तमाम मानसिक रोगों में बाइपोलर डिसॉर्डर सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। इसके बावजूद इसे गलत तरह से समझा जाता है। अधिकतर लोग समझते हैं कि बाइपोलर डिसॉर्डर गंभीर और अकस्मात मूड स्विंग्स हैं, जबकि यह तो कुछ भी नहीं है। असल में बाइपोलर डिसॉर्डर इससे कहीं अधिक जटिल है।
जीवन में उतार-चढ़ाव होते ही रहते हैं। कभी आपको बहुत छोटी सी बात पर बहुत अधिक खुशी हो जाती है, कभी अचानक ही आप रोने लगती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप बाइपोलर हैं।
बाइपोलर में अत्यधिक खुश और दुखी होना एक लक्षण होता है। खुशी होने पर मैनिक एपिसोड और दुखी होने पर डिप्रेसिव एपिसोड कहा जाता है। इसीलिए इसे कई बार मैनिक डिप्रेशन भी कहा जाता है। इस स्थिति को तरीके से बेहतर समझने के लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट की मेंटल हेल्थ एंड बेहवियरल साइंस डिपार्टमेंट की हेड और क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट कामना छिब्बर से बात की।
वह बताती हैं, “लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं, लेकिन यह एक्सट्रीम खुशी और दुख, यह सभी में नजर आता ही है।”
छिब्बर बाइपोलर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताती हैं जो आपको मालूम होनी चाहिए।
बाइपोलर में जो मूड अचानक से बदल जाता है, इसे मूड एपिसोड कहते हैं। यह मूड एपिसोड्स दो तरह के होते हैं- पहला मैनिक एपिसोड जिसमें आपको बहुत उत्साह और खुशी महसूस होती है। आप बेवजह खुश होते हैं। दूसरा है डिप्रेसिव एपिसोड जहां आपको बहुत लो महसूस होता है, निराशा, दुख और थकान महसूस होती है।
मैनिक एपिसोड में आप आत्मविश्वास से भर जाते हैं। बहुत उत्साहित होते हैं जिसके कारण आप जरूरत से ज्यादा मुश्किल निर्णय ले लेते हैं। यह निर्णय गलत होते हैं और आगे आपके जीवन को प्रभावित करते हैं।
कई बार आपको मैनिक एपिसोड और डिप्रेसिव एपिसोड साथ में पड़ने लगते हैं। ऐसे में जाहिर है कि आप समझ नहीं पाते कि आप महसूस क्या कर रहे हैं। आप अपने अंदर की भावनाओं को समझ ही नहीं पाते जो कि आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक स्थिति होती है।
बाइपोलर डिसॉर्डर से गुजर रहे व्यक्ति नींद की कमी के कारण हमेशा चिड़चिड़े रहते हैं। कम नींद के कारण और भी बहुत से हेल्थ प्रॉब्लम सामने आते हैं। इससे स्थिति और खराब हो जाती है। अनिद्रा की समस्या में थेरेपी से आराम मिलता है।
शुरुआती स्टेज में बाइपोलर डिसॉर्डर डायग्नोस हो पाना मुश्किल होता है। जब आप बाइपोलर से ग्रस्त होते हैं तो खुश होने पर आप एक फन-लविंग व्यक्ति के रूप में दुनिया के सामने होते हैं। वहीं दुखी होने पर आपको लगता है कि आपके जीवन में बुरा वक्त चल रहा है। यही कारण है कि पता ही नहीं चल पाता कि आपको बाइपोलर डिसॉर्डर है।
सही इलाज के साथ बाइपोलर को कंट्रोल किया जा सकता है। थेरेपी और दवा के द्वारा आपकी समस्या को नियंत्रित किया जाता है जिससे आपके जीवन के अन्य अंग प्रभावित न हों। अगर आप मेडिटेशन करते हैं तो आप स्टेबल और शान्त रह सकते हैं, कोई मुश्किल नहीं होती।
छिब्बर कहती हैं,”सबसे महत्वपूर्ण यही है कि आप समय पर ट्रीटमेंट लें। अपनी समस्या को मानें और डॉक्टर की मदद लें। परिवार और प्रियजनों से अपनी समस्या साझा करें। ऐसे में अपनों का साथ और प्यार होना जरूरी होता है।”
मानसिक रोग और स्वास्थ्य को लेकर समाज में ढंग से बात नहीं होती। यही कारण है कि इस तरह के गंभीर रोगों का इलाज कराने में लोग झिझकते हैं। इसे खत्म किया जाना जरूरी है। अगर आपको कोई समस्या होती है तो दुनिया की ना सोचें, अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचें और सही निर्णय लें।