कठिन हो सकता है इमोशनल इममैच्योर पार्टनर के साथ रिश्ता निभाना, जानिए इसके संकेत

भावनात्म परिपक्वता यह सिखाती है कि आपको अच्छे और बुरे समय को कैसे डील करना है, अपने पार्टनर को सपोर्ट और सम्मान कैसे देना है। इसकी कमी किसी के भी रिश्ते और मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
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भावनात्मक रूप से अपरिपक्व व्यक्ति छोटी सी बात पर ही भड़क उठता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Published: 2 Apr 2024, 18:59 pm IST
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इमोशनल मैच्योरिटी पूरे जीवन के लिए जरूरी है। पर आपको यह भी जानना जरूरी है कि इमोशनल मैच्योरिटी की कमी आपको अपने जीवन के हर क्षेत्र में, और विशेष रूप से, अपने रिश्तों में पीछे रख सकती है। इमोशनल इममैच्योर पार्टनर के साथ काम करना कठिन होता है।

इसके बारे में बुरी बात यह है कि भावनात्मक रूप से अपरिपक्व इसांन के साथ व्यवहार करते समय, आपको बहुत ही सावधानी के साथ चनले की जरूरत होती है। वे छोटी-छोटी बातों से भी आसानी से उत्तेजित हो जाते हैं और अलग दिखने लगते हैं। उनके साथ जुड़ना कठिन है, और अक्सर, उनके मूड में बदलाव होना केवल ड्रामा हो सकता है।

क्या है इमोशनल इममैच्योर होना

भावनात्मक अपरिपक्वता भावनाओं को बिना किसी रोक-टोक के या स्थिति के कुछ भी सोचे और समझे बिना व्यक्त करते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, एक वयस्क जो अपनी उम्र के अनुसार अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में असमर्थ है, वह भावनात्मक रूप से अपरिपक्व की श्रेणी में आता है।

किसी रिश्ते में भावनात्मक अपरिपक्वता के लक्षण कई तरीकों से दिखाई दे सकते हैं। जिनमें अपने साथी के प्रति चिड़चिड़ापन, दीवारें खड़ी करना, बेवजह मूड में बदलाव और वास्तविकता से दूर रहने रहने का व्यवहार शामिल होता है।

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कई बार हम रिश्ते में पहले जैसा जुड़ाव महसूस नहीं करते। चित्र- अडोबी स्टॉक

संकेत जो बताते हैं कि आपका साथी भावनात्मक रूप से अपरिपक्व है

1 इमोशनल जुड़ाव कम होना

जब आप लगातार अपने पार्टनर से भावनात्मक रूप से अलग महसूस करते हैं, खासकर तब जब वे लगातार बीच में एक दीवार खड़ी करने की कोशिश करते है, तो वे भावनात्मक अपरिपक्वता दिखाने जैसा होता है।

इन परिस्थितियों में, उन्हें अपनी भावनाओं के बारे में बात करने में कठिनाई होती है। भावनात्मक रूप से किसी से जुड़ाव महसूस करना कठिन लगने लगता है। यह रिश्तों में इमोशनल इममैच्योरिटी के परेशान करने वाले संकेतों में से एक बन जाता है।

2 बहुत आसानी से डिफेंसिव मोड में चले जाना

जब आप एक रिश्ते में होते हैं, तो सिंद्धांत यही होता है कि आपको अगर कोई चीज बुरी या गलत लगी है, तो उस मसले पर बात करें, उसका हल निकालें। अगर आपके विचार अलग हैं, तो भी उस पर बैठकर बात करें। जबकि, भावनात्मक रूप से अपरिपक्व पार्टनर हमेशा डिफेंसिव हो जाते हैं। यदि वे महसूस करते हैं कि उन पर कोई आरोप लगाया जा रहा है, तो वे आक्रामक भी हो सकते हैं।

भावनात्मक रूप से अपरिपक्व व्यक्ति छोटी सी बात पर ही भड़क उठता है। अपने मुद्दों को सामने लाने पर आपको बुरा महसूस कराने की कोशिश करने लगता है। यह भावनात्मक अपरिपक्वता का एक महत्वपूर्ण संकेत है, जब कोई व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर खुद को टार्गेट होता हुआ महसूस करता है।

3 आप अकेला महसूस करने लगते हैं

यदि आपका पार्टनर भावनात्मक रूप से जुड़ने में असमर्थ है, तो वह आपके साथ बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल बातें करने लगते हैं। जो आपको अलग और अकेला महसूस करवा सकता है।

एक रिश्ते का उद्देश्य प्यार, साथ देना और सम्मान महसूस करना है। यही कारण है कि अकेले महसूस करना, यहां तक कि अपने पार्टनर के होते हुए भी इमोशनल इममैच्योर का एक बड़ा संकेत है।

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4 उन्हें समझौता करना पसंद नहीं होता

किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए अपनी जरूरतों को बताने और कोई मुद्दा उठने पर बीच का रास्ता निकालने में सक्षम होना बहुत जरूरी होता है। यदि आपका पार्टनर समझौते के बारे में बातचीत करने के बजाय नखरे दिखाना या नाराज़ होना पसंद करता है तो ये खतरे का संकेत हो सकता है।

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भावनात्मक रूप से किसी से जुड़ाव महसूस करना कठिन लगने लगता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

5 सब कुछ उनके बारे में होना चाहिए

यह बहुत बड़ी बात है, जो लोग भावनात्मक रूप से अपरिपक्व हैं वे हमेशा अनुचित समय पर भी केवल खुद को ही देखना चाहते है। उन्हें यह समझने में कठिनाई हो सकती है कि दुनिया उनके इर्द-गिर्द नहीं घूमती।

यदि आपका साथी आपकी चिंताओं या रुचियों पर ध्यान नहीं देता है, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि उन्हें कुछ इमोशनल ग्रोथ करनी चाहिए।

ध्यान रखें

अगर आपका पार्टनर भी इमोशनल इममैच्योर है तो उससे निपटने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते है। आपको इस विषय को शांति से संबोधित और भावनाओं और सीमाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें। इसमें आपको ओपन कम्युनिकेशन को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है।

भावनात्मक चुनौतियों से एक साथ निपटने में सहायता के लिए कपल काउंसलिंग के लिए भी सोच सकते है। धैर्य और सहानुभूति के साथ अपने पार्टनर से बात करना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये समझने या समझाने की कोशिश करें की भावनात्म रूप से किसी को समझना कितना जरूरी है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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