बहुत से लोग हैं जो अपनी जरूरतों को लेकर खुलकर बात करते हैं। यह जरूरतें कुछ भी हो सकती हैं जैसे कि भोजन, कपड़े, भावनात्मक, अंदरूनी विचार। बहुत से लोग यह जानते हैं कि कब और कैसे अपनी बातों को साझा करना है। लेकिन कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो सिर्फ अपने पार्टनर की बात सुनती हैं और अपनी जरूरतों के बारे में बात तक नहीं करतीं। ऐसे में कभी-कभी स्थिति ऐसी आ जाती है कि शब्द गले में फंसते हुए से महसूस होते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जो आपको अपने इमोशन्स एक्सप्रेस (Express your needs) करने से रोकते हैं।
अपनी आवश्यकताओं को लोगों के सामने व्यक्त करने में कठिनाई होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार इसका कारण आपका बचपन और परवरिश हो सकती है। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही 10 कारण जो आपको रिश्ते में अपनी जरूरतों को व्यक्त करने से रोकती हैं।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर थेरेपिस्ट और रिलेशनशिप विशेषज्ञ डॉ. एलिजाबेथ फेड्रिक की एक इंस्टाग्राम पोस्ट देखी। जो काफी ज्यादा इम्प्रेसिव थी। बचपन से ही हमें सेल्फ प्रोटेक्शन टिप्स दी जाती हैं। साथ ही हमें आत्मनिर्भर बनने को कहा जाता है। ये सभी चीजें एक बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक रूप से असर डाल सकती हैं।
इस दौरान हमने यदि कोई चीज सीखी है, तो वह है स्वतंत्र रहना। यह जितना अच्छा है उतना नुक्सानदायक भी हो सकता है। फेड्रिक के अनुसार “हर किसी की खुद की ज़रूरतें मायने रखती हैं और हर व्यक्ति इन ज़रूरतों को पूरा करने के योग्य है।”
बचपन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सालो बाद आने वाले समय पर इसका प्रभाव पड़ता है। यदि बचपन मे आपकी जरूरतों को पूरा न किया गया हो, तो बड़े होकर अपनी इच्छाओं को दूसरों के सामने व्यक्त कर पाना मुश्किल हो जाता है।
हर किसी की अपनी व्यक्तिगत ज़रूरतें होती हैं। यदि आपका पार्टनर उनकी जरूरतों को आपके साथ साझा कर सकता है, तो आपको भी पूरा हक है अपनी बातों को उनके सामने रखने का। केवल बहस और साथी की परेशानी के बारे में सोच कर अपनी ज़रूरतों को बताने से कतराना पूरी तरह से नासमझी है।
यदि कोई अपनी जरूरतों को आपके सामने रख रहा है, इसका मतलब बिल्कुल भी यह नहीं है कि वे कमजोर या जरूरतमंद हैं। इसलिए, केवल दुसरो की नही अपनी जरूरतों का भी ध्यान रखें और स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरतों को व्यक्त करें।
बचपन की चीजें आपके आगामी जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। यदि बचपन मे आपको अपनी आवश्यकताओं को व्यक्त करना न सिखाया गया हो तो आगे चलकर आप इसे लोगो के सामने प्रकट करने में कतराती हैं।
किसी पर निर्भर न रहना बहुत अच्छी बात है। लेकिन खुद को यह यकीन दिला लेना कि आपको किसी और की ज़रूरत नहीं है, आगे चलकर यह दूसरों के सामने अपनी ज़रूरतों को व्यक्त करने में कठिनाइयां पैदा करता है।
कभी-कभी हमे खुद अपनी जरूरतों को समझने में परेशानी होती है। इसलिए इसे व्यक्त करने में खुद व खुद कठिनाइयां आने लगती है।
आपको पता होता है की आपको क्या चाहती परंतु कइ बार आप इसे व्यक्त नहीं कर पातीं। क्योंकि आपके मन मे यह डर बना रहता है कि आपकी चाहतों को अस्वीकार कर दिया जाएगा। आप अस्वीकृति या निराशा का अनुभव करने के डर से अपनी बात रखने से संकोच महसूस करती हैं।
सभी को लगता है कि वे अपना काम खुद कर सकते हैं। और आप अपनी आवश्यकताओं को दूसरों को बता कर उनपर बोझ नहीं बनना चाहतीं।
कई बार हम अपने मन में नकारात्मक विश्वास बिठा लेते हैं की हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के योग्य नहीं हैं। परंतु फेड्रिक के अनुसार, हर कोई अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है, साथ ही उसे अन्य लोगो के सामने भी प्रकट कर सकता है। इसलिए आपको अपनी जरूरतों को लेकर नकारात्मक विचार नहीं रखने चाहिए।
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिश्ते में हैं जो आपकी आवश्यकताओं को लेकर गंभीर नहीं रहता या हर बार इसे नजरअंदाज कर देता है, तो ऐसे में आपको अपनी जरूरतों को व्यक्त करने में डर लग सकता है।
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