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वर्कप्लेस पर अकेलापन महसूस करना है बिल्कुल नॉर्मल, जानिए इससे कैसे उबरना है

एक ऐसी जगह जहां आप और बहुत सारे लोगों को पछाड़ कर आगे बढ़ी हैं, जहां लगातार आपको ऑब्जर्व किया जा रहा हो और बेहतर प्रदर्शन का दबाव हमेशा बना रहता हो, वहां सच्ची दोस्तियां बहुत मुश्किल से हो पाती हैं। इसलिए घबराएं नहीं, बस समझें कि इस स्थिति से कैसे निपटना है।
Published On: 22 Jul 2024, 01:51 pm IST
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Kamna Chhibber
मेडिकली रिव्यूड
loneliness feel karna normal hai magar iss se overcome hona zaruri hai
हर पांच में से एक व्यक्ति वर्कप्लेस पर अकेलापन महसूस करता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

हम में से कई लोग काम पर दोस्त बनाने की उम्मीद करते हैं। यह जरूरी भी है क्योंकि आप जहां रोजाना 9 से 10 घंटे बिता रहें हैं, वहां आप अकेले रहने की उम्मीद नहीं कर सकते। इसके लिए आप किसी न किसी के साथ बात करना या समय बिताना चाहेंगे। पर यह इतना भी आसान नहीं है। प्रतिद्वंद्विता और अलग-अलग बैकग्राउंड, अनुभव और सोच के कारण आप कई बार खुद को दूसरों से अलग-थलग महसूस कर सकते हैं। दफ्तर या वर्कप्लेस पर अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसका सामना बहुत सारे युवा करते हैं। खासतौर से वे लोग जो अपनी पहली या किसी नई नौकरी में आए होते हैं। यह सहज स्वभाविक है, इसलिए इससे परेशान होने की बजाए इस अकेलेपन का सामना कैसे करना है, इसके कुछ उपाय आपको जान लेने चाहिए।

क्यों महसूस होता है वर्कप्लेस पर अकेलापन (Causes of loneliness at workplace)

शोध बताते हैं कि हर पांच में से एक व्यक्ति रोज़ाना काम पर अकेलापन महसूस करता है। कई लोग जल्दी दोस्त बना लेतें है, तो कइयों को दोस्त बनाने में बहुच संकोच होता है। उन्हें ट्रस्ट करने में समस्या हो सकती है या वे इंट्रोवर्ट हो सकते है या वे अलग तरह का व्यक्तित्व रखते है जिसे अपने जैसे ही लोग पसंद हो। समस्या कोई भी हो अगर ऑफिस में आपके पास कोई बात करने वाला नहीं है तो उससे आपको अकेलापन महसूस हो सकता है।

workplace par competition aur akelapan mahsus karna normal hai
अलग-अलग सोच और पृष्ठभूमि का होने के कारण कुछ लोगों को दूसरों से जुड़ने में परेशानी महसूस हो सकती है। चित्र : अडोबीस्टॉक

हम घर पर या घर से दूर, लोगों के बीच या फिर काम पर भी अकेले हो सकते हैं। हालांकि यह लोगों से भरी हुई जगह है और हर किसी का दिमाग काम में लगा रहता है, लेकिन वर्कप्लेस पर अकेलापन कभी-कभी साइलेंट किलर साबित होता है। जो आपकी प्राेडक्टिविटी को भी प्रभावित कर सकता है। चाहे आप किसी ऑफिस में काम कर रहे हों या कहीं और से, अकेलापन कर्मचारियों को एक जैसा ही प्रभावित कर सकता है।

वर्कप्लेस पर अकेलेपन से कैसे निपटें (How to overcome loneliness at workplace)

1 बातचीत के लिए खुले रहें 

हर किसी में बदलाव लाने की क्षमता होती है। ऐसा करने के लिए किसी को मैनेजर, बॉस या नेता होने की ज़रूरत नहीं है। आप वर्कप्लेस पर लोगों को प्रभावित कर सकते है। यानी, बिना किसी शर्मिंदगी के आत्मविश्वास के साथ कुछ मुद्दों या समस्याओं के बारे में बात करना शुरू करें। इससे आप शायद ये देख कर चौंक सकते है कि आपको देख कर न जाने कितने लोग आपकी तरह बात करना शुरू करते है।

2 सहकर्मियों की मदद के लिए आगे आएं

टीम को एक-दूसरे के बारे में अधिक जानने के लिए एक साथ लाना और बातचीत को आगे बढ़ाने में एक लंबा रास्ता हो सकता है। लेकिन यह अलग-थलग पड़े कर्मचारियों को फिर से जोड़ने और लोगों को कम अलग-थलग महसूस कराने का एक प्रभावी तरीका है। आपके सहकर्मी अगर किसी मुश्किल में हैं, तो उन्हें मदद की पहल करें। यह ईमानदाराना लगनी चाहिए और अपनी सीमाओं का अतिक्रमण भी न करे।

3 किसी के भी प्रति भेदभाव न रखें 

यह जिम्मेदारी आप पर भी है और आपके संस्थान पर भी है। किसी भी कंपनी या ऑर्गनाइजेशन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने कार्यस्थलों को भेदभाव मुक्त रखें। लोगों को भेदभाव के बारे में अपने नकारात्मक अनुभवों के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करना कार्यस्थल में एक समान प्रभाव डाल सकता है। इससे अलग-अलग विचारों और पृष्ठभूमि के लोग भी एक-दूसरे से मिलजुल सकते हैं।

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ऑफिस में दोस्त बनाना एक पॉजिटिव वर्कप्लेस कल्चर का हिस्सा हो सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

4 हाइब्रिड विकल्प की अनुमति देना

हाइब्रिड वर्किंग मॉडल में लोग अपनी सुविधानुसार ऑफिस आने के दिन चुनते हैं। इससे उनकी बिना किसी असुविधा के वे एक-दूसरे से मिल और विचार साझा कर सकते हैं। यह कई लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है। अगर किसी कर्मचारी के लिए कार्यस्थल पर काम करना मुश्किल हो गया है, तो उस व्यक्ति को घर से या हाइब्रिड सेटिंग में काम करने की सुविधा देने से कर्मचारी को फिर से जुड़ने में मदद मिल सकती है।

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5 एक समान रूचियां खोजने की कोशिश करें

आप काम पर अलग-थलग महसूस कर सकते हैं क्योंकि आपको नहीं लगता कि आपकी टीम के अन्य सदस्यों के साथ कोई समानता है। आप जितने लोगों से मिलते हैं, उनमें से लगभग सभी के साथ आपकी कम से कम एक समान रुचि हो सकती है। इसे खोजने में बस समय लग सकता है। अपने सहकर्मियों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा बातचीत शुरू करें ताकि आप उनके शौक, रुचियों और अतीत के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जान सकें। आप लोगों में जितनी समानता पाएंगे उनसे उतना ही जुड़ पाएंगे।

याद रखें,

वर्कप्लेस घर नहीं है। जहां आपके विचार, खानपान, विश्वास और तरीका एक जैसा हो। यहां आपको कभी-कभी प्रतिद्वंद्विता का भी सामना करना पड़ सकता है। पर याद रखें कि सामंजस्यपूर्ण माहौल और खुले दिल से की गई बातचीत किसी भी समस्या का समाधान हो सकते हैं। ये न सिर्फ आपको मेंटली कूल रखेंगे, बल्कि अनावश्यक तनाव से बचाकर प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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