आज मोबाइल सभी की ज़रूरत है। या कहें तो अब यह हम सभी के जीवन का हिस्सा बन गया है। बिल्कुल किसी परिवार के सदस्य की तरह। आज हमारी जिंदगी मोबाइल से शुरू होकर मोबाइल पर ही खत्म हो जाती है। हम अपने हर काम के लिए अपने सेल फोन्स पर निर्भर हैं। मगर आज की यह निर्भरता कब कल की समस्या बन जाएगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। जी हां… यह सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें से हार्म्फ़ुल रेडिएशन निकलती हैं, अल्जाइमर से लेकर कैंसर तक का कारण बन सकती हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं जानिए इससे जुड़े अध्ययन में क्या सामने आया?
सेल फोन और कॉर्डलेस फोन सिग्नल भेजने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन (RF) का उपयोग करते हैं। आरएफ अन्य प्रकार के विकिरण (जैसे एक्स-रे) से अलग है। जिसे हम जानते हैं कि हानिकारक हो सकता है। हम निश्चित रूप से नहीं जानते कि सेल फोन से आरएफ रेडिएशन वर्षों बाद भी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने RF विकिरण को “ह्यूमन कार्सिनोजेन” के रूप में वर्गीकृत किया है। (एक कार्सिनोजेन एक एजेंट है जो कैंसर का कारण बनता है।) इतना ही नहीं, बुजुर्गों में यह अल्जाइमर जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।
इस बारे में अधिक जानने के लिए हमने ग्लोबल हॉस्पिटल परेल मुंबई के न्यूरोलॉजिस्ट और रीजनल डायरेक्टर फॉर न्यूरोलॉजी, स्ट्रोक एंड न्यूरोक्रिटिकल केयर, डॉ शिरीष हस्तक, से बात की।
डॉ शिरीष का कहना है कि ”सेल फोन से निकलने वाली रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन, हानिकारक हो सकती है। लंबे समय में यह कैंसर का कारण बन सकता है। आगे चलकर यह अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) का कारण बन सकता है।
डॉ शिरीष के अनुसार ”अल्जाइमर रोग एक प्रकार का डिमेंशिया है। जिसका मुख्य लक्षण है स्मृति हानि। जैसे यदि रोगी को याद नहीं है कि उसने आज सुबह नाश्ते के लिए क्या खाया था, वे भूल जाते हैं कि पांच मिनट पहले या दस मिनट पहले क्या बातचीत हुई थी। उनकी हाल की याददाश्त खराब है, लेकिन पिछली याददाश्त बरकरार है। इसका मतलब है कि उन्हें याद है कि उनका जन्मदिन कब था, कहां उनका जन्म हुआ था। मरीज को 15 साल पहले की याद है, लेकिन उन्हें ठीक से याद नहीं है कि 15 मिनट पहले क्या हुआ था। यह सब अल्जाइमर रोग के पहले लक्षण हैं।”
यह ज्यादातर 65 या 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। यदि यह 65 वर्ष से पहले होता है, तो यह आमतौर पर परिवार से जेनेटिक कारणों से होता है। बाद में यह शिथिलता का कारण भी बन सकता है। इसमें लोग खाना पकाने और ड्राइविंग जैसी बुनियादी गतिविधियों को करने में सक्षम नहीं होते हैं। अल्जाइमर रोग में रोगी का औसत जीवन काल लगभग 8 से 10 वर्ष होता है।
तो यदि आपके माता – पिता भी अपने सेल फोन का ज़्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें आगे चलकर आल्जाइमर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डॉ. शिरीष का सुझाव है कि यदि संभव हो तो अपने सेलफोन एक्सपोजर को कम करना एक अच्छा विचार है।
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