महिलाओं में हृदय संबंधी रोगों का जोखिम पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होता है। इसका मुख्य कारण है महिलाओं के शरीर की फिजियोलॉजी। ऐसा माना जाता था कि महिलाओं में हृदय रोग के पुरुषों के समान ही लक्षण और जोखिम होते हैं। लेकिन हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि 35 से 45 वर्ष की महिलाओं में दिल की बीमारियों का जोखिम पुरुषों से अधिक होता है।
होता यह है कि जिन महिलाओं की मेंस्ट्रुअल साइकिल नियमित होती है, उनमें हृदय रोगों का जोखिम उन महिलाओं से कम होता है, जिनका मेनोपॉज हो गया हो या पीरियड्स अनियमित हों। इन महिलाओं में पुरुषों से भी कम जोखिम होता है। पीरियड्स अनियमित होना और अक्सर पीरियड्स मिस होना यह दर्शाता है कि आपका हृदय बीमारियों के जोखिम में अधिक है।
यह तो आप जानती ही हैं कि आपके शरीर में मौजूद एस्ट्रोजेन हॉर्मोन आपके दिल को बीमारियों से बचाता है। अमूमन जब महिलाओं के पीरियड्स मिस होते हैं, तो उसका कारण एस्ट्रोजेन की कमी ही होता है, और इसके जिम्मेदार स्ट्रेस, बढ़ता या घटता वजन, अस्वस्थ जीवनशैली या यह सभी हो सकते हैं।
अनियमित पीरियड्स सबसे ज्यादा चिंता की बात होती है। चित्र: शटरस्टॉकऐसी स्थिति में महिलाओं का एस्ट्रोजेन का स्तर उतना ही होता है जितना मेनोपॉज के बाद हो जाता है। इससे हड्डियों पर भी बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है।
कई रिसर्च में पाया गया है कि जिन महिलाओं में एस्ट्रोजेन की कमी के कारण अनियमित मासिक धर्म होते हैं, उनकी खून की नसें पतली होने लगती हैं, जो हृदय रोग का पहला चरण है।
हालांकि इस विषय पर अभी शोध चल ही रहा है, लेकिन अगर यह सिद्ध हो गया तो हम जान सकेंगे कि अनियमित पीरियड्स किस तरह महिलाओं के दिलों को प्रभावित करता है।
मेडिकल जर्नल ‘हार्ट’ में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि जिन महिलाओं को हृदय रोग का अधिक जोखिम होता है, उन्हें महीने में कुछ खास समय पर सीने में दर्द होता है। यह समय पीरियड्स के ठीक बाद होता है जब शरीर मे एस्ट्रोजेन की मात्रा कम होती है। सीने में दर्द के साथ-साथ एक्सरसाइज करते वक्त सांस फूलने जैसी समस्या भी होती हैं। इसका कारण होता है दिल तक कम खून पहुंचना, जिससे हृदय रोग की सम्भावना का पता लगाया जा सकता है।
जब हम प्रेगनेंसी की बात करते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि गर्भावस्था मां के शरीर पर बहुत प्रभाव डालती है। अगर आपको लगता है कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले बदलाव जैसे हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज या प्रीक्लेम्पसिया बच्चे के जन्म के बाद खत्म हो जाएंगी तो आप गलत हैं।
प्रेगनेंसी में यह टेस्ट हो जाता है कि आपका शरीर बढ़े हुए हार्ट बीट, ब्लड प्रेशर इत्यादि को किस प्रकार झेलता है। इसे फिजियोलॉजी स्ट्रेस टेस्ट कहते हैं।हम जानते हैं कि गर्भावस्था के कारण हुई हाइपर टेंशन, डायबिटीज इत्यादि आगे चलकर गम्भीर बीमारियों का रूप ले सकती हैं।
इससे हमें यह पता चलता है कि मेंस्ट्रुअल साइकिल और हृदय स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण संबंध है। नियमित पीरियड्स आपके बेहतर स्वास्थ्य की निशानी है।