ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि टॉक्सिक रिश्ते में मेहनत और समय देना व्यर्थ है और इससे जितना जल्दी बाहर निकल आया जाए, उतना बेहतर है। लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार यह निर्णय सही हो। हर रिश्ता एक जैसा नहीं होता। यही कारण है कि हर रिश्ते के लिए एक ही सुझाव कारगर नहीं है।
किस रिश्ते को बचाया जा सकता है और किसे नहीं, जानने का सबसे पहला तरीका है- क्या दोनों पार्टनर रिश्ते को सुधारने के लिए मेहनत करने के लिए इच्छुक हैं! जब तक दोनों ही पार्टनर बराबर एफर्ट करने को तैयार नहीं हैं, तब तक किसी रिश्ते को बचाया नहीं का सकता।
यह कहने की जरूरत नहीं कि कोई भी रिश्ता टॉक्सिक रूप तब ही लेता है जब किसी समस्या को आप दोनों ही लम्बे समय तक नजरअंदाज करते रहें। जब लड़ाईयों को सुलझाने और बात करने के बजाय दबा दिया जाता है, तो रिश्तों में कड़वाहट आना लाजमी है। इस रिश्ते को सुधारा भी जा सकता है, लेकिन सिर्फ अगर दोनों पार्टनर तैयार हों तो। यह भी समझना जरूरी है कि इस कड़वाहट को मिटाने में समय लगता है और आपको धैर्य और संयम से काम लेना होगा।
अधिकांश रिश्तों को टूटने से बचाया जा सकता है अगर दोनों ही लोग उस रिश्ते को बचाने के लिए बराबर एफर्ट्स डालें। हम बता रहे हैं कि एक टॉक्सिक रिश्ते को सुधारने के लिए आप क्या कर सकती हैं:
किसी भी रिश्ते में सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपना समय और प्रयास निवेश करने को तैयार हों। जब दोनों पार्टनर में रिश्ते की कद्र और उसे बचाने की इच्छा होती है, तो रिश्ते को बचाया जा सकता है। कायदे से बैठ कर बात करने से बहुत सी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। तब दोनों नई शुरुआत कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण है कि आप खुद को पूरी तरह से इस रिश्ते में निवेश करने को तैयार हों। आप अपना समय दें और बिखरे हुए रिश्ते को संजोना शुरू करें।
पहले ऐसा क्या क्या हुआ जिसने आपके रिश्ते को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया, यह सवाल खुद से पूछना बहुत जरूरी है। समझें कि आपके किस बर्ताव ने रिश्ते को नुकसान पहुंचाया है। यह दोनों तरफ से होना चाहिये। अपनी गलती मानना आपके रिश्ते को नया जीवन दे सकता है।
यह जरूरी है कि जब चीजें मुश्किल हो जाएं, बातचीत जटिल रुख ले ले, आप उससे भागने न लगें। इन विषयों पर बात करें और पूरी ईमानदारी से हिस्सा लें। रिश्ते को टॉक्सिक बनाने में दोनों पार्टनर का हाथ है। इसलिए अपनी-अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेना भी जरूरी है।
आपके रिश्ते को आगे जीवन तभी मिल सकेगा जब आप एक-दूसरे पर दोष मढ़ना छोड़कर समाधान की ओर बढ़ेंगे। आप एक-दूसरे के बारे में जितना ज्यादा जानेंगे, आपका रिश्ता उतना ही मजबूत होगा।
यह आपके खुद के लिए भी समझना जरूरी है कि आप इस रिश्ते से चाहती क्या हैं। अपनी सीमा भी तय करना जरूरी है।
बार-बार बीती बातों को लेकर झगड़ा करना सबसे बुरी आदत है। जो बात खत्म हो गई उसे अतीत में ही छोड़ दें। रिश्ते को सुधारना है, तो पुरानी बातों से आगे बढ़ें।
यह सच है कि आपको पुरानी बातों का विश्लेषण करना होगा ताकि भविष्य में वही समस्या ना आएं। लेकिन उन बातों के गिले शिकवे खत्म कर के ही आगे बढ़ें।
अगर आप अपने पार्टनर को अपने जीवन की समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं, तो रुकिए और सोचिए- क्या यह सही है? आगे आप क्या करने वाली हैं यह भी सोचें। जो भी समस्या हैं उससे भागें नहीं, बल्कि उनका सामना करें।
अपने पार्टनर के प्रति संवेदनशील भी बनें। यह भी तो सम्भव है कि उनके जीवन में काम को लेकर, माता-पिता को लेकर या किसी भी अन्य कारण से समस्या हो। आपके जीवन में जो समस्या हैं वह उनके जीवन की समस्याओं को न बढ़ाएं और ऐसा ही वह भी प्रयास करें। उनकी समस्याओं को समझें और उनके लिए सहानुभूति रखें।
हर अच्छी चीज समय लेती है, यह याद रखें। आपके रिश्ते को वापस पटरी पर आने में कुछ महीने या साल भी लग सकते हैं। लेकिन आपको निरंतर प्रयासरत होना पड़ेगा।
आपके रिश्ते को बचाने के किये कपल थेरेपी एक बहुत अच्छा रास्ता है। यह आपके रिश्ते को नया जीवन दे सकती है।
हम जानते हैं कि एक टॉक्सिक रिश्ते को दोबारा संवारना आसान नहीं है, लेकिन दोनों ही पक्ष कोशिश करें तो रिश्ते को खूबसूरत बनाना बहुत मुश्किल भी नहीं है। बस याद रखें कोई भी सकारात्मक परिणाम आने में समय तो लगेगा।
बस ध्यान रखें कि जितने एफर्ट आप कर रही हैं उतने ही आपके पार्टनर भी कर रहे हों। अगर ऐसा नहीं है, तो आप जानती हैं कि आपके लिए बेहतर क्या है। हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह एक प्यार भरे, सुंदर रिश्ते में हो जो उसके जीवन को आसान बनाये। अंततः अपनी खुशी ही चुनें।
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