कोविड-19 की इस कठिन परिस्थिति ने हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हम नहीं जानते कब तक हमें ऐसे ही रहना होगा। आने वाले समय को लेकर जो अनिश्चितता है, वह हमारे मन पर दुष्प्रभाव डाल रही है।
इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपने मन को शांत रखना सीखें। इसमें हमारी आस्था एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमने बात की प्रैक्टिसिंग निचिरेन डओशोणिन बुद्धिस्ट दीपिका वाधवा से और जाना कैसे मेडिटेशन से वे लॉकडाउन में खुद को शांत रखती हैं।
दीपिका बताती हैं,”यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपनी शांति का एक जरिया ढूंढे, जो मुश्किल वक्त में हमारी ताकत हो और अच्छे समय में प्रेरणा। वह ज़रिया कुछ भी हो सकता है। मेरे लिए निचिरेन डओशोणिन का बुद्धिज़्म वो जरिया बना।”
दीपिका कहती हैं, “इस राह में मैंने खुद को जाना है और खुद को सुधारा भी है। मेरे सफर में सबसे महत्वपूर्ण कोई था तो वो हैं मेरे मेंटोर डॉ डाइसकु इकेड़ा।”
18 साल पहले मई 2002 में मुझे पता चला कि मेरे दिमाग के पीछे अखरोट जितना बड़ा ट्यूमर है। स्थिति गम्भीर थी, मैं हर वक्त परेशान रहती थी। मुझे गुस्सा बहुत आने लगा। ऐसे में मैंने प्रैक्टिस शुरू की। उस वक्त मैंने सिर्फ अपनी जरूरत पूरी करने के लिए यह सफर शुरू किया था, आज यह मेरे जीवन का एक एहम हिस्सा है।
शुरुआत में मुझे बहुत डर लगता था, चिंता होती थी तो मेरे साथ के एक प्रैक्टिशनर ने मुझे एक पोस्टर दिया जिस पर लिखा था ‘रात जितनी काली होती है, सुबह उतनी ही करीब होती है’। मैंने वह पोस्टर अपने बिस्तर के उपर दीवार पर चिपका लिया और रोज़ सुबह उठते ही उसे देखती थी। इससे मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिली है।
प्रैक्टिस सिर्फ मेडिटेशन नहीं है, प्रैक्टिस विश्वास, श्रद्धा और ज्ञान का मेल है। समय के साथ प्रैक्टिस ने मुझे शांत और संतुलित बनाया है। हम मंत्र जपते हैं, जिसने मुझे कठिन से कठिन स्थिति में भी संयमित बनाया है।
मेरे गुरु जी एक बात कहते हैं, “बुरा सोचेंगे, बुरा बोलेंगे तो ब्रह्मांड की बुराई को अपनी ओर आकर्षित करेंगें। अच्छा सोचेंगे, अच्छा बोलेंगे तो अच्छी ऊर्जा को आकर्षित करेंगे।”
इस समय हर व्यक्ति जीवन में तनाव या अवसाद से ग्रस्त है। कारण है मानसिक शांति की कमी। जाप करने से मुझे यह शांति मिलती है। मैं हर परिस्थिति को झेलने के लिए, उससे लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हूं। और इसका श्रेय मैं प्रैक्टिस को ही दूंगी।
मैं सभी को सलाह दूंगी कि अगर जीवन में कोई समस्या है तो उसको सिर्फ और सिर्फ सकारात्मकता से ही जीता जा सकता है। इस सकारात्मकता के लिए आप प्रैक्टिस का सहारा ले सकते हैं, या आपको जिसमें खुशी मिले वह काम भी अपना सकते हैं। खुश रहना ज़रूरी है।