हम कभी अपनी पसंद-नापसंद को लेकर परेशान रहते हैं, तो कभी किसी प्राथमिकता या पूर्वाग्रह को लेकर। इसके कारण हमारा दिमाग तनावपूर्ण रहता है। यह सच है कि मन पर किसी का जोर नहीं चलता है। हम अपनी पसंद, नापसंद या राय को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। पर कई तरह की बातों और विचार से हमारा दिमाग थकान अनुभव करने लगता है। विशेषज्ञ हमें दिमाग को रिवाइव या रीबूट करने की सलाह देते हैं। इससे तनाव दूर हो जाता है। हमारे पास अपने मस्तिष्क को पुनर्जीवित या रिवाइव करने (Revive your mind) और नए न्यूरल पाथ बनाने की क्षमता है।
मनोचिकित्सक डॉ. आरती आनंद के अनुसार, रीबूट या रिवाइव करने का मतलब है नकारात्मक विचारों और तनाव को खत्म कर देना। विचार शून्य दिमाग बिलकुल रिफ्रेश महसूस करता है। ब्रेन को रीबूट करने से नकारात्मक विचारों जैसे टोक्सिंस दिमाग से बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे मन शांत होता है और व्यक्ति इनर सेल्फ से जुड़ पाता है। यह तनाव और चिंता से राहत देकर आंतरिक शांति से भर देता है। इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
नींद शरीर को रिजुवेनेट करने में मदद करता है। इसमें माइंड विशेष रूप से शामिल है। जागने और सोने के समय में संतुलन रहने से मस्तिष्क में सिनैप्स (Synapse) का एक ठोस पैटर्न बनता है। ये सिनैप्स जागने के दौरान बढ़ते हैं । नींद के दौरान सिकुड़ते हैं। इससे अगले दिन के अनुभवों से और अधिक सीखने की क्षमता पैदा होती है। रोज सीखने से मस्तिष्क अधिक लचीला हो जाता है।
गुणवत्ता वाली नींद (Sound Sleep)
जब हमें पर्याप्त गुणवत्ता वाली नींद नहीं मिलती है, विशेष रूप से रैपिड-आई-मूवमेंट (REM) नींद, तो हमारा मस्तिष्क खुद को रीसेट नहीं कर पाता है। यदि संभव हो तो हर रात लगभग एक ही समय पर बिस्तर पर जाएं। दोपहर के बाद से कैफीन जैसे उत्तेजक पदार्थों से बचें। सोने से 1 घंटा पहले इलेक्ट्रॉनिक्स बंद कर दें। सोने से पहले एप्सम साल्ट से स्नान करें। सोने से पहले गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।
डॉ. आरती कहती हैं, ‘मस्तिष्क और आंत हजारों न्यूरोट्रांसमीटरों से जुड़े हुए हैं, जो संदेशों को लेते और भेजते रहते हैं। अच्छा स्वाद वाला भोजन डोपामाइन सीक्रेट करता है। भोजन का मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इसमें मूड में सुधार और अवसाद से बचाव भी शामिल है। प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें। शुगर और कार्ब्स के सेवन को कम करें। आहार में एंजाइम और प्रोबायोटिक्स शामिल करें।’
जो लोग किसी प्रकार के ध्यान या माइंडफुलनेस का अभ्यास करते हैं, वे कम तनाव और अधिक जागरूकता का अनुभव करते हैं। ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function) को बेहतर बनाने में मदद करता है। ध्यान न्यूरॉन पाथवेज की क्षमता में सुधार कर सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंहमारा दिमाग सबसे अधिक प्राकृतिक वातावरण में ही कूल अनुभव करता है। कई अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रकृति में बिताया गया समय मस्तिष्क की गतिविधि को कई तरीकों से बेहतर बनाता है। यह किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों को खत्म कर तनाव कम करता है। इससे मेंटल एबिलिटी में सुधार होता है और हमारी रचनात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
अत्यधिक तनाव में रहने के बावजूद यदि कुछ सेकंड के लिए शरीर को स्ट्रेच किया जाता है, तो फ्रेश महसूस होता है। यह एहसास होता है कि सभी तनाव खत्म हो गये। कई शोध में फिजिकल एक्टिविटी और बेहतर मेमोरी और मोटर स्किल सहित मस्तिष्क की बेहतर इलास्टिसिटी के बीच एक स्पष्ट संबंध देखा गया है। यहां तक कि हल्के स्ट्रेच एक्सरसाइज भी मस्तिष्क को रीबूट करने में मदद कर सकते हैं।
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