शरीर में कई कारणों से हार्मोन असंतुलन पाया जाता है। इसका प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर नज़र आने लगता है। दरअसल, हॉर्मोन शरीर में मौजूद वो केमिकल्स है, जो शरीर की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने में मददगार साबित होते है। मगर शरीर में इनकी अधिकता और कमी दोनों ही हार्मोन असंतुलन की समस्या को दर्शाता है। इन्हीं में से एक है, कोर्टिसोल, जिसे स्ट्रेस हार्मोन कहा जाता है। इसे दवाओ के अलावा मेडिसिनल प्रापर्टीज से भरपूर जड़ी बूटियों की सहायता से भी नियंत्रित किया जा सकता है। जानते हैं शरीर में इसके स्तर को नियंत्रित करने के लिए कौन सी जड़ी बूटियां हो सकती हैं मददगार।
कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हॉर्मोन है, जिसे एडरीनल ग्लैंड रिलीज करते हैं। इसकी मदद से शरीर स्ट्रेसफुल सिचुएशन को आसानी से हैंण्डल कर पाता है। नियमित मात्रा में इस हार्मोन के रिलीज से शरीर तनाव रहित रहता है। मगर जब शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है। उससे एंग्ज़ाइटी, वजन बढ़ने और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता हैं (Herbs for cortisol hormone)।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिसर्च के अनुसार शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से क्रानिक डिज़ीज का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वेटगेन, एनर्जी की कमी, कमज़ोर इम्यून सिस्टम और याददाश्त में कमी का जोखिम बढ़ जाता है।
इस बारे में एमडी आयुर्वेदा डॉ मनीषा मिश्रा का कहना है कि कार्टिसोल शरीर में तनाव दूर करने के अलावा मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम और मूड बूस्ट करने में भी मदद करता है। ये हार्मोन कई शारीरिक गतिविधियों को रेगुलेट और संतुलित करने में फायदेमंद साबित होता है। अगर इसका स्तर शरीर में बढ़ जाता है, तो शरीर को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। अश्वगंधा और तुलसी खासतौर से कार्टिसोल हार्मोन को रेगुलेट करने में मदद करती है।
अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसमें एडेप्टोजेनिक कंपाउंड पाया जाता है। ये शरीर में बढ़ने वाली एंग्जाइटी और तनाव की समस्या को दूर करने में मदद करता है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार 60 लोगों ने 8 सप्ताह तक 250 से 600 मिलीग्राम अश्वगंधा का सेवन किया। उनमें कोर्टिसोल का स्तर कम पाया गया। इसके सेवन से मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। व्यक्ति को किसी कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
तुलसी मेडिसिनल गुणों से भरपूर है। इसे क्वीन ऑफ हर्ब्स भी कहा जाता है। जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन के अनुसार तुलसी में एंटीडिप्रेसेंट प्रापर्टीज पाई जाती हैं। एक रिसर्च के अनुसार 500 मिलीग्राम तुलसी की पत्तियों के अर्क का सेवन करने से एंग्जाइटी कम होती है। इसके अलावा तुलसी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रापर्टीज़ भी पाई जाती है। मेंटल हेल्थ बूस्ट करने के साथ तुलसी ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक कैमोमाइल में फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंटस की उच्च मात्रा पाई जाती है। कैमोमाइल टी का सेवन करने से शरीर में शांति और सुकून बढ़ने लगता है। इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुण कोर्टिसोल के सिक्रीशन को नियमित करके मस्तिष्क को एंग्जाइटी से बचाने में मदद करते हैं।
तनाव को रिलीज़ करने और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए ब्राह्मी एक कारगर जड़ीबूटी है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार रोज़ाना 250 मिलीग्राम ब्राह्मी का सेवन करने से याद रखने की क्षमता का विकास होता है। इसके अलावा कुछ नया सीखने और करने में भी आसानी होती है। ब्राह्मी के नियमित सेवन से कोर्टिसोल के लेवल को कम किया जा सकता है। इस मूड बूस्टर हर्ब से मानसिक एकाग्रता बढ़ने लगती है। इसका बायोलॉजिकल नाम बाकोपा मोननेरी है। ब्राह्मी में सैपोनिन पाए जाते हैं और उन्हें बेकोसाइड्स कहा जाता है।
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