आत्महत्या के कारण किसी अपने का चला जाना बहुत मुश्किल स्थिति होती है। जो व्यक्ति संसार से जाता है उसके साथ-साथ उनके मित्र, परिवार और अपनों पर क्या बीतती है, यह समझना बहुत कठिन है। हर आत्महत्या अपने पीछे बहुत से सवाल छोड़ जाती है।
आज के समय में नौजवानों की मौत के कारण में आत्महत्या तीसरे स्थान पर है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते आत्महत्या की दर दिन ब दिन बढ़ता ही जा रही है। आत्महत्या एक साइलेंट महामारी है, जिस पर बात की जानी चाहिए।
यह भी समझना जरूरी है कि आत्महत्या को कैसे रोका जा सकता है। आत्महत्या का एक मात्र कारण मानसिक रोग ही नहीं है। WHO के प्रोजेक्ट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज के आंकड़ों के अनुसार, भारत में महिलाओं का आत्महत्या दर वैश्विक दर से दो गुना ज्यादा है, वहीं पुरुषों में भी यह दर 1.5 गुना ज्यादा है। 15 से लेकर 39 की उम्र के लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं।
आत्महत्या की दर के साथ-साथ उससे जुड़ी अफवाहें और कई सुनी-सुनाई बातें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या जानकारी सही है और क्या गलत।
एक बार यदि कोई आत्महत्या का प्रयास करता है, तो वह आजीवन आत्मघाती ही रहेगा
यह बहुत गलत धारणा है कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार आत्महत्या करना चाहता है वह आगे भी जीवन को अपना नहीं पाता। आत्महत्या का प्रयास करना किसी एक परिस्थिति का परिणाम होता है, मनुष्य की सोच का नहीं। इस तरह के विचार मन में आते-जाते रहते हैं।
शुरुआती लक्षण पहचान कर मदद की जाए, तो आत्महत्या की इच्छा रखने वाला व्यक्ति भी जीवन की खूबसूरती को अपना लेता है।
मानसिक समस्याओं से गुजर रहे व्यक्ति से आत्महत्या के विषय पर बात नहीं करनी चाहिए
अधिकांश मामलों में मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति सामाजिक संकीर्णता के कारण अपनी स्थिति किसी से साझा नहीं करते। अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से उन्हें उनकी मनोस्थिति का अंदाजा लगता है और अपनी बात साझा करके बेहतर महसूस करते हैं। बात करने से उनके आत्महत्या के विचार मन से निकलने की भी सम्भावना है।
आत्महत्या सिर्फ मानसिक रोगी ही करते हैं
आत्महत्या के विचार के पीछे अत्यंत दुख छुपा होता है। हालांकि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति जीवन के प्रति असंतुष्ट रहता है और आत्महत्या का प्रयत्न कर सकता है। लेकिन कोई भी दुखी व्यक्ति जो मानसिक रोगी न भी हो, वह भी आत्महत्या कर सकता है।
आत्महत्या अचानक से की जाती है, जिसे कोई जान नहीं सकता
आत्महत्या के विचार रखने वाले व्यक्ति में कई लक्षण नजर आते हैं, जो उनके बर्ताव में बदलाव से समझे जा सकते हैं। यह जरूरी है कि मित्र और करीबी परिवार जन इन संकेतों को समझें। ताकि अनहोनी होने से पहले कोई भी निर्णय लिया जा सके।
गरीब तबके के लोग ही आत्महत्या करते हैं
यह मानना बिल्कुल गलत है कि आत्महत्या सिर्फ एक खास आर्थिक तबके के लोग करते हैं। जीवन से निराश कोई भी हो सकता है। आत्महत्या समाजिक चिंता का विषय है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
आत्महत्या का विचार जेनेटिक होता है
यह मिथ अक्सर सुनने में आता है। सुसाइड यानी आत्महत्या कोई बीमारी नहीं है। इस कदम के लिए मनुष्य को उसकी परिस्थिति विवश करती हैं। आत्महत्या का कारण हर व्यक्ति में अलग हो सकता है। कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि आत्महत्या का विचार परिवार में पास होता है। लेकिन यह हर बार हो, जरूरी नहीं है।
आत्महत्या ऐसा विषय है जिस पर बात करना जरूरी है। यह साइलेंट पेंडेमिक है जिस पर जागरूकता की जरूरत है। अपना जीवन खत्म कर लेना बहुत बड़ा कदम है और किसी भी व्यक्ति के लिये आसान नहीं होता। ऐसे में उस व्यक्ति की मनोदशा को समझ कर संवेदनशील होना चाहिए।
जो व्यक्ति अपना जीवन खत्म करना चाहता है वह स्पष्ट रूप से जीवन से हताश है। ऐसे में वह खुद मदद मांगने नहीं आने वाला।
आपको अपने दोस्तों और अपनों का ख्याल रखना होगा, आपको इन लक्षणों का ध्यान रखना होगा ताकि आपको ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
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