकर काफी हैरान थे।”
वे आगे कहते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ लोगों के मस्तिष्क के स्मृति संबंधित क्षेत्रों में हर साल 0.2% से 0.3% ग्रे पदार्थ खोना सामान्य है, लेकिन अध्ययन मूल्यांकन में, जो लोग कोरोनावायरस से संक्रमित थे, उनमें इससे ज्यादा की क्षति देखी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डौड और उनके सहयोगियों ने साल 2020 मार्च और अप्रैल 2021 के बीच कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे 401 लोगों से मस्तिष्क इमेजिंग का मूल्यांकन किया। शोधकर्ताओं ने परिणाम की तुलना 384 ऐसे लोगों से की, जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण नहीं हुआ था।
इसमें कई चीजों का ध्यान रखा गया जैसे लोगों की उम्र, सामाजिक आर्थिक और जोखिम वाले कारकों जैसे रक्तचाप और मोटापे के मस्तिष्क इमेजिंग के साथ की। 401 संक्रमित लोगों में से 15 अस्पताल में भर्ती थे।
जानकारी के अनुसार सभी 785 प्रतिभागी 51 से 81 साल की उम्र के बीच में थे और सभी यूके बायोबैंक का हिस्सा थे। यूके बायो बैंक साल 2012 में 500000 लोगों का एक सरकारी स्वास्थ्य डेटाबेस है। अध्ययन में सामने आया कि कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के मस्तिष्क में बदलाव दिखाई दिया।
अध्ययन में पाया गया कि ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन लोगों को लोंग कोविड सिम्प्टम्स थे, सिर्फ उन्हीं के मस्तिष्क में बदलाव देखने को मिले। इसकी भी संभावनाएं हैं कि माइल्ड सिंपटम वाले मरीजों में भी मस्तिष्क परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। जिसमें दिमाग में सिकुड़न और सूंघने की क्षमता में कमी हो सकती है।
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