महात्मा गांधी के शब्द हैं,”जो बदलाव दुनिया में देखना चाहते हो, वह बदलाव सबसे पहले खुद में लाएं। दुनिया बदल जाएगी।”
हम चाहते हैं कि यह समाज ज्यादा दयालु, ज्यादा संवेदनशील हो, लेकिन हम खुद के प्रति संवेदना रखते ही नहीं है। जब हम अपनी गलतियों को अपनाकर आगे बढ़ते हैं, तभी हम एक बेहतर व्यक्ति बन पाते है।
हमेशा ऐसे दोस्त बनाएं जो आपको अपने प्रति अच्छा महसूस कराते हों और आपकी केयर करते हों। नकारात्मक लोगों से बिल्कुल दूर रहें।
आपके दोस्त आपको गिरने पर उठाते हैं, आपके हारने पर हौसला बढ़ाते हैं और फिर से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे सकारात्मक व्यक्तियों के साथ समय बिताने से आप खुद सकारात्मक रहेंगे और बेहतर व्यक्ति बनेंगे।
खुद के प्रति कठोर न बनें। छोटे-छोटे लक्ष्य तय करें और उन्हें पाने के लिए प्रयास करें।
आपके सपने हकीकत से जुड़े होने चाहिए। इसका यह मतलब नहीं कि आप बड़े सपने ना देखें, बस एक बार में एक कदम बढ़ाएं। छोटे लक्ष्य होने से आपको महसूस होगा कि आप आगे बढ़ रहे हैं। सीधे बड़े लक्ष्य पर केंद्रित होंगे तो आपका मनोबल टूट जाएगा।
दूसरी बात, असफलता को भी अपनाना ज़रूरी है। आपकी असफलता आपके प्रयास का प्रतीक है। इसलिए असफ़लता से डरें नही। यह बहुत सामान्य है।
क्या आप यह अपने दोस्त से कहेंगी? अगर नहीं तो खुद से क्यों कह रही हैं?
अपनी गलतियों को मानना ज़रूरी है लेकिन खुद की आलोचना न करें। खुद से बात करते वक्त सकारात्मक रहें। ‘मैं नहीं कर सकती’ या ‘क्या मुझसे यह हो सकेगा?’ जैसे सवालों के बजाय कहें कि मैं पूरी कोशिश करूंगी। इन छोटे-छोटे कदम से आपके आत्मविश्वास पर बहुत असर पड़ता है। खुद के प्रति करुण बनें।
अपने शरीर के साथ-साथ अपने मन का भी ख्याल रखें। इसके लिए कुछ अच्छी आदतें डालें जैसे हर दिन 8 घण्टे की नींद ले, बैलेंस डाइट लें, थोड़ी एक्सरसाइज करें, अपने आस-पास सफाई रखें, प्रकृति के बीच समय बिताएं इत्यादि।
कभी भी अपनी तुलना दूसरों से न करें। हम अक्सर उनकी अच्छाइयों से अपनी बुराइयों की तुलना करते हैं। कोई भी पेरफेक्ट नहीं होता और हर किसी की ज़िंदगी अलग है। दूसरों की खूबियों को देखें, लेकिन तुलना करने के लिए नहीं बल्कि सीख लेने के लिए। खुद पर भरोसा रखें।
अगर आप परेशान हैं, तो दूसरों से मदद लें। इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर आप कोई निर्णय नहीं ले पा रहे तो किसी दोस्त या परिवार जन से सहायता लें। आखिरकार दोस्त हमें सहारा देने के लिए ही तो होते हैं।
साथ ही अगर आपकी समस्या गंभीर है तो प्रोफेशनल मदद लें खासकर एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के लिए। मदद मांगना अपनी समस्या का सामना करने का पहला कदम है।
सुविचार यानी वो बातें जो आपको प्रोत्साहित करती हैं, आपका मनोबल बढ़ाती हैं। इन्हें कहीं लिख कर रखें। ताकि जब भी आपको नकारात्मक महसूस हो, आप इन्हें पढ़कर प्रोत्साहित महसूस करें। आप किसी डायरी में लिख सकती हैं या पोस्टर के रूप में अपने कमरे में रख सकती हैं। इससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी।
याद रखें, खुद से प्यार करें क्योंकि कोई भी सफलता आपकी खुशी के बिना अधूरी है।