हमलोग जब काम से थक जाते हैं, तो कहते हैं लेट्स टेक ब्रेक। यहां हम ब्रेक का सीधा मतलब काम से कुछ देर हटकर रिलैक्स होने से होता है। रिलैक्स होने पर हम आगे वर्क करने के लिए एनरजेटिक बनते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि रिलेशनशिप में भी ब्रेक लेने का यही मतलब होता है। यानी दोनों पार्टनर कुछ दिन एक दूसरे से ब्रेक लें, ताकि आगे रिलेशनशिप बोन्डिंग मजबूत हो सके। आइये जानते हैं रिलेशनशिप में ब्रेक लेने का क्या मतलब (taking a break in relationship) है? रिलेशनशिप में ब्रेक लेने के क्या टिप्स और ट्रिक्स हो सकते हैं?
साइकोथेरेपिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. मेघना बताती हैं, ‘आमतौर पर रिलेशनशिप में ब्रेक से लोग सीधा मतलब दूसरे लोगों के साथ डेट करने के लिए स्वतंत्र हो जाने से लगाते हैं। फिर यह सवाल उठने लगता है, क्या अब आप सिंगल हैं? क्या आप अभी भी रिलेशनशिप में हैं? इस तरह के अनगिनत सवाल हैं । पर कभी-कभी रिश्ते के लिए एक ब्रेक जरूरी होता है। ब्रेक के बाद मिलने पर पार्टनर के साथ बॉन्डिंग मजबूत होती है। कुछ दिनों के लिए एक-दूसर से अलगाव उपचारात्मक हो सकता है। रिलेशन की मजबूती के लिए दूरी होना महत्वपूर्ण होता है।’
डॉ. मेघना के अनुसार, रिलेशनशिप में ब्रेक एक-दूसरे को समझने का अवसर मुहैया कराता है। यह पता लग पाता है कि एक-दूसरे के साथ नहीं होने पर क्या एक दूसरे की कमी खलती है? इससे व्यक्तिगत विकास पर भी समय दिया जा सकता है।
हेल्दी रिलेशन के लिए हर समय एक साथ रहना जरूरी नहीं है। ब्रेक उन पार्टनर के लिए कारगर होते हैं, जो एक-दूसरे की परवाह करते हैं, लेकिन किसी वजह से एक-दूसरे से थोड़ी अनबन हो गई हो। अलग होकर और एक साथ रहकर कैसा महसूस करते हैं, यह जानने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। यदि एक दूसरे की कमी महसूस नहीं होती है, तो इसका मतलब है कि अलग होने के दिन आ गये। वहीं कमी महसूस होने पर यह अंदाज मिल सकता है कि दोनों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम है। इसे रिलेशनशिप रिनोवेशन भी कहा जा सकता है।
ब्रेक से दोनों पार्टनर को एक नया दृष्टिकोण मिलता है, जिससे वे पार्टनरशिप को आंक सकते हैं। व्यक्तिगत संदेह और गलत कामों को स्वीकार किया जाता है। उन परिवर्तनों को निर्धारित किया जाता है, जिन्हें करने की आवश्यकता होती है। फिर यह तय किया जाता है कि क्या रिश्ता जारी रखने लायक है।
रिश्तों में अधिकांश समस्याओं को पूरी तरह से हल नहीं किया जा सकता है। इसके लिए घबराएं नहीं, अच्छी तरह सोच-विचार करें। कम्युनिकेशन और प्रॉब्लम सोल्व करने में मदद कर सकता है ब्रेक।
डॉ. मेघना बताती हैं, यह समझना जरूरी है कि दोनों पार्टनर ब्रेक पर क्यों जा रहे हैं? कम से कम 3 सप्ताह का ब्रेक कारगर होता है। इस दौरान अपनी एंग्जाइटी को बेहतर ढंग से प्रबंधित करना सीखें। इससे अनावश्यक झगड़े नहीं होते हैं। अपने शरीर और दिमाग को किसी ऐसे व्यक्ति के आस-पास नहीं रहने देने के लिए लगभग एक सप्ताह की आवश्यकता है, जिसके साथ आप रिलेशनशिप में हैं।
फिर अपनी भावनाओं या विचारों को सुलझाने या पहचानने (taking a break in relationship) के लिए एक और सप्ताह चाहिए। फिर अपनी आगे की योजना का पता लगाने के लिए एक और सप्ताह की आवश्यकता हो सकती है।
दोनों पार्टनर को इस बात की जरूर जानकारी होनी चाहिए कि ब्रेक के दौरान कहां की यात्रा होगी। आप चेक-इन कर सकती हैं। आप कैसा महसूस कर रही हैं? आपको किसी प्रकार की दिक्कत है, तो दोनों पार्टनर को विचार करना चाहिए, ताकि दोनों ब्रेक की अपेक्षाओं को समझ सकें। इस दौरान रिलेशनशिप एक्सपर्ट से बात करने के साथ साथ स्व-सहायता पुस्तकें पढ़ने और जर्नलिंग का काम भी हो सकता है।
यदि किसी विशिष्ट घटना के कारण ब्रेक हुआ, तो इसके बाद क्या हुआ, यह लिखने का प्रयास करें। साथ ही इससे कैसा महसूस हुआ, यह भी पता लगायें।
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कस्टमाइज़ करेंएक साथ वापस आने का मतलब एक साथ रहना नहीं है। यदि दोनों पार्टनर को एक साथ रहने की जरूरत महसूस होती है, तो चर्चा करना महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे को एक साथ हल करना बढ़िया है। यदि किसी प्रकार की दिक्कत महसूस होती हो, तो उस पर संवाद करना सबसे जरूरी है।
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