इंडियन सोसाइटी में बॉलीवुड (Bollywood) की एक खास जगह है। यहां बॉलीवुड सितारों की पूजा की जाती है और कई लोग फिल्मों से इंफ्लुएंस होकर घर में अपने बच्चों के नाम रख देते हैं। जब अपनी पार्टनर को प्रोपोज करने की बात आती है, तो लोग फिल्मों के डायलॉग का सहारा लेते हैं। सिनेमा का हमारे मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है और यह समाज का प्रतिबिंब है।
मूवीज का इस्तेमाल कई सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए भी किया जाता है। इससे समाज में जागरूकता बढ़ती है। आज हमें अलग – अलग सामाजिक मुद्दों पर मूवीज देखने को मिलती हैं, जैसे ”पैडमैन” (Padman)। इस मूवी नें पीरियड से जुड़े टैबू को दूर किया और पीरियड्स को नॉर्मलाइज किया है।
ठीक इसी तरह आजकल मेंटल हेल्थ इशू (Mental Health Issues) पर भी काफी फिल्में बन रही हैं। जिन्होनें समाज में मासिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाई है और लोगों को यह समझाया है कि यह भी समग्र स्वास्थ्य का हिस्सा है और सेहत की तरह ही महत्वपूर्ण है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कई बार लोग सुसाइड करने के बारे में सोचने लगते हैं। लोगों को आत्महत्या करने से बचाने के लिए वर्ल्ड सुसाइड प्रेवेंशन डे की स्थापना हुई है। जानिए इस दिवस के बारे में –
वर्ल्ड सुसाइड प्रेवेंशन डे 2022 (World Suicide Prevention Day) (WSPD) की स्थापना 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा की गई थी। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करता है। इस दिवस का उद्देश्य सरकार और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन संदेश देता है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है।
एक्टर शाहरुख खान और अलिया भट्ट की फिल्म डियर जिंदगी मेंटल और इमोशनल हेल्थ को टार्गेट करती है। इस फिल्म में आलिया का मुख्य किरदार है, जो अपने ब्रेकअप के बाद भारी मानसिक तनाव से गुजरती है। इस वजह से वे थेरेपिस्ट, के पास जाने का फैसला करती हैं। जिसका किरदार शाहरुख अदा करते हैं। शाहरुख उन्हें अपने तनाव से उबरने में मदद करते हैं। इस फिल्म ने कई लोगों को मोटिवेट किया कि वे अपने परिवार वालों और दोस्तों से अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बात कर सकते हैं। जिससे उन्हें तमाम तरह के तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्या से उबरने के लिए मदद मिल सके।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नालजी इन्फॉर्मेशन के अनुसार हर साल भारत में एक लाख से ज़्यादा लोग सुसाइड (Suicide) करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिन्हें लोग दूसरों से साझा नहीं कर पाते हैं।
एनसीईआरटी की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि बहुत सारे बच्चे एग्जाम से पहले और दौरान एंग्जाइटी का अनुभव करते हैं। और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यह सुशांत सिंह राजपूत-स्टारर फिल्म छिछोर इसी एक्जाम एंग्जाइटी, दबाव और आत्महत्या को बहुत मुखर तरीके से उठाती है। फिल्म में दिखाया गया है कि एक्जाम प्रैशर के कारण एक बच्चा कैसे आत्महत्या करने की कोशिश करता है। ये सब फेलियर के डर से होता है, जिसमें फेल होने के डर से छात्र तनावग्रस्त हो जाते हैं। इस फिल्म को सभी ने बहुत पसंद किया है।
अतरंगी रे रिंकू नाम के एक कैरक्टर को दिखाती है, जो एक काल्पनिक व्यक्ति के साथ बातचीत करती है। इस कैरेक्टर को सारा अली खान ने बखूबी निभाया है। यह निश्चित रूप से सिज़ोफ्रेनिया का संकेत है। फिल्म विभिन्न मानसिक विकारों और बिहेवियर संबंधी समस्याओं को नॉर्मलाइज करती है।
ये फिल्म बार्डर लाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (Borderline Personality Disorder) से जूझ रहे रणबीर कपूर के चारों ओर घूमती है। इसमें दिखाया गया है कि इस डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर व्यक्ति का जीवन कैसे उल्टा हो जाता है। इस फिल्म में अपने असली व्यक्तित्व की खोज कर रहे हैं रणबीर को उनकी प्रेमिका का किरदार निभा रही दीपिका इस समस्या से उबरने में मदद करती हैं। अपने गानों और इम्तियाज़ अली के डायरेक्शन के लिए तमाशा को काफी लोगों ने पसंद किया है।
बचपन में हम सभी को माता-पिता पढ़ाई में अच्छा नहीं करने के लिए डांटते हैं। ये शायद हर घर की कहानी है। मगर यह जानने की कोशिश कोई नहीं करता कि आखिर बच्चे को पढ़ाई समझ क्यों नहीं आ रही है। इसी मुद्दे पर बात करती है 2007 की ब्लॉकबस्टर मूवी तारे जमीं पर। जिसमें मुख्य भूमिका में एक्टर आमिर खान और एक डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे का किरदार निभाते दर्शील सफारी हैं। इस फिल्म में विषय को बहुत संतुलित, लेकिन यथार्थवादी तरीके से लोगों तक पहुंचाया गया है।
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