कभी-कभी पेरेंट्स बच्चों की बातों और उनकी मांगों पर तेज आवाज में प्रतिक्रिया देते हैं। उनकी किसी भी मांग को सुनकर बिना सोचे-समझे तुरंत जोर लगाकर ‘नहीं’ कह देते हैं। यह सही है कि बच्चों की हर मांग जायज नहीं होती है और उन्हें नहीं कहना भी अनुशासन के अनुरूप होता है। पर विशेषज्ञ बताते हैं कि उन्हें नहीं कहना तो सही है, लेकिन कहने या बताने का अंदाज अलग होना चाहिए। गुड पेरेंटिंग के अनुसार, बच्चों के मन पर यह ज्यादा असरकारक होता है। यदि आप जानना चाहती हैं कि बच्चों की मांग पर किस तरह प्रतिक्रिया दें, तो इंस्टाग्राम पर बेहद मशहूर गेटसेटपेरेंट विद पल्लवी की प्रस्तोता और पेरेंटिंग कोच डॉ. पल्लवी राव चतुर्वेदी (पीएचडी) के टिप्स को फॉलो करना (5 Tricks of parenting to replace No) होगा।
बच्चों को कहा गया “नहीं’ उन्हें जिद्दी और गुस्सैल भी बना सकता है। उनकी पर्सनैल्टी भी अच्छे तरह से डेवलप नहीं हो सकती है। इसलिए यहां दिए गए 5 ट्रिक्स को जानें।
पल्लवी कहती हैं, आप किसी बात के लिए बच्चों को मना करना चाहती हैं, तो उन्हें जवाब देने से पहले एक गहरी सांस लें। यह सोचें कि आप बच्चे से किस बात को कहना चाहती हैं फिर उसे विनम्रता के साथ उनके सामने प्रस्तुत करें। उनसे कहते समय आपकी आवाज कभी लाउड नहीं होनी चाहिए। साथ ही, उन्हें यह मैसेज भी मिलना चाहिए कि आप अपनी बातों पर दृढ़ हैं। आवाज धीमी होने के बावजूद कहीं से भी उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि आप कमजोर पड़ जाएंगी और उनकी हर सही-गलत बात को मान भी लेंगी।
बच्चों की पर्सनैल्टी डेवलपमेंट के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने आसपास की दुनिया को समझ पाएं, उनसे सीख पाएं। जब हम उनकी किसी बात पर तुरंत “नहीं’ कह देते हैं, तो सीखने की उनकी प्रक्रिया को अचानक ब्रेक लग जाता है। किसी भी बात के लिए यदि आप मना करना चाहती हैं, तो उसे सकारात्मक ढंग से समझाएं।इससे उन्हें समझने में मदद मिलेगी कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। वह अच्छी तरह जान पाएगा कि यदि आपके मना करने के बावजूद वह कोई काम करता है, तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं? इससे वह सही और गलत के बीच अंतर करना समझ पाएगा।
यह भी हो सकता है कि आपके बच्चे की हैंडराइटिंग खराब हो। पढ़ने के टाइम में वे टीवी पर कोई प्रोग्राम या मूवी देखने की बात करें। कुछ बच्चे तो असमय साथ में खेलने की जिद करने लगते हैं। पेरेंट्स के सामने ये सभी सिचुएशन आने पर वे अत्यधिक गुस्से में आ जाते हैं। वे बहुत तेज आवाज में “नहीं’ बोल देते हैं। आप ऐसा हरगिज न करें। आप उन्हें समझदारी के साथ मना करें।
हैंडराइटिंग खराब होने पर कहें कि कितना अच्छा होता अगर तुम साफ-साफ लिखते। टीवी प्रोग्राम देखने की बात पर कहें कि जब होमवर्क पूरा हो जाएगा, तब हमलोग नेटफ्लिक्स पर मूवी देखेंगे। इसी तरह पढ़ने के टाइम खेलने की बात करने पर जवाब दें कि शाम होने पर मैं तुम्हारे साथ जरूर बैडमिंटन या दूसरा कोई गेम खेलूंगी। सकारात्मक तरीके से कहने पर बच्चों पर बातों का असर लंबे समय तक रह पाता है।
यदि आपका बच्चा बेवक्त कुछ मांग कर बैठता है, तो कभी-भी उसके लिए तीखे शब्दों में मना नहीं करें। उसे अपनी बात के माध्यम से खुद पर नियंत्रण रखना सिखाएं। जैसे कि पिज्जा आज नहीं वीकएंड पर जरूर मिलेगा। नए खिलौने की मांग पर आप कहें कि अपने पुरानेे खिलौने निकालो, हम दोनों आज उनके साथ ही खेलेंगे।
कई बार हम अपने बच्चों को आज्ञाकारी दिखाने के चक्कर में बार-बार उसे अजनबी व्यक्ति को प्रणाम करने के लिए कहने लगते हैं या गाना गाने या या उनके सामने कुछ सुनाने की जिद करने लगते हैं। किसी के सामने उसकी शिकायत या तारीफ करने लगते हैं। हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है।
सभी बच्चे को ये सारी बातें पसंद नहीं आ सकती हैं। अच्छे संस्कार और अच्छे व्यवहार सिखाना आपका दायित्व है, लेकिन बच्चे की इच्छा का सम्मान करना सीखना होगा। उसकी सीमा को भी पहचानना होगा कि वह क्या कर सकता है और क्या नहीं।
इन सभी टिप्स की मदद से बच्चे की सही तरह से पर्सनैल्टी डेवलप हो सकती है। इसलिए बच्चे को जवाब देते समय सावधान रहें और ज्यादा बार ‘हां’ कहना याद रखें!
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