हमारे समाज में औरतों के लिए दो तरह के खांचे बना दिए गए हैं। पहली अच्छी औरतें (Good Women) और दूसरी बुरी औरतें (Bad Women)। जबकि पुरुषों के लिए ऐसा कोई खांचा नहीं है। अच्छी लड़की वह, जिससे सब खुश रहते हैं और उसकी प्रशंसा करते हैं। जबकि बुरी लड़की वह, जो दूसरों की परवाह नहीं करती और इसलिए उसकी आलोचना की जाती है। बचपन से ही इसी कंडीशनिंग (Social Conditioning) के साथ लड़कियों को बड़ा किया जाता है।
लड़कियों को खुद भी पता नहीं चलता कि वे कब खुद को भूलकर दूसरों को खुश करने के लिए (People Pleasure) अपने आप को बदलती चली जाती है। यही है गुड गर्ल सिंड्रोम (Good Girl Syndrome)। जो न सिर्फ आपके व्यक्तित्व, बल्कि आपके फैसले लेने की क्षमता और भविष्य को भी प्रभावित करता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
लड़कियों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि उन्हें दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना है और जितना हो सके उतना दूसरों की मदद करनी है। अगर आप ऐसा करती है, तो आपका दिल बहुत अच्छा है। लेकिन हर कोई आपका यह अच्छा पन डिजर्व (Deserve) नहीं करता है।
इसलिए आपको थोड़ा समझदार रहना चाहिए और ऐसे लोगों के लिए खुद को मजबूत साबित करना चाहिए।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन ने बताया कि गुड गर्ल सिंड्रोम का सीधा सा मतलब है वे दयालु, मृदुभाषी और वफादार हों जबकि आजाद ख्याल, डोमिनेंट, मुखर, प्रभावशाली होना अच्छे पुरुष की परिभाषा है। दोनों ही व्यक्तित्व एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। जबकि आत्मनिर्भर बनने के लिए आपको भी मजबूत, प्रभावशाली और मुखर बनने की जरूरत है।
बहुत कम लड़कियां उस चीज तक पहुंच पाती हैं, जो वह डिजर्व करती हैं। चाहे वह मोनेट्री चीजें हो या इमोशनल। अन्य महिलाओं को जो दिया जाता है, वह उसी में सेटल (Settle) हो जाती हैं। अगर आपको लगता है कि आपकी सैलरी आपके काम के हिसाब से कम है, तो आपको अपने लिए आवाज उठानी चाहिए। यही स्थिति भावनाओं के स्तर पर भी हो सकती है।
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अगर आप किसी एक व्यक्ति की मदद कर देती हैं, तो लोग हमेशा ही आपकी मदद लेने का इंतजार करेंगे। माना मदद करना कोई गलत बात नहीं है। लेकिन पहले जो व्यक्ति मदद मांग रहा है वह सही है या नहीं यह भी जान लें।
इसके साथ ही अपनी क्षमता के हिसाब से ही दूसरों की मदद को आगे बढ़ें। केवल तारीफ पाने के लिए या दूसरों के दिल में जगह बनाने की कोशिश में क्षमता से आगे बढ़कर काम न करें।
यह बात आपने पोश (POSH) के पोस्टर में बहुत बार देखी होगी। मगर इसकी जरूरत सिर्फ यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि अपने अधिकार के लिए हर स्तर पर आवाज़ उठाना जरूरी है। ये घर में अपने लिए पढ़ने का अलग समय निकालने की जरूरत हो या ऑफिस मीटिंग में अपना पक्ष रखने की बात। अपनी आवाज़ उठाना ही अपने साथ खड़े होने का पहला संकेत है।
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कस्टमाइज़ करें“ओह् तुम सिगरेट नहीं पीती? तुम तो बहुत पुराने फैशन की हो” यह वाक्य भी उतना ही घातक है, जितना, “तुम्हें शालीन कपडे़ पहन कर चलना चाहिए” कहना है। आपके पास अपने जीवन में कुछ भी चुनने का अधिकार होना चाहिए।
आपको अपनी वैल्यूज के मुताबिक जीवन जीना चाहिए। आपके लिए जो चॉइस सही है और आपकी जिंदगी को सूट करती है उन्हें चुनने में हिचकिचाएं नहीं। अपनी इन्हीं वैल्यूज़ के साथ डटी रहें। लोग अक्सर आपकी जिंदगी को अपने अनुसार चलाने की और बदलने की कोशिश करेंगे, लेकिन आपको आपकी जिंदगी कैसे जीनी है यह बात केवल आपको पता है। इसलिए किसी और को अपने जीवन के और सपनों के बीच में न आने दें।
अपने आप को एक अच्छी लड़की से स्ट्रॉन्ग लड़की में बदल देने का मतलब यह नहीं होता है कि आपको अब दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करना है। बल्कि अगर कोई व्यक्ति आपके साथ बुरा है, तो आप को उसे समझायें न कि अच्छे लोगों के साथ भी बेरूखी बरतें। शालीनता और विनम्रता व्यक्तित्व विकास में मददगार है। इसे किसी बुरी चीज के साथ टैग न करें।
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